खेचरीमुद्रा किसे कहते है
Shareखेचरीमुद्रा मुँह में जिव्हा की उल्टा करके तालु से लगाई जाती हैं निरन्तर करने से कुछ समयोपरांत तालु के छिद्र से अमृत स्त्रावित होता हैं जिसमें बाल से भी पतली जगह जहाँ से अमृत वर्षा होती हैं इस पतली जगह से अमृत निकलता है जिससे न भूख लगती हैं न प्यास इसे ही खेचरीमुद्रा कहते हैं
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