कुंडली देखते समय कोई भी जातक हो उसकी यह इच्छा जरूर रहती है मुझे यह फल कब कैसा मिलेगा या मेरे इस कार्य पर फल कैसा होगा? नवग्रहों में हर एक ग्रह का गोचर जातक ओर रहता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण गोचर महादशा ग्रह और अंतरदशा ग्रह का होता है क्योंकि यही दो महत्वपूर्ण ग्रह होते है जो जातक के जीवन मे उसको फल दे रहे होते है जिस समय भी जिस ग्रह की महादशा या अंतरदशा चल रही होती है।किस ग्रह के गोचर का फल कैसा होगा यह कुंडली से देखा जा सकता है लेकिन जो महत्वपूर्ण गोचर होता है महादशा और अंतरदशा का उसका फल जातक को कैसा मिलेगा उदाहरण_अनुसार:- कन्या लग्न की कुंडली में राहु छठे भाव मे गोचर में आया हो तब क्या होगा तब छठे भाव से राहु की 5वी दृष्टि दशवे भाव पर होगी और 9वी दृष्टि दूसरे भाव पर जाएगी साथ ही 7वी दृष्टि 12वे भाव पर जाएगी इसमे दूसरा भाव धन, 12वा भाव हानि, दसवा भाव रोजगार, नोकरी/व्यापार का होता है।अब छठे भाव से राहु दसवे, दूसरे और बारहवे तीन भावो को पीड़ित कर रहा है तो ऐसी स्थिति में राहु जातक को उसके रोजगार, नोकरी/व्यवसाय, धन की हानि करेगा क्योंकि राहु गोचर के छठे भाव से धन, नोकरी/व्यवसाय, और हानि के भाव बारहवे को प्रभावित कर रहा है जिस कारण ऐसे राहु के गोचर में धन की दिक्कत, कार्य छेत्र में दिक्कते राहु के कारण बढ़ जाएगी और ऐसे राहु गोचर के समय दशा भी राहु या किसी अशुभ ग्रह की हुई तब धन, रोजगार में बहुत नुकसान जातक को उठाना पड़ेगा।इस तरह से छठे भाव का राहु गोचर दिक्कते करेगा दशा यदि शुभ फल देने वाले ग्रह की उस समय हुई तब राहु गोचर दिक्कत जरूर देगा लेकिन दिक्कतों से निकालने का रास्ता भी मिल जाएगा।। दूसरे_उदाहरण_अनुसार:-अब माना जाय कि किसी जातक पर शनि की महादशा है और शनि गोचर में 5वे भाव मे किसी जातक के गोचर करे तब शनि की सातवीं दृष्टि लाभ(ग्यारहवे स्थान)पर होगी और दसवीं दृष्टि धन भाव(दूसरे भाव) पर होगी ऐसी स्थिति में शनि की।चलने वाली इस दशा और गोचर में जातक को धन संबंधी और आय संबंधी दिक्कते और नुकसान उठाने पड़ेंगे क्योंकि महादशा नाथ शनि गोचर से दूसरे/ग्यारहवे धन संबंधी दोनो घरो को पीड़ित कर रहा ! शुभ_फल_देने_वाला_गोचर:- सिंह लग्न की कुंडली मे यदि गुरु चौथे भाव मे गोचर में आ जाये और महादशा या अंतरदशा भी गुरु की चल रही हो तब चौथे भाव का गुरु दशम को देखेगा जिस कारण से जातक को अपनी नोकरी/व्यवसाय या कार्य छेत्र में उन्नति के रास्ते मिलेंगे या जो जातक नोकरी के लिए प्रयास कर रहे होते है उनको ऐसा गुरु का गोचर नोकरी दिलाकर उनका भविष्य सुधार देता है।। अब मीन लग्न कुंडली मे गुरु छठे भाव मे गोचर में हो तब इसकी 5वी दृष्टि दशम भाव पर होगी मीन लग्न में दशम भाव का स्वामी गुरु ही होता है साथ ही इसकी 9वी दृष्टि दूसरे भाव पर होगी जिस कारण गुरु का यह गोचर मीन लग्न के जातको के लिए बहुत शुभ होगा क्योंकि दशम भाव पर स्वग्रही(खुद की राशि पर दृष्टि) कार्य छेत्र में उन्नति देगी या नोकरी/कारोबार से लाभ देगी और दूसरे भाव पर भी दृष्टि होने से धन-धान्य की वृद्धि होगी।इस तरह से ग्रहो का गोचर और जिन ग्रहो की महादशा/अंतरदशा चल रही है उनका गोचर शुभ परिणाम देने वाला है या नही और शुभ या अशुभ परिणाम देगा तो कितनी मात्रा में देगा यह जातक की कुंडली मे चल रही ग्रहो की दशा और ग्रह योगों की स्थिति पर निर्भर करेगा इस तरह से गोचर भी जातक को उन्नति तक ले जा सकता है और नीचे भी गिरा सकता है।
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