कई देवी देवताओ के पाठ में लेखक दोहो में अपना नाम लिख देता है है जैसे
दुर्गा स्तुति पाठ के पहले अध्याय में
क्षमा करें विद्वान सब जान मुझे अन्जान |
चरणों की रज चाहता बालक ' चमन' नादान |
इसी प्रकार
हनुमान चालीसा में एक लाइन आती है :
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा
आपने बस इतना करना है उनके नाम की जगह अपना नाम लेना है
जैसे क्षमा करें विद्वान सब जान मुझे अन्जान |
चरणों की रज चाहता बालक ' मनोज ' नादान
ऐसे ही हनुमान चलिषा में
मनोज सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा
फिर देखिये कमाल