*मांगलिक दोष भंग योग-:*
जन्म कुंडली में यदि मंगल देव 1,4,7,8 और 12 भाव में विद्यमान हो तो जातक की जन्मकुंडली में साधारणतया मांगलिक दोष का निर्माण होता है। जिस कारण जातक का दांपत्य जीवन में भी बिखराव उत्पन्न हो जाता है। अर्थात पति पत्नी के रिश्ते अच्छे नहीं होते हैं और उनमें तलाक तक की स्थिति हो जाती है। यदि मंगल 1,4,7,8 ,12 भाव में विद्यमान हो तब भी कुछ ऐसी विशेष कंडीशन होती है जिस कारण से मंगल देव मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करते हैं , जानते हैं वे कौन सी स्थितियां होती है जिस कारण से मंगल देव 1,4,7,8, 12 भाव में विद्यमान होकर भी मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करते हैं उनका मांगलिक दोष दूर हो जाता है। वे प्रमुख स्थितियां इस प्रकार है।
*१,अंश -*
यदि मंगल देव 1,4,7,8 ,12 भाव में विद्यमान है किंतु उनके अंश बहुत कम हो तो उस स्थिति में मंगल देव अपना प्रभाव नहीं दे पाते हैं जिस कारण से जातक को मांगलिक दोष का प्रभाव नहीं मिलता है।
*२, योग कारक -:*
यदि मंगल देव जन्म कुंडली में योगकारक ग्रह कि श्रेणी में आ रहे हो तो उस स्थिति में 1,4,7,8, 12 भाव में विद्यमान होकर भी मंगल का मांगलिक दोष नहीं बनता है।
*३. स्व राशि में स्थित -:*
यदि जन्म कुंडली में मंगल देव अपनी स्वराशि में स्थित हो भले ही वह 1.4.7.8.12 भाव में ही क्यों नहीं बैठे हो उस स्थिति में भी उनका मांगलिक दोष भंग हो जाता है।
*४, सप्तमेश का स्वराशीस्थ होना/ सप्तमेश की सप्तम भाव पर दृष्टि -:*
यदि जन्म कुंडली में मंगल देव 1,4,7,8, 12 भाव में विद्यमान होकर मांगलिक दोष का निर्माण करते हो किंतु यदि सप्तमेश सप्तम भाव में स्थित हो अथवा सप्तमेश अपने सप्तम भाव को देख रहा हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है क्योंकि कोई भी ग्रह अपने भाव को नहीं बिगड़ने देता है।
*५, गुरू की सप्तम भाव पर दृष्टि या सप्तभावस्थ होना -:*
यदि जन्म कुंडली में गुरु सप्तम भाव में स्थित हो अथवा सप्तम भाव पर दृष्टि हो उस स्थिति में भी मंगल देव 1,4,7,8, 12 भाव में स्थित होने पर भी उनका मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
*६, मंगल देव का अस्त होना -:*
यदि जन्म कुंडली में मंगल देव 1,4,7,8, 12 भाव में स्थित हो किंतु साथ में सूर्य देव स्थित हो और सूर्य से मंगल अस्त हो उस स्थिति में भी मंगल देव का मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
*७, मंगल देव का उच्च राशि में स्थित होना -:*
यदि मंगल जन्म कुंडली में 1,4,7,8 ,12 भाव में स्थित हो किंतु अपनी उच्च राशि अर्थात मकर राशि में स्थित हो तो उनका मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
*८, गुण -:*
यदि वर वधु के गुण 27 से अधिक हो उस स्थिति में भी मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
इस प्रकार से मांगलिक दोष का निर्णय करने से पहले हमें जन्म कुंडली का इन 8 बिंदुओं का सूक्ष्म विवेचन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।
रविन्द्र पारीक ( वास्तुकार, ज्योतिर्विद)