सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में रहते हैं और पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है। इससे सूर्य की आंशिक या पूर्ण रोशनी धरती पर नहीं आ पाती है और इसी घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं। ज्योतिष और वैज्ञानिक दृष्टि में सूर्य और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है. ज्योतषीय दृष्टि से कोई भी ग्रहण शुभ नहीं माना जाता ग्रहण के समय कुछ सावधानिया जरूर रखनी चाहिए ख़ासकर गर्भवती महिला को हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर होता है जबकि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि पर होता है। ग्रहण लगने की मान्यताएं राहु से जुड़ी मानी जाती है। जिसमें जब राहु सूर्य और चंद्रमा का ग्रास करता है तो इसे ग्रहण कहते हैं यानी कुंडली में जब भी राहु सूर्य या चंद्र के साथ होता है या देखता है तो ग्रहण योग बनता है सूर्य ग्रहण से १२ घंटे पहले सूतक लग जाता है जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है मंदिरो के कपाट बंद कर दिए जाते है मूर्तियों को स्पर्श करना भी वर्जित है ग्रहण के संजय क्या करे ग्रहण के समय पूजा पाठ करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है लकिन मानसिक जप, तप कर सकते है +सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं । अपनी राशि स्वामी ग्रह का मंत्र जप कर सकते हैं।सुखे खाद्य पदार्थों को छोड़ और खाने की चीजों में तुलसीपत्ता या कुश डालना चाहिए ताकि ग्रहण की वजह से ये चीजें दूषित न होने पाए । ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना भी वर्जित है।ग्रहण काल में भोजन नहीं करना चाहिए बालक वृद्ध या व्यक्ति रोगी है तो उन पर ये नियम लागू नहीं होता ।सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए बाल या नाखून काटने से बचना चाहिए तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय यथासंभव यात्रा करने से बचे ।गर्भवती महिलाओं को काटना, बुनना, सोना या सिलना नहीं चाहिए, उनको ईश्वर का जप करना चाहिए। ग्रहण के पूरे समय अपने पास कुश और गंगाजल रखें। साथ ही घर से न बाहर निकलें और न ग्रहण देखें।जहातक हो सके मलमूत्र भी ग्रहण के दौरान करने से बचे , नुकीली चीजों से दूर रहे सूर्य ग्रहण के बाद क्या करे घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, दुकान आदि कार्य स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए और हर जगह गंगाजल का छिड़काव करना उत्तम रहेगा। ग्रहण की नकारात्मक शक्तियां से बचाव के लिए सभी जगहों को समुंद्री नमक के पानी से धोना चाहिए, गंगाजल में पानी (बाल्टी में पहले गंगा जल डाले फिर बाल्टी भरे) डालकर खुद को स्नान करना चाहिए और घर के देवी-देवताओं को भी स्नान करवाना चाहिए।ग्रहण के बाद पवित्र नदी में यदि पास में हो तो स्नान करना चाहिए सूर्य ग्रहण के बाद सूर्य की चीजों का विशेष महत्व है तांबा या तांबे के बर्तन, गेहूं, सूत (रुई), चना, नमक, गुड़ आदि चीजों का दान करना चाहिए। गरीब व जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिए ।