वास्तु और दिशाये
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वास्तु और दिशायें
एक भवन का निर्माण करते हुए हमारा सबसे पहले ध्यान दिशाओं की ओर जाता है कि किस ओर कौनसी दिशा है और वह किस कार्य के लिए महत्वपूर्ण है।
एक भवन भी इंसान की तरह ही सास लेता है। जिस तरह ज्योतिष मे दशायों के माध्यम से फलित करते है उसी प्रकार वास्तु मे दिशाओं को वास्तु के लिए मुख्य रुप से देखा जाता है। सभी दिशाओं का अपना विशेष महत्व और गुण-धर्म निर्धारित किया गया है।
ईशान दिशा- उत्तर-पूर्व की यह दिशा मुख्य रुप से शुभ मानी जाती है, इस दिशा का स्वामी बृहस्पति ग्रह है। यहा वास्तु पुरुष का मुख होता है। यहां सात्त्विक ऊर्जाएं होती है। सर्वप्रथम सूर्य यही से उदय होता है जो ऊपर आने पर पूर्व से निकलता दिखाई देता है। सूर्योदय के समय यहां अन्नत पराबैंगनी किरणों का आगमन होता है।
यह दिशा योग, पूजा-पाठ, ध्यान, धार्मिक ग्रंथ और आध्यात्मिक कार्य के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इस दिशा मे सबसे कम भार होना होना चाहिए और इसी दिशा मे ही ढलान होनी चाहिए। ईशान को सबसे अधिक खुला व साफ रखना चाहिए।
पृथ्वी उत्तर से लगभग 23.5 कोण पर झुकी हुई है और पृथ्वी के भार का बडा भाग उत्तरी गोलार्द्ध मे स्थित है इसलिए यहां हल्का सामान रखना चाहिए। इसी झुकाव के कारण ईशान से ब्रह्मांडीय ऊर्जा मिलती है।
इसी स्थान को पानी, बोरिंग और खुदाई के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। ईशान मे बढा भुखंड भी इस दिशा मे ढलान होने के समान शुभ माना जाता है। यहां कटाव, कूडा, बंद होना अशुभ होता है। यहां कटाव होना यानि वास्तु पुरुष का सिर कटा होना है।
ईशान मे कटाब होने का कारण जातक को अपना चेहरा छुपाने के लिए बाध्य होना पडता है और संवादहीनता के कारण घर मे झगडा बना रहता है, भाई-बहनो से रिशता मधुर नही रह पाता और साहस की भी कमी बनी रहती है साथ ही जातक को आंख नाक, कान और गले की समस्या बनी रहती है क्योंकि ज्योतिष मे यह कुंडली का दुसरा व तीसरा भाव होता है।
यहां दोष होने से स्वास्थय सम्बंधित परेशानी आती है जैसे माईग्रेन, दिमाग भ्रमित, ब्रेन हेमरेज़, गलत निर्णय और अवसाद रहता है। कर्ज़ लेने व देने मे परेशानी होती है और धन का नुकसान होता है। परिवार मे आपस मे गलत-फहमी की वज़ह से झगडा रहता है।
यहां ऑफिस गेट होने से बिज़ली से जुडी परेशानी होती है। यहां दरवाजा होने से आग, नुकसान और दुर्घटनाओं होती है। यहां रसोई होने से गुस्सा, निराशा और मानसिक उलझन रहती है। यहां स्टोर होने से दिमाग बंद हो जाता है। यहा शौचालय होने से मानसिक दोष होता है। यहां ज्यादा बैठने से जिंदगी मे उदासीनता रहती है।
यहां बडे-बडे पेड न हो केवल छोट-छोटे रंग-बिरंगे फूलो वाले पौधे ही यहां शुभ माने जाते है। तुलसी, पुदिना, हल्दी, धनिया आदि के पौधे और कोई आयुर्वेदिक पौधे भी इसी जगह लगाये जा सकते है। इस दिशा मे अपने गुरु और आदर्श व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते है।
ईशान मे होने वाले दोष व दोषो के लिए उपाय:-
अगर यहां शौचालय है तो तीन कांस्य के कटोरे ऊपरी हिस्से मे रखे। समुद्री नमक का कटोरा रखे। दरवाज़ा हमेशा बंद रखे।
यहां रसोईघर होने से गैस स्टोव के ठीक ऊपर कांस्य के कटोरा किसी स्लैब पर रखे।
यहां ऑवर हैड टैकं हो या सीढियां हो तो दो ताम्बे के कछुए एक-दुसरे की ओर मुख करके सबसे नीचे के स्टेप पर रखे।
ईशान क्षेत्र उत्तरी पूर्वी दीवार कटी हो तो दीवार पर एक दर्पण लगाये।
अगर आपके घर मे कामचोर या आलसी लोग हो तो यहां सुबह-सुबह के सूर्य के साथ उडते हुए पक्षियों का चित्र लगाये।
बर्फ से ढके कैलाश मे महादेवजी की ध्यान मग्न मुद्रा मे बैठे हुए एक चित्र लगाये जिसमे उनकी जटा से गंगा जल निकल रहा है।