विजयदशमी भारतीय परंपरा में एक बड़ा त्यौहार है बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप में देखा जाता है इस विजयदशमी के माध्यम से हम जातिवाद पर प्रहार करते हैं रावण जैसा ब्रह्मज्ञानी बनवासी राम के तीनों का शिकार होता है क्योंकि अधर्म चाहे जहां भी हो चाहे जिस जाति में हो चाहे जिस धर्म में हो अधर्म तो अधर्म होता है अधर्म का जाति से या वर्ण व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है यह सीख दशहरा अर्थात विजयदशमी हमें देती है