लग्न और जातक स्वभाव

Share

Astro Manish Tripathi 09th Feb 2018

*कुंडली में लग्न के अनुसार जातक पर प्रभाव:-*

 

मेष लग्न-जन्म के समय यदि मेष लग्न हो तो जातक का औसत कद, सुघड़ शरीर, तीव्र स्वभाव, लालिमापूर्ण आंखें, महत्वाकांक्षी, साहसी, कमजोर टांगे, स्त्रीप्रिय, अभिमानी तथा अस्थिर धनवाला होता है।

इस लग्न पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति आवेशात्मक व झगड़ालू हो जाता है। ये लोग प्राय: स्थिर स्वभाव के नहीं होते, अत: जीवन में ये बार-बार काम बदलते हैं। फिर भी इनमें वला की कार्य कुशलता तथा कभी निराश न होने का गुण होता है। इनका स्वभाव प्राय: गरम होता है तथा ये अपने ऊपर पड़ी जिम्मेदारी को जल्दी ही निबटाना पसन्द करते हैं अर्थात् काम में विलम्ब करना इनका स्वभाव नहीं होता है। ये भोजन के शौकीन होते हैं, लेकिन फिर भी कम भोजन कर पाते हैं तथा जल्दी भोजन करना इनका स्वभाव होता है। कभी कभी इनके नाखूनों में विकार देखा जाता हैं ये लोग साहसिक कामों में अपनी प्रतिभा का विस्तार कर सकते हैं।

 

वृष लग्न-इस लग्न में जातक मध्यम शरीर, चर्बी रहित तथा शौकीन स्वभाव के होते हैं। ये प्राय: सुदर्शन व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं तथा कई स्त्रियों से भोग करने की लालसा रखते हैं। प्राय: रंग खुलता गेहुआं तथा बाल चमकदार होते हैं। इनकी जांघें मजबूत तथा इनकी चाल मस्तानी होती है। इनमें धैर्य खूब होता है, इसीलिए बहुत जल्दी ये लोग उत्तेजित नहीं होते हैं। यथासम्भव क्रोधित होने पर ये लोग खूंखार हो जाते हैं। ये लोग प्राय: प्रबल इच्छा शक्ति रखते हैं तथा जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करते हैं। ये जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाते। ये धन कमाते हैं तथा संसार के सारे सुखों को भोगना चाहते हैं। इनके जीवन का मध्य भाग काफी सुखपूर्वक व्यतीत होता है। इनके यहां कन्या सन्तान की अधिकता होती है।

 

मिथुन लग्न-मिथुन लग्न में उत्पन्न बालक लम्बे कद व चमकीले नेत्रों वाला होता है। इनकी भुजाएं प्राय: लम्बी देखी गयी हैं। ये लोग प्राय: खुश मिजाज व चिन्तारहित होते हैं। ये लोग प्राय: प्राचीन शास्त्रों में रुचि रखते हैं। तथा कुशल वक्ता होते हैं। अपनी बात को प्रभावी ढंग से पेश करना इनकी विशेषता होती है। इनकी नाम लम्बी व ऊंची होती है। ये लोग स्त्रियों या अपने से कम उम्र के लोगों से दोस्ती रखते हैं। इनकी एकतरफा निर्णय करने की शक्ति कुछ कम होती है। ये लोग कई व्यवसाय कर सकते हैं। स्वभावत: भावुक होते हैं तथा भावावेश में कभी अपना नुकसान सहकर भी परोपकार करते हैं। ये लोग उच्च बौद्धिक स्तर के होते हैं। तथा शीघ्र धनी बनने के चक्कर में कभी कभी सट्टा या लॉटरी का शौक पाल लेते हैं। इनकी मध्य अवस्था प्राय: संघर्षपूर्ण होती है। ये लोग कवित्व शक्ति से भी पूर्ण होते हैं।

 

कर्क लग्न-इन लग्न के लोग छोटे कद वाले होते हैं। इनका शरीर प्राय: मोटापा लिए होता है तथा जलतत्व राशि होने के कारण जल्दी सर्दी की पकड़ में आ जाते हैं। इनके फेफड़े कमजोर होते है। इन्हें नशीले पदार्थों का शौक होता है। इनका जीवन प्राय: परिवर्तनशील होता है। पूर्वावस्था में इन्हें संघर्ष करना पड़ता है। इनकी कल्पना शक्ति अच्छी होती है तथा लेखन का इन्हें शौक होता है। आवेश इनकी कमजोरी होती है तथा जीवन में ये तेज रफ्तार से दौड़ना चाहते हैं। ये लोग प्राय: मध्यावस्था में धन व सम्मान अर्जित करते हैं तथा स्वयं को कुछ श्रेष्ठ मानते हैं। इनकी स्मरण-शक्ति भी अद्भुत देखी गई है। ये लोग प्राय: बातूनी होते हैं। यदि सप्तम स्थान पर शुभ ग्रहों का प्रभाव न हो तो इनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता। गृहस्थ जीवन से ये बहुत लगाव रखते हैं। धन जमा करना इनका स्वप्न होता है। इन्हें अच्छी चीजों का शौक होता है। इनकी विचारधारा कभी बहुत शूरतापूर्ण तथा कभी बहुत भीरू होती है। जीवन के तीसरे पहर में इन्हें विरासत में धन-सम्पत्ति भी प्राप्त होती है।

 

सिंह लग्न-इस लग्न के जातक तीक्ष्ण स्वभाव वाले तथा क्रोधी होते हैं। इनका कद मध्यम व व्यक्तित्व रौबीला होता है, इन्हें पेट व दांत के रोग होने की सम्भावना रहती है। महत्वाकांक्षा बहुत होती है। ये लोग अपनी बात से बहुत हठी होते हैं तथा उच्चाधिकार प्राप्त होने पर ये खूब रौब जमाते हैं। इनका वैवाहिक जीवन प्राय: सुखी नहीं होता। ये लोग राजनीति में भी पड़ते हैं। ये लोग दूसरों पर अधिक विश्वास रखते हैं। प्राय: कृपालु व उदार-हृदय वाले ये लोग बहुत न्यायप्रिय होते हैं। माता के ये अधिक दुलारे होते हैं। इन्हें अभक्ष्य भक्षण का भी शौक होता है। पुत्र कम होते हैं। तथा सन्तान भी कम होती हैं।

 

कन्या लग्न- इस लग्न के व्यक्ति प्राय: मोटे नहीं होते तथा इनकी तोंद कम निकलती है। ये लोग समय-चतुर तथा बुद्घिमान होते हैं। औपचारिक शिक्षा में इनकी6 अभिरुचि कम होती है। ये लोग दुनियादारी में काफी तेज होते हैं। ये लोग शास्त्र के अर्थ को समझने वाले, गणित प्रेमी, चिकित्सा या ज्योतिष का शौक रखने वाले तथा गुणी होते हैं। ये लोग विवाह देर से करते हैं तथा विवाह के बाद गृहस्थी में रम जाते हैं। इनकी भौंहे आपस में मिली होती हैं। ये श्रृंगार प्रिय होते हैं। इनका झुकाव धन इकट्ठा करने की तरफ अधिक होता है। ये परिवर्तनशील स्वभाव के होते हैं। अत: ये हरफनमौला बनने का प्रयास करते हैं। यदि कमजोर लग्न हो तो भाग्यहीन होते हैं तथा बली लग्न में संघर्ष के बाद अच्छी सफलता पाते हैं। इन्हें यात्राओं का बहुत शौक होता है। इनकी अभिरुचियों में स्त्रीत्व का प्रभाव पाया जाता है।

 

तुला लग्न-इन लग्न के लोगों का व्यक्तित्व शानदार तथा आकर्षक होता है। इनकी नाक लम्बी व रंग गोरा होता है। ये मूल रूप से बड़े धार्मिक, सत्यवादी, इन्द्रियों को वश में करने वाले तथा तीव्र बुद्घि वाले होते हैं। ये धीर गम्भीर स्वभाव रखते हैं। यदि अष्टम स्थान तथा वृहस्पति पर शुभ प्रभाव हो तो ये सांसारिक होते हुए भी मानवीय मूल्यों की मिसाल होते हैं। क्रूर प्रभाव पड़ने से प्राय: तेज, चालक व शारीरिक श्रम करने वाले हो जाते हैं। इन लोगों में वैरागय की भावना भी जाग सकती है। ये लोग प्राय: सांसारिक सम्बन्धों को अधिक विस्तार नहीं देते है तथा प्राय: अपने परिवार के विरोध का सामना करते हैं। इनकी कल्पना शक्ति व विचारों का स्तर सामान्यत: उन्नत होता है। ये लोकप्रियता प्राप्त करते हैं। कई बड़े सत्पुरुषों का जन्म तुला लग्न में हुआ है। महात्मा गांधी व विवेकानन्द तुला लग्न के व्यक्ति थे। तुला लग्न के व्यक्ति बहुत प्रेममय होते हैं। ये लोग प्राय: लेखक, उपदेशक, व्यापारी आदि भी पाए जाते हैं।

 

वृश्चिक लग्न-इन लग्न के लोग संतुलित शरीर के होते हैं तथा इनके घुटने व पिंडलियां गोलाई लिए होती हैं। ये लोग अपनी बात पर अड़ जाते हैं, प्राय: ये बिना सोचे समझे भी बात को पकड़ कर अड़ते हैं। यद्यपि इनकी कल्पना शक्ति तीव्र होती है तथा ये बुद्धिमान भी होते हैं लेकिन अपने निकटवर्ती धोखेबाज को भी नहीं पहचान पाते। अक्सर ठगे जाने पर अक्लमंदी दिखाते हैं। इन्हें असानी से किसी तरफ भी मोड़ा जा सकता है। ये कामुक स्वभाव के होते हैं तथा अपनी स्त्री के अतिरिक्त भी अन्य स्त्रियों से शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं। दिखने में सरल होते हैं लेकिन अनेक फलितवेत्ता इस बात से सहमत हैं। कि इनमें छिपे तौर पर पाप  vकरने की प्रवृत्ति होती है। स्वभावत: ये खर्चीले स्वभाव के होते हैं, लेकिन अधिकांश खर्च अपने आराम व शौक पर करते हैं। इनका घरेलू जीवन अक्सर अस्त व्यस्त होता है, यदि शुभ प्रभाव से युक्त लग्न हो तो इनकी रुचि गुप्त विद्याओं की तरफ हो जाती है। शुभ प्रभाव वाले लग्न में उत्पन्न होने पर ये कुशल प्रशासक भी होते हैं।

 

धनु लग्न-ये लोग अच्छे शारीरिक गठन वाले होते हैं। शुभ प्रभाव होने पर ये लोग काफी सुन्दर होते हैं। लग्न पर बुरा प्रभाव होने पर इनके दॉत व नाक मोटे हो जाते हैं। ये परिश्रमी तथा धैर्यवान होते हैं। ये लोग जल्दी निर्णय नहीं ले पाते तथा काफी सोच विचार के उपरान्त ही कोई काम करते हैं। ये जोशीले व आलस्य रहित होते हैं अत: जीवन में ये काफी आगे बढ़ते हैं। ये लोग अक्सर सत्यवादी तथा ईमानदार होते हैं लेकिन शनि, राहु, मंगल का प्रभाव लग्न पर हो तो ये प्राय: स्वार्थी व धोखेबाज भी बन जाते हैं। तब इनकी कथनी व करनी में बहुत अन्तर होता है। प्राय: ये लोग धनी तथा भाग्यशाली होते हैं।

 

मकर लग्न-इस लग्न के लोग लम्बे कद के निकलते हैं। इनका शारीरिक विकास धीरे-धीरे होता है। ये दिखने में कठोर व्यक्तित्व वाले होते हैं। ये लोग दूसरों की बात को बड़े ध्यान से सुनते हैं तथा सुन-सुनकर ही बहुत कुछ सीखते हैं। इनकी सहन शक्ति बहुत होती है। ये लोग हर एक बात को बड़े व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखते हैं। ये लोग धीरे-धीरे सन्तोष से अपना काम करते है। यदि लग्न पर अशुभ प्रभाव हो तो ये लोग धोखेबाज, जेब कतरे, चोर तथा दादागिरी दिखाने वाले हो जाते हैं। इसके विपरीत शुभ प्रभाव होने पर ये ईमानदार तथा कर्तव्यनिष्ठ होते हैं। ये लोग अन्धभक्ति करने वाले, स्रेह से सब कुछ न्यौछावर करने वाले तथा शक्ति से वश में न होने वाले होते हैं। ये लोग बहुत परिश्रमी होते हैं। तथा सबके प्रति बड़ा सेवा भाव रखते हैं। यदि इनके स्वाभिमान की रक्षा होती रहे तो बड़े-बड़े दान-पुण्य के महान कार्य कर देते हैं। ये अड़ियल होते हैं। तथा मुसीबत का सीना तान कर सामना करते हैं। प्राय: ये पुरानी विचार धाराओं को मानने वाले होते हैं।

 

कुम्भ लग्न-इस लग्न के व्यक्ति पूरे लम्बे कद तथा लम्बी गरदन वाले होते हैं। ये लोग बहुत सन्तुलित स्वभाव वाले तथा एकान्त प्रिय देखे गए हैं। संघर्ष करने की इनमें क्षमता होती है। ये लोग अपने सिद्घान्त के लिए सब कुछ दांव पर लगा सकते हैं। इनका कभी कभी थोड़े समय के लिए बहुत भाग्योदय हो जाता है। ये लोग बीस वर्ष के उपरान्त ही सफलता पाना शुरू करते हैं। इनके काम रातों रात सम्पन्न नहीं होते, अपितु मेहनत से करने पड़ते हैं। इन्हें अपनी बात समझाकर अपने ढंग से चलाना बड़ा मुश्किल कार्य होता है। लेकिन बात समझ में आने पर ये पूरी ईमानदारी व तत्परता से उसे मान लेंगे। इन्हें जीवन में प्राय: हर सिरे से असन्तोष होता है। ये लोग अपने असन्तोष को कभी कभी संघर्ष की शक्ल में या विद्रोह के रूप में प्रकट करते हैं। शारीरिक कष्ट सहने की इनमें अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इनका विवाह थोड़ी देर से तथा अक्सर बेमेल होता है। ये लोग सबको अपने ढंग से चलाने का प्रयास करते हैं। प्राय: इनका भाग्योदय स्थायी नहीं होता है। फिर भी ये अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध होते हैं।

 

मीन लग्न-इन लग्न के व्यक्ति प्राय: नाटे देखे जाते हैं। इनका माथा औसत शरीर के अनुपात में थोड़ा बड़ा दिखता है। ये लोग जीवन में बेचैनी अनुभव करते हैं तथा कभी कभी दार्शनिकता की तरफ झुक जाते हैं। ये लोग अस्थिर स्वभाव के होते हैं। इनमें अभिनेता, कवि, चिकित्सक, अध्यापक, या संगीतकार बनने योग्य गुण होते हैं। इन्हें प्राय: पैतृक सम्पत्ति प्राप्त होती है तथा ये लोग उसे बढ़ाने की पूरी कोशिश करते हैं। भीतरी तौर पर ये लोग दब्बू तथा डरपोक होते हैं।

इन्हें सन्तान अधिक होती है। तथा ये स्वभाव से उद्यमी नहीं होते हैं। इन्हें जीवन में अचानक हानि उठानी पड़ती है। यदि वृहस्पति अशुभ स्थानों में अशुभ प्रभाव में हो तो प्रारम्भिक अवस्था में इनके जीवन की सम्भावना क्षीण होती हैं।

इस तरह हमने जाना कि जन्म लग्न मानव स्वभाव व उसके व्यक्तित्व की संरचना में बड़ा योगदान करता है। लग्न पर प्रभाव से उपर्युक्त गुणों में न्यूनता या अधिकता देखी जाती है। यदि लग्नेश बलवान होकर शुभ स्थानों में शुभ ग्रहों से दृष्ट या युत हो तो बहुत से दोषों को दूर कर देता है।


Like (0)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।