Rahu in the 8th house.. यदि कुंडली में मेष या सिंह राशि का राहू अष्टम भाव में बैठा हो और उस स्थिति में शनि 3रे या सप्तम भाव में बैठा हो तो यह एक जबरदस्त योग होता है हालांकी शुक्र को कुंडली में देखना अनिवार्य की कहीं वो किसी अन्य योग से पीड़ित तो नही यदि शुक्र भी कुंडली में 3रे,10वें, 11वें, 12वें या शनि के साथ बैठा होगा तो यह एक सफल राजयोग की तरह है, इस स्थिति में जातक को विलंब से ही सही परन्तु अच्छी सफलता मिलती है और गुप्त धन, या लम्बे समय से चल रहे संघर्षों से बहुत बडी सफलता हाथ लगती गाई जैसे की अली बाबा का खजाना हाथ लग गया हो। Nw.. logic is that ki..राहू को कोयला कहा गया है और अष्टम भाव जमीन क नीचे का स्थान है, राशि के अनुसार सिंह और मेष राशि अत्यधिक तापमान रखने वाली राशियाँ हैं, धनु को इसलिए नही लिया जा सकता क्यूंकि धनु राशि में द्विस्वभाव गुण है और राहू के लिये धनु उपयुक्त नही, और शनि अष्टम के कारक हैं और समय यानी काल time के भी बड़े कारक हैं, शनि का उच्च स्थान पर होना, 3रे स्थान पर बैठना, मकर राशि या दशम स्थान पर बैठना टाईम यानी समय का मैनेजमेंट, और यदि कुंडली में मंगल 12वे भाव में या शुभ अवस्था में बैठा हो तो और भी शुभ होता है, ऐसे में, ये राहू जो की कोयला है ये उपयुक्त ताप और दाब में एक लम्बे अरसे के बाद चमकदार पत्थर बन जाता है जिसको हीरा कहते हैं, और ये गुप्त हीरा पृथ्वी के नीचे पड़ा होता है, हालांकी कयी और भी ग्रहों को देखना आवश्यक हो जायेगा इसमे परन्तु ऐसे जातक को किसी दुसरे की, या यात्रा के दौरान या परदेश गमन से बड़ा और दीर्घकालिक लाभ मिलता है। परन्तु ध्यान रखने वाली बात यह भी है की जातक की कुंडली में चन्द्रमा ना ही मारक हो ना ही अष्टम में हो ना ही शनि के साथ हो, और ऐसे प्राप्त धन को कभी भी अपने पास store कर के नही रखना चाहिए उसको सदैव circulate करते रहें और कोई बड़े स्तर पर काम शुरु कर सकते हैं जिससे समाज का भला हो ।