सत्यार्थप्रकाश: दूसरा महायज्ञ=देवयज्ञ • देवयज्ञ के दो भाग हैं— १. अग्निहोत्र (दैनिक हवन); २. विद्वानों का संग और सेवा। • सन्ध्या और हवन दोनों समय करें; प्रात:काल सन्ध्या करके हवन; सायंकाल हवन करके सन्ध्या; अग्निहोत्र का समय है— सूर्योदय के पश्चात्; सूर्यास्त से पहले। • दैनिक हवन क्यों आवश्यक है? मनुष्य के शरीर से दुर्गन्ध निकलती है; इससे वायु एवं जल दूषित होते हैं; उससे रोग उत्पन्न होते हैं; इसका मनुष्य को पाप लगता है; पाप के निवारणार्थ वायु-जल में समतुल्य सुगन्ध फैलानी चाहिए; इसका सरल उपाय दैनिक हवन है। • फूल और इत्र से सुगन्ध फैला दें? इनकी सुगन्ध रोगाणु को नहीं हटाती; उसमें भेदक शक्ति नहीं होती; (हवन) अग्नि में भेदक शक्ति है; इससे दुर्गन्धयुक्त पदार्थ छिन्न-भिन्न और हल्का होकर घर से निकल जाता; फिर शुद्ध वायु घर में आ सकती है। • अत: दैनिक हवन आवश्यक है।