नवग्रहों मे शनि ग्रह
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नवग्रहो मे शनि ग्रह की दो राशियां मकर व कुंभ है। तुला राशि इनकी उच्च राशि है। मेष राशि इनकी नीच राशि है।कुंभ राशि इनकी मूल त्रिकोण राशि है। कुंभ राशि मे शनि ग्रह 0 अंश से 20 अंश तक मूल त्रिकोण मे माने गये है शनि देव। एक राशि में शनि का गोचर लगभग 2.5 वर्ष तक रहा करते है। विशोंत्तरी दशा शनि ग्रह की 19 वर्ष तक रहती है। पुष्य,अनुराधा व उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शनि के ही नक्षत्र है। इनकी दिशा पश्चिम है। रंग इनका काला है। वायु तत्व है इनका। शिशिर ऋतु है इनकी। इनका लंबा किन्तु दुबला शरीर,कफ व बात प्रकृति, तमोगुणी, चतुष्पद व नपुंसक ग्रह माने गये है। कृष्ण पक्ष मे,दक्षिणायन , रात्रि काल मे बली माने गये है। वक्री शनि राश्यन्त में भी बली माने गए है।आयु,मृत्यु, सेवक,व्यापार, राजनीति, लोकतंत्र, संन्यास, कानून, न्याय पालिका, श्रम,श्रमिक वर्ग, बडे व भारी उद्योग, तेल,पेट्रोल, आँयल,गैस, खनन कार्य, खदान संबंधी, कृषि,तिल,उडद,चौकीदार, कुली,मिस्त्री,माली,लोहा,रबर,प्लास्टिक, अनाज,प्रिंटिंग, घडीसाज,मजदूर, ठेकेदार, ग्राम प्रधान,नेता,इंजीनियर, वैज्ञानिक,धार्मिक,शोधकर्ता,योगी,तपस्वी, नगरपालिका सदस्य तथा महत्वपूर्ण व अधिकारिक पदों पर स्थित लोग यह सब शनि के नियंत्रण में है। विक्रय वस्तु,दान,दीक्षा,धातु,भूमि,भूमि गत पदार्थ, रोग का भी विचार भी इन्हीं से किया जाता है। ज्योतिष के माध्यम से ग्रहो के विविध उपायो के साथ साथ भविष्य संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। संपर्क करें। ज्योतिष से भी समझे।
मनीष दुबे, ज्योतिष पारंगत, ज्योतिष गौरव सम्मान प्राप्त, श्रेष्ठ कुंडली निर्माण व फलित ज्योतिष में मानद उपाधि प्राप्त.