संवत 2077 25 मार्च 2020
Share>>नए वर्ष 2077(2020)संवत् vs कोरोना पर विश्लेषण->> सबसे पहले सभी देशवासियों को भारत के नए संवत्सर 2077 पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं पूरे वैश्विक स्तर पर चल रहा को रोना का क्या नए संवत 2077(san 2020) कोई तालमेल है या नहीं जाने अगर हम बात करें इस वर्ष के तो नया वर्ष का राजा बुध एवं मंत्री चंद्रमा रहेंगे और नए संवत्सर 2077चैत्र शुक्ला एकम 25 मार्च नाम से ही हमें जान पड़ता है कि इस वर्ष का संवत्सर का नाम प्रमादी संवत्सर है प्रमादी नाम का संवत्सर प्रमाद नाम के शब्द से बना है प्रमाद का सीधा अर्थ है (आधि व्याधि जरा पीड़ा मृत्यु क्लेश रोग भय क्षय) और इस वर्ष का राजा है बुध मंत्री है चंद्रमा और मेघेश सूर्य और रसेश से शनी मेघेश सूर्य और रसेश शनी का रहता यह काम पर्यावरण दूषित करते और बढ़ाते दाम अतः मैं संवत्सर 2077 पर दृष्टि डालें तो इस समय ग्रहों की स्थिति बहुत ही भयावर आइए जाने अगर अगर बात करें खगोल विज्ञान तो अभी गोचर में चल रहे हैं ग्रहों पर का दृष्टि डालें बात करें कोरोना पर तो ज्योतिष शास्त्र में संवत 2076 सन् 2019 में हीआपको अंकित कर दिया था कि कि राजा शनी और मंत्री सूर्य के कारण पर्यावरण प्रदूषित रहेगा जिसके कारण बहुत ही खतरनाक बीमारी का जन्म हो सकता है जोकि इस संवत्सर के अंत में कोरोना नाम का (वायरस) विषाणु हमने देखा इसका मूल कारण हम देखें तो अभी तक कोई पता लगा नहीं पा रहा है कि यह बीमारी हुई कहां से परंतु खगोल विज्ञान की तरफ दृष्टि डालें तो स्पष्ट संकेत हैं कि वर्ष का राजा शनी और मंत्री सूर्य संवत्सर में था इसके कारण पर्यावरण का प्रदूषण ही सबसे बड़ा कारण माना जाएगा आहार-विहार रखरखाव बहुत महत्व रखता है इसका मतलब सीधा यही है किक कई देशों में जो मांसाहार भोज इसका मुख्य कारण बना है अगर अभी ग्रहों की बात करें इस महामारी को बढ़ावा देने के लिए खगोल विज्ञान में राहु केतु शनी एवं बृहस्पति मुख्य रहेंगे राहु की स्थिति मिथुन राशि में उच्च की और केतु की स्थिति धनु राशि में उच्च की है उस शनि मकर राशि में स्थित है अतः राहु और शनि का षडाष्टक योग बहुत बड़े महामारी को जन्म दे रहा है और गुरु और केतु का संजोग चांडाल योग गुरु और केतु लगभग नवंबर माह से एक साथ में युवती कर बैठे हैं जिसके कारण गुरु चांडाल योग बना हुआ और गुरु की स्थिति नीच अभिलाषी है एवं गुरु अतिचारी (fast speed) गति से नीच का होने जा रहा है अभी 29 मार्च को मकर राशि में प्रवेश करके एक बृहस्पति अपनी समस्त ऊर्जा( positive energy) होकर स्वयं निर्बल हो जाएगा जिसके प्रभाव से immunity power, रोगों से लड़ने की क्षमता प्रतिरोधक क्षमता आध्यात्मिक बल में भारी कमी आ जाएगी इसके कारण भी यह महामारी अपने नियंत्रण से बाहर जाएगी बात करेंगे यह महामारी कब तक रहेगा इस महामारी से 30 मार्च के बाद 30 % राहत रहेगी 15 अप्रैल के बाद में सूर्य मेष राशि में उच्च राशि के होने पर पुणे संपूर्ण विश्व में सूर्य के उच्च राशि में जाने की वजह से भी इस बीमारी पर नियंत्रण होके इसका खात्मा हो जाएगा पंडित पुष्पराज आचार्य ज्योतिष /वास्तुमअनुसंधान केंद्र जावरा >>नए वर्ष 2077(2020)संवत् vs कोरोना पर विश्लेषण->> सबसे पहले सभी देशवासियों को भारत के नए संवत्सर 2077 पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं पूरे वैश्विक स्तर पर चल रहा को रोना का क्या नए संवत 2077(san 2020) कोई तालमेल है या नहीं जाने अगर हम बात करें इस वर्ष के तो नया वर्ष का राजा बुध एवं मंत्री चंद्रमा रहेंगे और नए संवत्सर 2077चैत्र शुक्ला एकम 25 मार्च नाम से ही हमें जान पड़ता है कि इस वर्ष का संवत्सर का नाम प्रमादी संवत्सर है प्रमादी नाम का संवत्सर प्रमाद नाम के शब्द से बना है प्रमाद का सीधा अर्थ है (आधि व्याधि जरा पीड़ा मृत्यु क्लेश रोग भय क्षय) और इस वर्ष का राजा है बुध मंत्री है चंद्रमा और मेघेश सूर्य और रसेश से शनी मेघेश सूर्य और रसेश शनी का रहता यह काम पर्यावरण दूषित करते और बढ़ाते दाम अतः मैं संवत्सर 2077 पर दृष्टि डालें तो इस समय ग्रहों की स्थिति बहुत ही भयावर आइए जाने अगर अगर बात करें खगोल विज्ञान तो अभी गोचर में चल रहे हैं ग्रहों पर का दृष्टि डालें बात करें कोरोना पर तो ज्योतिष शास्त्र में संवत 2076 सन् 2019 में हीआपको अंकित कर दिया था कि कि राजा शनी और मंत्री सूर्य के कारण पर्यावरण प्रदूषित रहेगा जिसके कारण बहुत ही खतरनाक बीमारी का जन्म हो सकता है जोकि इस संवत्सर के अंत में कोरोना नाम का (वायरस) विषाणु हमने देखा इसका मूल कारण हम देखें तो अभी तक कोई पता लगा नहीं पा रहा है कि यह बीमारी हुई कहां से परंतु खगोल विज्ञान की तरफ दृष्टि डालें तो स्पष्ट संकेत हैं कि वर्ष का राजा शनी और मंत्री सूर्य संवत्सर में था इसके कारण पर्यावरण का प्रदूषण ही सबसे बड़ा कारण माना जाएगा आहार-विहार रखरखाव बहुत महत्व रखता है इसका मतलब सीधा यही है किक कई देशों में जो मांसाहार भोज इसका मुख्य कारण बना है अगर अभी ग्रहों की बात करें इस महामारी को बढ़ावा देने के लिए खगोल विज्ञान में राहु केतु शनी एवं बृहस्पति मुख्य रहेंगे राहु की स्थिति मिथुन राशि में उच्च की और केतु की स्थिति धनु राशि में उच्च की है उस शनि मकर राशि में स्थित है अतः राहु और शनि का षडाष्टक योग बहुत बड़े महामारी को जन्म दे रहा है और गुरु और केतु का संजोग चांडाल योग गुरु और केतु लगभग नवंबर माह से एक साथ में युवती कर बैठे हैं जिसके कारण गुरु चांडाल योग बना हुआ और गुरु की स्थिति नीच अभिलाषी है एवं गुरु अतिचारी (fast speed) गति से नीच का होने जा रहा है अभी 29 मार्च को मकर राशि में प्रवेश करके एक बृहस्पति अपनी समस्त ऊर्जा( positive energy) होकर स्वयं निर्बल हो जाएगा जिसके प्रभाव से immunity power, रोगों से लड़ने की क्षमता प्रतिरोधक क्षमता आध्यात्मिक बल में भारी कमी आ जाएगी इसके कारण भी यह महामारी अपने नियंत्रण से बाहर जाएगी बात करेंगे यह महामारी कब तक रहेगा इस महामारी से 30 मार्च के बाद 30 % राहत रहेगी 15 अप्रैल के बाद में सूर्य मेष राशि में उच्च राशि के होने पर पुणे संपूर्ण विश्व में सूर्य के उच्च राशि में जाने की वजह से भी इस बीमारी पर नियंत्रण होके इसका खात्मा हो जाएगा पंडित पुष्पराज आचार्य ज्योतिष /वास्तुमअनुसंधान केंद्र जावरा