इन्दु लग्न
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इन्दु लग्न
भारतीय ज्योतिषियों ग्रंथों में किसी भी जातक के धन संपत्ति एवं ऐश्वर्य संबंधी योग जानने के लिए “धन लग्न” अर्थात “इंदु लग्न” के विषय में बताया गया है ।
इस इंदु लग्न को जानने के लिए एक सूत्र का उल्लेख किया गया है हमने इस सूत्र को आधार बनाकर इस लेख में व्यक्ति विशेष की धनयोगो को जानने का प्रयास किया है । पाठक इस सूत्र को अपनी अपनी कुंडलियों में लगाकर धन संबंधी योग जान सकते हैं ।
"धन लग्न" अथवा "इन्दु लग्न" निकालने के लिए ग्रहों को प्राप्त नैसर्गिक कला का प्रयोग किया जाता है । राहू केतू चूंकि छाया ग्रह माने जाते हैं इसलिए इस इन्दु लग्न की गणना मे उन्हे नहीं लेते हैं |
सर्वप्रथम ग्रहों को प्राप्त नैसर्गिक रश्मि को निम्न सारणी से समझते हैं ।
सूर्य 30 कला,
चंद्रमा 16 कला,
मंगल 6 कला,
बुध 8 कला,
बृहस्पति 10 कला,
शुक्र 12 कला,
शनि 1 कला ।
1) सर्वप्रथम लग्न से नवम राशि के स्वामी एवं चंद्रमा से नवम राशि के स्वामी को प्राप्त रश्मि संख्या को जोड़े फिर उस संख्या को 12 से भाग दें चूंकि कुंडली मे केवल 12 भाव होते हैं यदि योग 12 से कम आता हैं तो 12 से भाग देने की ज़रूरत नहीं होती ।
2) अब जो संख्या आए चंद्र लग्न से उतने आगे गिनने पर जो राशि आएगी वह धन लग्न होगी । चन्द्र को इन्दु भी कहते हैं तथा चन्द्र लग्न से गिनने के कारण ही इसे इन्दु लग्न कहा जाता हैं |
धन की स्थिति का आकलन करने के लिए निम्न बिंदु विचारणीय होंगे |
1) इन्दु लग्न में यदि एक शुभ ग्रह हो और वह पाप प्रभाव से मुक्त हो तो व्यक्ति करोड़पति बनता है |
2) इंदु लग्न में ऊंच का पाप ग्रह हो तो व्यक्ति धनवान व नीच का पाप ग्रह हो तो दरिद्र होता है |
3) इन्दु लग्न का स्वामी यदि इंदु लग्न को देख रहा हो तो व्यक्ति धनवान होता है |
4) इंदु लग्न का कुंडली के धनेश और लाभेश से किसी भी प्रकार का संबंध व्यक्ति को धनवान बनाता है
5) जब कोई