मंगल+शनि युति
(Saturn Mars conjunction)-
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मंगल शनि युति
(Saturn Mars conjunction)---__
----------------- मित्रों आज बात करते है शनि और मगंल जब हो कुंडली मे इकठ्ठे हो कुंडली में इन दोनों ग्रहों के भाव, स्थान व उनके संबन्धित कारकों को भी देखा जाना चाहिए।ज्योतिष का हर जानकार शनि ग्रह को धरती पर होने वाली सभी बुरी घटनाओं का प्रतीक व कारक मानता है।
संसार में होने वाले कष्ट, दुःख, संताप, मृत्यु, अपंगता, विकलता, दुष्टता, पतन, युद्ध, क्रूरता भरे कार्य, अव्यवस्था, विद्रोह इत्यादि का कारक ग्रह शनि ही माना जाता है। किसी की भी कुंडली में इसकी स्थिति बहुत महत्व रखती है मंगल हमारे शरीर में शक्ति के कारक माने जाते है | हमारे में जो फुर्ती होती है जोश और हिम्मत होती है किसी भी कार्य को तत्काल करने की क्षमता मंगल पर निर्भर करती है जबकि दूसरी तरफ शनि आलस्य के कारक माने जाते है| हम किसी कार्य को कितना टालते है हमारे शरीर में उर्जा की कमी होना या किसी भी कार्य को करने में देरी करना शनि के प्रभाव के फलस्वरूप हमारे शरीर में होती है| शनि सांप तो मंगल शेर यानी की ऐसे जातक में इन दोनों की मिलावट मिली हुई होगी तो ऐसा जातक विनम्र इंसान को माफ़ करने वाला लेकिन क्रूर इंसान को तबाह करने वाला होता है दुसरे शब्दों में ऐसा जातक बुरे इंसानो
को कभी माफ़ नही करता और उनका नुक्सान करता हैअब एक तो फुर्ती तेज़ी का प्रतीक जोश का प्रतीक मंगल तो दूसरी तरफ आलस्य के मारे शनि दोनों एक साथ हो गये है|} अत: स्पस्ट है की इन दोनों के अपने अपने प्रभाव में कुछ बदलाव तो जरुर आएगा| शनि जो हर कार्य को काफी सोच समझ कर करने के कारक माने जाते है ऐसे में मंगल की अथाह शक्ति को शनि की समझ का सहारा मिल जाता है और इंसान में बहादुरी के साथ अच्छी समझ का भी समावेश हो जाता है|लाल किताब के मुताबिक की जब मंगल के साथ शनि हो तो मंगल अपनी सारी शक्ति शनी देव को दे देते है और खुद बुद्ध की तरह खाली हो जाते है और शनिचर ज्यादा बलि हो जाते है| इसका उदाहरण देकर समझाया गया है की ऐसे इन्सान के भाई की हालत जातक से जातक से अच्छी नही होती यानी वो किसी न किसी चीज में जातक से कम होता है जैसे धन दौलत ऐसे इन्सान के घर चोरी होने का भय भी बना रहता है|शनि मंगल का योग व्यक्ति को तकनीकी कार्यों जैसे इंजीनियरिंग आदि में आगे ले जाता है और यह योग कुंडली के शुभ भावों में होने पर व्यक्ति पुरुषार्थ से अपनी तकनीकी प्रतिभाओं के द्वारा सफलता पाता है। मित्रों शनि को कार्य के लिये और मंगल को तकनीक के लिये माना जाता है। शनि का रंग काला है तो मंगल का रंग लाल है,दोनो को मिलाने पर कत्थई रंग का निर्माण होजाता है। कत्थई रंग से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुयें व्यक्ति स्थान पदार्थ सभी शनि मंगल की युति में जोडे जाते है। शनि जमा हुआ ठंडा पदार्थ है तो मंगल गर्म तीखा पदार्थ है,दोनो को मिलाने पर शनि अपने रूप में नही रह पाता है जितना तेज मंगल के अन्दर होता है उतना ही शनि ढीला हो जाता है। इस बात को रोजाना की जिन्दगी में समझने के लिये घर मे बनने वाली आलू की सब्जी के लिये सोचिये,आलू की सिफ़्त शनि में जोडी जाती है कारण जमीन के अन्दर से यह सब्जी उगती है जड के रूप में इसका आस्तित्व है,जब निकाला जाता है तो जमा हुआ पानी और अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है। यह सूर्य की गर्मी से सड जाता है इसके लिये इसे कोड स्टोरेज में रखा जाता है और समय पर निकाल कर इसे प्रयोग में लाया जाता है,सब्जी बनाते वक्त इसे छिलके को निकाल कर मिर्च मशाले आदि के साथ सब्जी के रूप में पकाया जाता है जितनी गर्मी इसे दी जायेगी उतना ही पतला यह पक जायेगा,लेकिन अपने अन्दर के पानी के अनुसार ही यह ढीला या कडक बनेगा,भोजन के समय इसे प्रयोग करने पर अपने रूप परिवर्तन से आराम से खाया जा सकता है। अगर इसे गर्म नही किया जाये तो यह पकेगा नही और कसैला स्वाद देगा और खाया भी नही जायेगा। सीधे आग में डालने पर यह जल जायेगा,फ़्लेम वाली आग में यह पकेगा नही,जितनी मन्दी आग से इसे पकाया जायेगा उतना ही स्वादिष्ट बनेगा। दूसरा उदाहरण मंगल की भोजन में प्रयोग की जाने वाली मिर्च से भी लिया जाता है,जब मिर्च अधिक हो जाती है तो शरीर के अन्दर जमा हुआ कफ़ जो शनि के द्वारा पैदा किया जाता है पिघलना शुरु हो जाता है,जितनी अधिक मिर्च खायी जाती है उतना अधिक कफ़ शरीर से पिघलना शुरु हो जाता है,यहां तक कि अगर अधिक मिर्ची खायी जाये तो शरीर में जलन पैदा हो जाती है,शरीर में वसा के रूप में जमा शनि का पदार्थ पिघल कर आन्सू की रूप में कफ़ के रूप में नाक के रूप में पेशाब के समय चर्बी के रूप में मल को पतला करने के बाद दस्त के रूप में निकल जायेगा,अधिक मिर्च के प्रयोग करने पर यह शरीर की रक्षा के रूप में उपस्थित और सर्दी गर्मी से शरीर को बचाने वाले पदार्थ को शरीर से निकाल कर बाहर कर देगी। उसी प्रकार से धीमी आंच पर रखा हुआ पानी भी भाप की शक्ल में बर्तन से विलीन हो जायेगा। यह मंगल की सिफ़्त है। एक बात और भी मानी जाती है कि शनि का स्थान गन्दी जगह पर होता है और मंगल का स्थान गर्म जगह पर होता है,जिन जातकों की कुंडली में शनि मंगल की युति होती है उनका खून किसी न किसी प्रकार के इन्फ़ेक्सन से युक्त होता है। शनि के अन्दर एक बात और देखी जाती है कि वह जड है उसे कोई भान नही है,जैसे सूर्य देखने की क्षमता रखता है चन्द्र सोचने की क्षमता को रखता है मंगल हिम्मत को दिखाने की क्षमता को रखता है बुध गन्द को सूंघने की क्षमता को रखता है,गुरु सुनने और काम शक्ति के विकास की क्षमता को रखता है शुक्र स्पर्श से समझने की क्षमता का रूप होता है,राहु आकस्मिक घटना को देने की ताकत को रखता है तो केतु स्वभाव से ही सहायता के लिये सामने होता है,लेकिन शनि जड है उसे जैसा साधनों से बनाया जाता है वैसा ही वह बन जाता है। मंगल के साथ तकनीकी कारण से शनि जमे हुये कार्य को पिघलाने का काम करता है। शनि पत्थर है और उसे लाल रंग से रंग दिया जाये तो वह धर्म के रूप में बन जायेगा,शनि चोर है तो मंगल सिपाही है। शनि पत्थर है तो मंगल लोहा है,इसलिये ही शनि के लिये लोहे का छल्ला पहिना जाता है। रिस्तो मे देखा जाये तो शनि कर्म है मंगल भाई है,शनि दुख है तो मंगल भाई का दुख है,शनि खेती का काम है तो मंगल मशीनरी है,शनि जेल है तो मंगल उसका प्रहरी है,शनि विदेशी है तो मंगल उसे कन्ट्रोल करने वाला है,शनि कोयला है तो मंगल तपती हुई आग है,शनि कमजोर है तो मंगल उसके अन्दर शक्ति को देने वाला है,शनि डाकू है तो मंगल उसकी उसकी साहस की सीमा है,शनि बुजुर्ग दार्शनिक है तो मंगल उसके तामसिक विचार है,शनि कब्रिस्तान है तो मंगल जलती हुई आग है,शनि खंडहर है तो मंगल उसके अन्दर तपती हुयी रेत है,शनि बाल है तो मंगल उसे काटने वाला नाई है,शनि लकवा है तो मंगल गर्म सेंक है,शनि फ़ोडा है तो मंगल आपरेशन है,शनि कर्म है तो मंगल रसोई है,शनि मधुमक्खी है तो मंगल उसके अन्दर का जहर है,शनि आलू का पकौडा है तो मंगल उसके अन्दर मीठी चटनी है। शनि काम करने वाले कर्मचारी है तो मंगल कार्य स्थल की रखवाली करने वाला गार्ड है। शनि घर है तो मंगल उसका दरवाजा है। मंगल खून चोट चेचक अपेन्डिक्स हार्निया देता है तो शनि वात लकवा ह्रदय की बीमारी ट्यूमर ब्रांकाइटिस की बीमारी देता है। मंगल शनि की युति में कार्य तकनीकी होते है मशीन के कार्य भी होते है,व्यापारिक राशि तुला में अगर युति है तो मारकेटिंग की क्षमता भी होती है,एम बी ए आदि करने के बाद बाजार का तकनीकी ज्ञान भी होता है। शनि कार्य होता है तो मंगल कार्य में संघर्ष भी देता है,एक भाई को कष्ट जरूर होता है,मंगल युवा होता है और शनि उसे बुजुर्ग जैसे कष्ट भी देता है,शनि कार्य है तो मंगल उत्तेजना में उसे बदलने का रूप भी बन जाता है। शत्रु अधिक होते है और किसी प्रकार से चन्द्रमा सामने हो तो नाक पर गुस्सा करने वाला व्यक्ति भी होता है। मंगल शनि के साथ वक्री हो तो उत्साह में कमी होती है,काम शक्ति निर्बल होती है,शनि मंगल के साथ वक्री हो तो अधिकार को प्राप्त करने की जल्दबाजी होती है और वह अधिकार भले ही खास आदमी की मौत करनी पडे लेकिन अधिकार जल्दी से लेने में दिक्कत नही होती है। मंगल शनि की दशा में तीन महिना पहले से और तीन महिना बाद तक तथा बीच के एक महिना में घोर कष्ट भुगतने पडते है। शनि में मंगल की दशा में उन्नीस महिने का घोर कष्ट होता है। शनि मंगल के साथ होने पर जातक को बहुत मेहनत के बाद ही सफ़लता मिलती है,हर काम में असन्तोष होता है,वह अपने तकनीकी कारणॊ से ऊंची पदवी वाले लोगो से अनबन ही रखता है,साथ ही गलतफ़हमी का शिकार भी होता रहता है,कार्य भी अक्सर चलते हुये अपने आप बन्द हो जाते है अगर जातक नौकरी करता है तो इन्ही कारणो से उसे बार बार कार्य बदलने पडते है,किसी के कार्य से उसे सन्तोष होता ही नही है। यह युति अगर तीन सात या ग्यारह में चन्द्रमा के साथ होती है तो जातक को नौकरी में परेशानी होती है जीवन साथी की नाक पर गुस्सा होता है और इसी कारण से वैवाहिक जीवन और नौकरी दोनो ही परेशानी में होती है,जीवन साथी को बीमारियों की बजह से और नौकरी को तकनीकी कमियों से परेशान होने के लिये भी जाना जाता है। धन हानि भी होती है,नौकरी करने में परेशानी भी होती है,व्यापार आदि में कठिनायी भी होती है। अगर यह युति ग्यारहवे भाव में है और राहु छठे भाव में है तो जातक को कार्य के अन्दर बहाने बनाने की आदत होती है साथ ही वह आंख बचाकर काम करने वाला होता है,छठे से छठा कर घर कार्य में चोरी की आदत भी देता है और जातक को किसी न किसी बात पर अचानक धन का मुआवजा देने या पुलिस आदि में रिपोर्ट होने तथा परेशान होने की बात भी मिलती है। एक भाई को सजा वाली बातें भी मिलती है।