गीता क्यों पढ़ें।
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🌹 *गीता क्यों पढ़ें*🌹
मानव जीवन बहुत ही विलक्षण है, दुर्लभ है।
मानव जीवन कर्म योनि हैं और इसके अलावा समस्त योनियां भोग योंनिया हैं, चाहे वह पशु पक्षियों की हो देवी देवताओं की हो।
कर्म योनि के मायने क्या हैं ?
कर्म योनि के मायने हैं कि
हमें इसमें नए-नए कर्म करने की स्वतंत्रता मिली हुई है चाहे फिर हम अच्छे कर्म करके अपनी मुक्ति कर लें अथवा बुरे कर्म करके अधम योनियों में चले जाएं।
हमारी उन्नति के लिए भगवान कृपा करके हमें स्पष्ट विवेक और कर्म करने की स्वतंत्रता देते हैं साथ में कृपा पूर्वक संतों का मार्गदर्शन
शास्त्रों का मार्गदर्शन
भी उपलब्ध कराते हैं।
मनुष्य में और पशु में चार काम बिल्कुल एक समान होते हैं ।
*आहार निद्रा भय और मैथुन* अधिकांश मनुष्य इन्हीं चार कार्यों में अपना समस्त जीवन अथवा जीवन की समस्त ऊर्जा लगा देते हैं ।
यदि हम पूरा जीवन इन्हीं 4 कामों में व्यतीत करें तो हमारा स्तर पशु का स्तर ही है। हमें इन 4 कामों के लिए यह मनुष्य जीवन नहीं मिला है ।
यह चार काम तो हम से बढ़िया पशु कर सकते हैं। हम कितना अच्छा खा पी ले लेकिन फिर भी तमाम तरह के रोग और चिंताओं से घिरे रहते हैं।
किसी भी पशु को आप हार्ट अटैक डायबिटीज घुटनों के दर्द अथवा अन्य बीमारियों से ग्रसित नहीं पाएंगे लेकिन मनुष्य अपनी तमाम बुद्धिमानी के बावजूद भी इन सब बीमारियों की चपेट में है।
निद्रा पशु भी लेते हैं और हम भी।
निद्रा आने के बाद हमें नहीं पता रहता कि हम ₹100000 की गद्दी पर सोए हुए हैं अथवा टूटी खाट पर।
अथवा रूई के गद्दे पर।
हम अपनी सुरक्षा के नए-नए उपाय करते हैं ताकि हम भय मुक्त रहें इसी तरह के उपाय पशु भी अपने स्तर पर बहुत अच्छे से करते हैं लेकिन हमें यह नहीं पता कि हम कितने भी उपाय कर ले फिर भी काल , हमेशा हमारे पीछे लगा ही रहता है और एक दिन हमें उसकी चपेट में आना ही है।
पशु पक्षी मैथुन क्रिया करते हैं और हम भी यौन क्रिया में सुख लेते हैं। इसमें भी हम पशु पक्षियों से बहुत पीछे हैं क्योंकि पशु पक्षी बड़े स्वतंत्रता पूर्वक और विविधता पूर्वक यौन सुख का आनंद ले सकते हैं लेकिन मनुष्य के ऊपर विधि निषेध लागू है ,
लेकिन मनुष्य के पास एक बहुत विलक्षण शक्ति है कि वह चाहे तो अपने समस्त तनाव दुख और भय से हमेशा हमेशा के लिए मुक्ति पा सकता है ।
उसको भगवान ने इसके लिए पूरी सामर्थ अवसर और योग्यता दी है।
प्रायः यह बात हमारे समझ में नहीं आती लेकिन जीवन में कोई प्रतिकूल परिस्थिति अथवा महान दुख आता है तो हमें इन भौतिक जीवन के सुखों से थोड़ी देर के लिए वैराग्य होता है और तब हम इससे बाहर निकलने के बारे में कुछ सोचते हैं, कुछ जिज्ञासा हमारे मन में प्रकट होती है
कि हम कौन हैं ?
क्यों आए हैं?
सृष्टि किसने बनाई ?
ईश्वर हैं अथवा नहीं ?
कहां रहते हैं ?
कैसे हैं ? इत्यादि
शास्त्र कहते हैं कि जिस दिन भी यह जिज्ञासा हमारे मन में आती है हमारा वास्तविक जन्मदिन वही है
यदि यह जिज्ञासा जीवन में प्रकट ही नहीं हो तो यह पक्की बात है कि हमने जन्म लिया ही नहीं
हम बस आए संसार में और खा पीकर मरने के लिए चल दिए।
वेदांत सूत्र में
*अथातो ब्रह्म जिज्ञासा*
के नाम से इसकी चर्चा की गई है ।
इस जिज्ञासा को पुष्ट करें और बलवती बनाएं ।
भगवत गीता हमें जीवन के उद्देश्य के बारे में बताती है और सहज रूप से उसे प्राप्त करने के लिए उपाय बताती है ।
भगवत गीता हमें किसी जंगल में जाने को नहीं कहती ना ही हमें घर परिवार देश छोड़ने को कहती है
ना हमारा नियत कर्म छोड़ने को कहती है।
गीता का यह बहुत विलक्षण सिद्धांत है जिसकी पूरा विश्व आज प्रशंसा कर रहा है कि
*आप जहां हैं जैसे हैं जिस परिस्थिति में हैं वहीं से अपना कल्याण कर सकते हैं और निर्भय हो सकते हैं* परम आनंद को प्राप्त हो सकते हैं।
भगवत गीता को समझना इसलिए भी आवश्यक है कि भगवत गीता समस्त शास्त्रों का सार है।
हम चाहे कितने भी बुद्धिमान हो लेकिन हमारे भारतीय दर्शन का जो विपुल भंडार है जिसमें की वेद हैं पुरान उपनिषद हैं स्मृतियां हैं और भी बहुत सारे ग्रंथ हैं ।
हम ना तो उनको पढ़ सकते हैं और पढ़ भी ले तो समझ नहीं सकते।
वैसे तो एक जीवन में इनको पढ़ना भी मुश्किल है तो भगवत गीता इन समस्त ग्रंथों को सार रूप में पिरोती है और बहुत ही सरल तरीके से हमारे सामने रखती है ।
जितने भी महापुरुष देशभक्त वैज्ञानिक इस संसार में हुए उन्होंने सबने भगवत गीता से लाभ लाभ उठाकर अपने जीवन का सर्वांगीण विकास किया ।
ऐसा कहा जाता है कि भगवत गीता में हर समस्या का समाधान है ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका की गीता में समाधान नहीं हो यहां तक की किसी भी क्षेत्र की कोई भी समस्या हो गीता सब का समाधान प्रस्तुत करती है ।
हम व्यापारी हो राजनीतिज्ञ हो अफसर हो छोटे कर्मचारी हो
बच्चे हो बूढ़े हो काले हो गोरे हो बुद्धिमान हो अनपढ़ हो हम कुछ भी हो कैसे भी हो भगवत गीता हमारे लिए बहुत उपयोगी है ।
इस मानव जीवन को यदि सफल बनाना है और जीवन के हर क्षेत्र में सुख और शांति का अनुभव करना है तो भगवत गीता पढ़ना आपके लिए बहुत आवश्यक हो जाता है ।
वैसे भी हम पढ़े-लिखे लोग कहे जाते हैं हजारों पन्नों की कई किताबें हमने पढी हैं
तो आइए क्यों ना एक छोटी सी एक किताब जिसमें कि मात्र 700 श्लोक हैं उसको हम पूरे मनोयोग पूर्वक पढे अध्ययन करें ।
वैसे तो इसको किताब कहना एक धृष्टता ही है क्योंकि यह भगवान
श्रीकृष्ण की वाणी है और भगवान श्री कृष्ण में और उनकी वाणी में कोई फर्क नहीं है ।
भगवान श्रीकृष्ण से भी बढ़कर इस को माना जाता है ।
गीता को गंगा से भी बढ़कर माना जाता है क्योंकि गंगा में तो आपको स्नान के लिए जाना पड़ेगा लेकिन गीत रूपी गंगा आपके घर में ही है।
आइए इस गंगा में डुबकी लगाएं और भगवान श्री कृष्ण पर पूर्ण श्रद्धा रखते हुए अपने जीवन में आनंद के फूल खिलाए ।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।