ज्योतिष् तो जीवन का वरदान है । ज्योतिष् का अर्थ मानव केवल भविष्य कथन तक सीमित करता है या फिर नौ ग्रहों का संयोग मात्र मानता है ।
ज्योतिष् का सीधा सा अर्थ है कि इस अनंत ब्रह्माण्ड में जो कुछ बिखरा हुआ है , वह कैसे मनुष्य के तादात्म्य में आता है भारतीय विद्याओं में से प्रत्येक विद्या व्यावहारिकता और आध्यात्मिकता का सुखद संयोग है , ज्योतिष विद्या का गहन अध्ययन करने पर यही बात पूर्ण रूप से स्पष्ट होती है। ज्योतिष विज्ञान उस विराट पुरुष से मनुष्य का सम्बन्ध जोड़ते हुए।मगर आध्यात्मिकता की परम स्थिति तक ले जाने में सहायक बनता है।उस परम शुद्ध की यात्रा तक में क्या -क्या पड़ाव आएगें कौन- कौन सी कठिनाइयाँ आएगीं, क्या कुछ घटित होगा, इसकी भी क्रमशः विवेचना करता चलता है , जिससे यह मार्ग सुगम एवं निरापद हो सके। कालान्तर में अन्य विद्याओं के ह्वास के समान ज्योतिष में भी ह्वास आ गया और अधकचरे व्यक्तित्व इसको लेकर फुटपाथों पर बैठ गये। ज्योतिष मानव जीवन के लिए वरदान साबित हो सकता है ।क्योंकि यही एक मात्र ऐसा शास्त्र है
, जिसके द्वारा मनुष्य अपने आने वाले समय को समझ सकता है , भावी विपत्तियों को जान सकता है और उसके जीवन में क्या क्या शुभ व अशुभ होने वाला है उसका पूर्वानुमान लगा सकता है । मानव के जीवन में कई प्रकार की बातें आती हैं, जिनसे उसके जीवन में गति आती है और जीवन की यात्रा पूर्णता की ओर अग्रसर होती है यथा -
1-पूरी आयु कितनी वर्षों की है , मृत्यु कब और किन परिस्थितियों में होगी -व्यक्ति यह जानकर अपने पूरे जीवन को संतुलित बना सकता है।
2-व्यक्ति की वर्तमान में जो रुग्णता बनी है वह कब तक रहेगी ?
3- क्या भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना अथवा बीमारी का भय तो नही है ?
4-जीवन में उसे व्यापार करना चाहिए अथवा नौकरी ?
5- नौकरी प्राइवेट करें या सरकारी तथा प्रमोशन पाकर कहां तक जा सकेंगे ?
6- यदि व्यापार करे तो किस वस्तु का करे , स्वतंत्र करे अथवा पार्टनर के साथ ?
7- विवाह कब और कहां होगा ?
8- सन्तान कब होगी , कितनी होंगीं तथा पुत्र योग है अथवा नहीं ?
9-सन्तानों के भविष्य के लिए क्या किया जाए ?
10-स्वजनों अर्थात माता -पिता एवं भाई बहन से जीवन में कैसे संबंध रहेंगे?
11-क्या पैतृक संपत्ति प्राप्ति होगी ?
12-क्या दाम्पत्य जीवन में जीवन साथी से विचारों का तालमेल और सहयोग रहेगा ?
13-क्या जीवन में कोई आकस्मिक आपदा , मानहानि अथवा जेलयात्रा का भय तो नही है , और उसे किस प्रकार से टाला जा सकता है ?
14-क्या आय के अन्य स्रोत भी हो सकते हैं ? वे कौन-कौन होंगे ?
15-क्या विदेश यात्रा कर सकते हैं ? ये तो कुछ ही प्रश्न हैं मनुष्य के जीवन में सैकड़ों आकांक्षाएं होती हैं, सैकड़ों प्रकार के उतार चढ़ाव आते हैं और वह उनसे कतरा कर नही निकल सकता। शुतुरमुर्ग की भांति रेत में सिर गाड़ देने से आँधी नही टल जाती और समझदार व्यक्ति वही होते हैं जो जीवन का पूर्वानुमान करते हुए , सही योजनाओं के द्वारा अपने जीवन को व्यवस्थित बनाने का प्रयास करते ही रहते हैं।जब जीवन व्यवहारिक रूप से निश्चिंत और सफल होगा , तभी मन में आनंद की हिलोर उठेगीं ।तभी ईश्वर के प्रति चिंता विकसित होगा और तभी अध्यात्म की बातें सुखद लगेंगी।