शालीग्राम और कार्तिक मास
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कार्तिक मास में यह बातें करनी चाहिए (बहुत लाभ होता है) -
तुलसीजी की मिट्टी का तिलक, तुलसी के पौधे को सुबह एक- आधा ग्लास पानी देना एक मासा सुवर्ण दान का फल देता है , तुलसी का वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हीतकारी है |
गंगाजी का स्नान, अथवा तो प्रभात का स्नान (सूर्योदय के पूर्व) धरती पर शयन...
उड़द , मसूर आदि भारी चीज़ो का त्याग करना चाहिए, तिल का दान करना चाहिए..कार्तिक मास में सत्संग, साधु संतों का जीवन चरित्र का अध्ययन, मार्गदर्शन का अनुसरण करना चाहिए…मोक्ष प्राप्ति का इरादा बना देना चाहिए…
कार्तिक मास में जो "ॐ नमो नारायणाय " का जप करता है,उसे बहुत पुण्य होता है |विष्णु जी शालीग्राम रुप की पूजा करना बहूत उपयोगी है ।
शालीग्राम
सर्वप्रथम पूर्व या उत्तर पूर्व की दिशा में मुख करके बैठ जाएं | अब शालिग्राम को गंगाजल से शंख की सहायता से धो लें, फिर इसे पञ्चगब्य से धो लें पुनः इसे गंगाजल से धो लें |
फिर कुछ कुश (कुशा घास ) जल में रख कर शालिग्राम पर छिड़के , एक प्लेट में साफ लाल कपड़ा रख कर उस में शालिग्राम को पीपल के पत्ते पर रखे | कपूर अगरबत्ती और दीपक जला लें | शालिग्राम के ऊपर चन्दन का लेप लगाये |
तुलसी के कुछ ताजे पत्ते शालिग्राम के सामने रखे यदि पत्ते न हो तो तुलसी माला का प्रयोग करें | अब दीपक को शालिग्राम के चारो ओर घडी की दिशा में घुमाए | आप हरे कृष्णा हरे कृष्णा का जाप ९ बार करें और कुछ दूध, फल, मिठाइयां शालिग्राम पर अर्पित करें |
कुछ धन भी चढ़ाये और सारा चढ़ावा किसी गरीब को दान कर दें | पञ्चगब्य में यदि गाय का गोबर या मूत्र नहीं मिलता है तो बाकी सारी चीज़ो से पूजा करें |