जन्म नक्षत्रों का जीवन पर प्रभाव 2
Share५.मृगशिरा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व पर प्रभाव:-वैदिक ज्योतिष में मूल रूप से २७नक्षत्रों का जिक्र किया गया है। नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है । इस नक्षत्र पर मंगलदेव का प्रभाव रहता है क्योंकि इस नक्षत्र का स्वामी मंगलदेव है!जैसा कि हम आप जानते हैं व्यक्ति जिस नक्षत्र में जन्म लेता है उसके स्वभाव पर उस नक्षत्र विशेष का प्रभाव रहता है। नक्षत्र विशेष के प्रभाव से व्यक्तित्व का निर्माण होने के कारण ज्योतिषशास्त्री जन्म कुण्डली में जन्म के समय उपस्थित नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति के विषय में तमाम बातें बता देते हैं। जिनके जन्म के समय मृगशिरा नक्षत्र होता है अर्थात जो मृगशिरा नक्षत्र में पैदा होते हैं उनके विषय में ज्योतिषशास्त्री कहते हैं । मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। जो व्यक्ति मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेते हैं उनपर मंगल का प्रभाव देखा जाता है यही कारण है कि इस नक्षत्र के जातक दृढ़ निश्चयी होते हैं ये स्थायी काम करना पसंद करते हैं, ये जो काम करते हैं उसमें हिम्मत और लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये आकर्षक व्यक्तित्व और रूप के स्वामी होते हैं।ये हमेशा सावधान एवं सचेत रहते हैं। ये सदा उर्जा से भरे रहते हैं, इनका हृदय निर्मल और पवित्र होता है। अगर कोई इनके साथ छल करता है तो ये धोखा देने वाले को सबक सिखाये बिना दम नहीं लेते। इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है लोग इनसे मित्रता करना पसंद करते हैं। ये मानसिक तौर पर बुद्धिमान होते और शारीरिक तौर पर तंदरूस्त होते हैं। इनके स्वभाव में मौजूद उतावलेपन के कारण कई बार इनका बनता हुआ काम बिगड़ जाता है या फिर आशा के अनुरूप इन्हें परिणाम नहीं मिल पाता है। ये संगीत के शौकीन होते हैं, संगीत के प्रति इनके मन में काफी लगाव रहता है। ये स्वयं भी सक्रिय रूप से संगीत में भाग लेते हैं परंतु इसे व्यवसायिक तौर पर नहीं अपनाते हैं। इन्हें यात्रओं का भी शौक होता है, इनकी यात्राओं का मूल उद्देश्य मनोरंजन होता है। कारोबार एवं व्यवसाय की दृष्टि से यात्रा करना इन्हें विशेष पसंद नहीं होता है।व्यक्तिगत जीवन में ये अच्छे मित्र साबित होते हैं, दोस्तों की हर संभव सहायता करने हेतु तैयार रहते हैं। ये स्वाभिमानी होते हैं और किसी भी स्थिति में अपने स्वाभिमान पर आंच नहीं आने देना चाहते। इनका वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखमय होता है क्योंकि ये प्रेम में विश्वास रखने वाले होते हैं। ये धन सम्पत्ति का संग्रह करने के शौकीन होते हैं। इनके अंदर आत्म गौरव भरा रहता है। ये सांसारिक सुखों का उपभोग करने वाले होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बहादुर होते हैं ये जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव को लेकर सदैव तैयार रहते हैं।
६.आर्द्रा नक्षत्र के जातकव्यक्तित्व:-इस नक्षत्र की राशि मिथुन होती है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं उन पर जीवनभर राहु देव और बुधदेव का प्रभाव रहता है। राहुदेव और बुधदेव के प्रभाव के कारण व्यक्ति का जीवन, स्वभाव और व्यक्तित्व किस प्रकार होता है चलिए इसकी खोज करते हैं।शायद आपको पता होगा कि राहुदेव के प्रभाव से जातक को राजनीतिक क्षेत्र के हर प्रकार से विजय प्राप्त करता है और अन्य प्रकार की कूटनीतिक चालें भी चलना जानता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को राहुदेव का यह गुण स्वभाविक रूप से मिलता है फलत: जातक राजनीति में अव्वल होते है और चतुराई से अपना मकसद पूरा करना जानते है। ये किसी से भी अपना काम आसानी से निकाल लेते हैं। अपनी मधुर वाणी और वाक्पटुता से ये लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। इनकी सफलता और कामयाबी का एक बड़ा राज है, इनमें वक्त की नब्ज़ को पकड़ने की क्षमता का होना व उनके अनुसार अपने आप को तैयार कर लेना। यह अपने सामने वाले व्यक्ति को भी पढ़ना जानते हैं जिससे आसानी से कोई इन्हें मात नहीं दे पाता।इस नक्षत्र के जातक का मस्तिष्क हमेशा क्रियाशील और सक्रिय रहता है ये एक बार जिस काम को करने की सोचते हैं उसमें जी-जान से जुट जाते हैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ये पूरी ताकत झोंक देते हैं, सफलता हेतु साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति भी खुल कर अपनाते हैं। ये राजनीति में जितने पारंगत होते हैं उतने ही आध्यत्म में रूचि रखते है। ये स्वयं अध्यात्म को अपनाते हैं और दूसरो को भी इस दिशा में प्रेरित करते हैं। अपने गुणों और क्षमताओं के कारण इनमें अहम की भावना भी कभी कभी दृष्टिगोचर होती है इस नक्षत्र के जातक कभी खाली बैठना पसंद नहीं करते, इनके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है। ये आम तौर पर प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में सक्रिय रहते हैं और अगर प्रत्यक्ष रूप से न भी रहें तो अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक हलकों में इनकी अच्छी पकड़ रहती है, ये राजनेताओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति निजी लाभ के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं, ये अपने लाभ के लिए नैतिकता को ताक पर रखने से भी नहीं चूकते हैं। इनके स्वभाव की इस कमी के कारण समाज में इनकी छवि बहुत अच्छी नहीं रहती और लोग इनके लिए नकारात्मक विचार रखने लगते हैं।आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने से विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति विशेष लगाव रखते हैं । ये सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए काफी लालायित रहते हैं। हैं।
७.पुनर्वसु के जातक का व्यक्तित्व:-इस नक्षत्र के विषय में मान्यता है कि जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं उनमें कुछ न कुछ दैवी शक्ति होती है। इस नक्षत्र के जातक में और क्या गुण होते हैं और उनका व्यक्तित्व कैसा होता है आइये चर्चा करें:ज्योतिषशास्त्र मे कहा गया है कि जो व्यक्ति पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म् लेते हैं उनका हृदय कोमल होता है, उनकी वाणी में कोमलता व मधुरता रहती है। इनका शरीर भारी भड़कम होता है, इनकी स्मरण क्षमता काफी अच्छी होती है, ये एक बार जिस चीज़ को देख या पढ़ लेते हैं उसे लम्बे समय तक अपनी यादों में बसाये रखते हैं। पुनर्वसु के जातक की अन्तदृष्टि काफी गहरी होती है। इनका स्वभाव एवं व्यवहार सरल और नेक होता है जिसके कारण समाज में इनको काफी मान सम्मान एवं आदर प्राप्त होता है।पुनर्वसु नक्षत्र में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वे काफी मिलनसार होते हैं, ये सभी के साथ प्रेम और स्नेह के साथ मिलते है, इनका व्यवहार सभी के साथ दोस्ताना होता है। इनके ऊपर दैवी कृपा बनी रहती है। जब भी इनपर कोई संकट या मुश्किल आती है अदृश्य शक्तियां स्वयं इनकी मदद करती हैं। ये आर्थिक मामलों के अच्छे जानकार होते हैं, वित्त सम्बन्धी मामलों में ये सफलता प्राप्त करते हैं। अंग्रेजी साहित्य में रूचि रखते हैं, और इस भाषा के अच्छे जानकार होते हैं।इस लग्न में जिनका जन्म होता है वे उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करते हैं, अपनी शिक्षा के बल पर ये उच्च पद पर आसीन होते हैं। इन्हें सरकारी क्षेत्र में भी उच्च पद प्राप्त होता है। ये समाज और राजनीति से जुड़े बड़े बड़े लोगों से सम्पर्क बनाए रखते है। ये राजनीति में भी सक्रिय होते हैं, अगर राजनीति में न हों तो अप्रत्यक्ष रूप से नेताओं से निकटता बनाए रखते हैं। इस नक्षत्र के जातक अगर सक्रिय राजनीति में भाग लें तो इन्हें सत्ता सुख प्राप्त होता है .इनका पारिवारिक और वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखद होता है। इनके बच्चे शिक्षित, समझदार होते हैं, ये जीवन में कामयाब होकरउच्च स्तर का जीवन प्राप्त करते हैं। पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति के पास काफी मात्रा में धन होता है। ये अपने व्यवहार और स्वभाव के कारण समाज बेहतर मुकाम हासिल करते हैं।
८ पुष्य नक्षत्र के जातक परिपक्व होते हैं:-पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनिदेव है । शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव व व्यवहार कैसा होता है आइये इस पर चर्चा करते हैं।ज्योतिषशास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है । वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है । इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा एवं मदद करना अच्छा लगता है।। इन नक्षत्र के जातक को बाल्यावस्था में काफी मुश्किलों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। कम उम्र में ही विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरने के कारण युवावस्था में कदम रखते रखते परिपक्व हो जाते हैं।इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये अध्यात्म में काफी गहरी रूचि रखते हैं और ईश्वर भक्त होते हैं। इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये चंचल मन के होते हैं। ये अपने से विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति काफी लगाव व प्रेम रखते हैं। ये यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं। ये अपनी मेहनत से जीवन में धीरे-धीरे तरक्की करते जाते हैं।पुष्य नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति अपनी मेहनत और लगन से जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। ये गैर जरूरी चीज़ों में धन खर्च नहीं करते हैं, धन खर्च करने से पहले काफी सोच विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। ये व्यवस्थित और संयमित जीवन के अनुयायी होते हैं। अगर इनसे किसी को मदद चाहिए होता है तो जैसा व्यक्ति होता है उसके अनुसार उसके लिए तैयार रहते हैं और व्यक्तिगत लाभ की परवाह नहीं करते।ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। ये किसी भी दशा में सत्य से हटना नही चाहते, अगर किसी कारणवश इन्हें सत्य से हटना पड़ता है तो, ये उदास और खिन्न रहते हैं। ये आलस्य को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते, व एक स्थान पर टिक कर रहना पसंद नहीं करते।
९.आश्लेषा नक्षत्र के जातक:- नक्षत्रों की गणना के क्रम में आश्लेषा नक्षत्र नवम स्थान पर आता है। यह नक्षत्र कर्क राशि के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध होता है। इस नक्षत्र को अशुभ नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह गण्डमूल नक्षत्र के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति गण्डमूल नक्षत्र से प्रभावित होते हैं।शास्त्रों का मानना है कि यह नक्षत्र विषैला होता है। प्राण घातक कीड़े मकोड़ो का जन्म भी इसी नक्षत्र में होता है। ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है व उनमें विष का अंश पाया जाता है। इस नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव, व्यवहार और व्यक्तित्व कैसा होता है आइये इसे और भी विस्तार से जानें:ज्योतिषशास्त्र कहता है आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बहुत ही ईमानदार होते हैं परंतु मौकापरस्ती में भी पीछे नहीं रहते यानी ये लोगों से तब तक बहुत अधिक घनिष्ठता बनाए रखते हैं जबतक इनको लाभ मिलता है। इनका स्वभाव हठीला होता है, ये अपने जिद आगे किसी की नहीं सुनते हैं। भरोसे की बात करें तो ये दूसरे लोगों पर बड़ी मुश्किल से यकीन करते हैं।आश्लेषा नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति बहुत ही बुद्धिमान होते हैं और अपनी बुद्धि व चतुराई से प्रगति की राह में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। ये अपनी वाणी की मधुरता का भी लाभ उठाना खूब जानते हैं। ये शारीरिक मेहनत की बजाय बुद्धि से काम निकालना जानते है। ये व्यक्ति को परखकर उसके अनुसार अपना काम निकालने में होशियार होते हैं। ये खाने पीने के भी शौकीन होते हैं, परंतु इनके लिए नशीले पदार्थ का सेवन हितकर नहीं माना जाता है।ज्योतिषशास्त्र की मानें तो यह कहता है, जो लोग इस नक्षत्र में पैदा लेते हैं वे व्यवसाय में काफी कुशल होते हैं। ये नौकरी की अपेक्षा व्यापार करना अच्छा मानते हैं, यही कारण है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अधिक समय तक नौकरी नहीं करते हैं, अगर नौकरी करते भी हैं तो साथ ही साथ किसी व्यवसाय से भी जुड़े रहते हैं। इसका कारण यह है कि ये पढ़ाई लिखाई में तो ये सामान्य होते हैं परंतु वाणिज्य विषय में अच्छी पकड़ रखते हैं। ये भाषण कला में प्रवीण होते हैं, जब ये बोलना शुरू करते है तो अपनी बात पूरी करके ही शब्दों को विराम देते हैं। इनमें अपनी प्रशंसा सुनने की भी बड़ी ख्वाहिश रहती है।इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है वे अच्छे लेखक होते हैं। अगर ये अभिनय के क्षेत्र में आते हैं तो सफल अभिनेता बनते हैं। ये सांसारिक और भौतिक दृष्टि से काफी समृद्ध होते हैं एवं धन दौलत से परिपूर्ण होते हैं। इनके पास अपना वाहन होता है, ये व्यवसाय के उद्देश्य से काफी यात्रा भी करते है। इनमें अच्छी निर्णय क्षमता पायी जाती है। इनके व्यक्तित्व की एक बड़ी कमी यह है कि अगर अपने उद्देश्य में जल्दी सफलता नहीं मिलती है तो ये अवसाद और दु:ख से भर उठते हैं। अवसाद और दु:ख की स्थिति में ये साधु संतों की शरण लेते हैं।इस नक्षत्र के जातक का साथ कोई दे न दे परंतु भाईयों से पूरा सहयोग मिलता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री के विषय में ज्योतिषशास्त्र कहता है कि ये रंग रूप में सामान्य होते हैं, लेकिन स्वभाव एवं व्यवहार से सभी का मन मोह लेने वाली होती है। जो स्त्री इस नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्म लेती हैं वे बहुत ही भाग्यशाली होती हैं ये जिस घर में जाती हैं वहां लक्ष्मी बनकर जाती हैं अर्थात धनवान होती हैं।ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि जिनका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है उन्हें गण्डमूल नक्षत्र की शांति करवानी चाहिए व भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
१०.मघा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व:-नक्षत्र मंडल में मघा नक्षत्र गिनती में दसवें स्थान पर आता है । मघा नक्षत्र को भी गण्डमूल नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है। मघा नक्षत्र का स्वामी केतु को माना जाता है। इस नक्षत्र के चारों पद सिंह राशि में आते हैं इसलिए सूर्य का प्रभाव भी इस नक्षत्र के जातक पर रहता है क्योंकि राशि का स्वामी सूर्य होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर नक्षत्र का क्या प्रभाव रहता है और इस प्रभाव के कारण व्यक्ति का स्वभाव, व्यक्तित्व और व्यवहार कैसा होता है आइये देखेंज्योतिषशास्त्रियों की दृष्टि में जो व्यक्ति मघा नक्षत्र में जन्म लेते हैं वे प्रभावशाली होते हैं। ये जहां भी रहते हैं अपना दबदबा बनाकर रखते हैं इस नक्षत्र के जातक समझदार होते हैं परंतु क्रोधी भी बहुत होते हैं ये छोटी छोटी बातों पर नाराज़ हो जाते हैं। ये उर्जावान और कर्मठ होते हैं जिस काम का जिम्मा लेते हैं उसे जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करते हैं। इनका दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रहता है।मघा नक्षत्र के जातकों के विषय में यह कहा जाता है कि ये कभी कभी ऐसा कार्य कर जाते हैं जिससे देखने वाले अचम्भित रह जाते हैं। इनमें स्वाभिमान की भावना प्रबल रहती है, अपने स्वाभिमान के साथ ये कभी समझौता नहीं करते। अपने मान सम्मान को बनाए रखने के लिए ये हर संभव प्रयास करते हैं और सोच विचार कर कार्य करते हैं। जबकि इनके बारे में लोग यह सोचते हैं कि व्यक्ति जल्दबाज है और कोई भी निर्णय सोच समझकर नहीं लेते।इनका ईश्वर में पूर्ण विश्वास होता है। ये ईश्वर में गहरी आस्था रखते हैं। ये सरकार और सरकारी तंत्र से निकट सम्बन्ध बनाकर रखते हैं तथा समाज में भी उच्च वर्ग के लोगों से अच्छे सम्बन्ध बनाए रखते हैं। इन सम्बन्धों के कारण इन्हें काफी लाभ भी मिलता है। ये पूर्ण सांसारिक सुखों का उपभोग करने वाले होते हैं तथा इनके पास कई काम करने वाले होते हैं। धन सम्पत्ति के मामले में ये काफी समझदारी और अक्लमंदी दिखाते है। आर्थिक लाभ का जब मामला होता है तब उसमें पूरी क्षमता लगा देते हैं फलत: सफलता इनके कदमों पर होती है।जहां तक मित्रता का प्रश्न है, इस नक्षत्र के जातकों के बहुत अधिक मित्र नहीं होते हैं, लेकिन जो भी मित्र होते है उनसे अच्छी मित्रता और प्रेम रखते हैं। ये यात्रा के बहुत शौकीन नहीं होते हैं, अगर यात्रा आवश्यक हो तभी सफर पर निकलते हैं अन्यथा घर पर रहना ही पसंद करते हैं। कार्य क्षेत्र में भी ये स्थायित्व को पसंद करते हैं अर्थात स्थिर कार्य करना पसंद करते हैं। बार बार काम में बदलाव लाना इन्हें पसंद नहीं होता।मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाली कन्या के विषय में कहा जाता है कि ये स्पष्टवादी होती हैं, इनके मन में जो आता है वे नि:संकोच बोलती हैं। ये हिम्मतवाली होती हैं और इनकी आकांक्षाएं बहुत ऊँची होती हैं।