The origin of astrology
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Maharaj Vishnu Shastri
01st Mar 2017ज्यादा तौर ज्योतिष पुस्तको की रचना गुरु शिस्य के बिच में चर्चा या कथन पर आधारित है।
कुछ शिव और माता उमा के बिच के संबाद पर और कुछ
माता पार्वती और ऋषियो के बिच में है।
चंद्र कला नाड़ी
मूल रूपसे प्रजापति ब्रह्मा और अचुत्या की बिच की संबाद पर आधारित है।
जिसका मूल लिपि तो नस्ट हो गया परंतु कुछ जो बचा हुआ रह गया वही आज के युग में पुस्तक के रूप में उपलब्ध है।
परंतु उसमे भी कई प्रकार के असम्पूर्णता है।
जैसे ,हर लग्न के लिये 150 नाड़ी अंश के फलित नेही है ।
हर ग्रह के लिये 150 नाड़ी अंश की फलित नेही है।
साथ में चन्द्रकला के नामपर दूसरे ज्योतिष सिद्धांत भी उसमे समा गये।
जो अलग अलग नाड़ी ग्रंथ से लिया गया है।
ऐसा लगता है।
की चंद्र कला किसी एक ऋषि की रचना नेही ।
ऐसे बहुत कुछ उसमे आ गया है ,जो इस महान ग्रन्थ मे नेही आता तो सायद अच्छा होता।
"नमस्ते मुनि नाथाय बचासंपतये नमः।
हे मुनिओ के नाथ मैं(अचुत्या)आपको प्रणाम करता हु ।
यदि आप मुझ पर प्रस्सन है।और मुझे कोई बर देना चाहते है,तो हे भगबनो के स्वामी मुझे ज्योतिष बिज्ञान की उस श्रेष्ठ ज्ञान के बारे में बताये।
इसके उत्तर में ब्रह्मा जी बोले-
य ज्ञानी तुमने अच्छा काहा है, मेरे मन में जो है,जिसकी तुमने पाने की इच्छा की है मैं तुम्हे अबस्य बताऊंगा।
Note-
सृस्टि के अदि में ब्रह्मा जी ने शत सहस्र अर्थात एक लाख ज्योतिष के पुस्तकोकि रचना किये थे।
और वह सरे भगबान विष्णु को समर्पित कर दिये थे।
और वह ज्ञान
सनक
सनंदन
सनत्कुमार
सनातन
जी को ब्रह्मा जे द्वारा प्राप्त हुआ था।
और फिर अच्युता ने... भगवान शिव के आशीर्वाद से ब्रह्मा जी से सहस्त्र ग्रन्थ या 1000 पुस्तक प्राप्त किए थे.
जिसका अध्ययन द्वारा और अपनी खोज द्वारा उन्होने चंद्र कला नाड़ी ग्रंथ का निर्माण किया.
येअह है चंद्र कला NADI की परिचय.... जो अपको किसी पुस्तक या ग्रंथ मे नेहि प्राप्त होगा.
कुछ गुप्त और संरक्षित परिवार के लोगो तक ही येअह ज्ञान अभी भी सीमित है..... जो प्रभु की अपार कृपा से मुझे प्राप्त हुआ था और आज आपको ओह जानकारी देके मै अपना जीवन धन्य कर रहा हू.
सिर्फ इतना याद रहे मात्र..... सम्मान या अर्थिक समीर्द्धी के लिये इसका उपयोग ना करे.
लोगो का कल्याण हो.... यह भावना बना रहे.
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