गहों से ही परमात्मांश प्राप्त कर विष्णु के सभी अवतार कहे गए हैं । श्लोक के माध्यम से आप समझ सकेंगे । यह श्लोक होरापराशर से लिया गया है ।
रामोऽवतारः सूर्यस्य चन्द्रस्य यदुनायकः ।
नृसिंहो भूमिपुत्रस्य बुद्धः सोमसुतस्य च ।।
वामनो विबुधेज्यस्य भार्गवो भार्गवस्य च ।
कुर्मो भास्कर पुत्रस्य सैंहिकेयस्य सूकरः ।।
केतोर्मीनावतारश्च ये चान्ये तेऽपि खेटजाः ।
पराम्तांशेऽधिको येषु ते सर्वे खेचराधिपः ।।
यहां मैत्रेय पराशर से प्रश्न करते हैं कि सभी अवतारी में पूर्ण परमात्मांश था या नहीं ।
पराशर जी कहते हैं नहीं चार अवतार ही ऐसे हुए जिनमें पूर्ण परमात्मांश है -
रामः कृष्णश्च भो विप्र ! नृसिंहः सूकरस्तथा ।
एते पूर्णावतारश्च ह्यन्ये जीवांशकान्विताः ।।