लाल किताब ज्योतिषसिखे

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Acharya Rajesh 21st Aug 2017

जब जीवात्मा अपने लिए शरीर को गढ़ती है, तो ग्रहों का प्रभाव भी आस-पास के वातावरण, उसके व्यक्तित्व (मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रवृत्तियाँ), उसके सगे-संबंधियों, शरीर के रंग-रूप और अनेक बहिरंग-अन्तरंग चीज़ों पर पड़ता है। इसलिए वास्तु, चेहरा पढ़ना, शारीरिक संरचना, हस्तलिपि विश्लेषण, खान-पान की आदत, स्वभावगत प्रवृत्तियाँ, रिश्तेदार, चीज़ें आदि सभी को प्रभावी विश्लेषण के लिए ज्योतिष की लाल किताब पद्धति में समाहित किया गया है।
लाल किताब ज्योतिषी/जातक को कुण्डली के परिशोधन द्वारा उसके ख़ास ग्रहीय अंतर्सबंधों को समझकर ग्रहों के प्रभावों को बतलाने में मदद करती है।
इसमें जातक से जुड़ी पुरानी और वर्तमान घटनाएँ, हालात और आसपास का माहौल शामिल किया जाता है। एक बार ख़ाका पहचान लिए जाने के बाद जातक को सही दिशा बताने की प्रक्रिया शुरू होती है। लाल किताब में ग्रहों को ऊर्जा उत्पन्न करने वाला स्रोत माना जाता है। विभिन्न ग्रहों की ऊर्जाओं का प्रभाव चर-अचर चीज़ों पर पड़ता है। जिस जातक में कमी, नकारात्मकता, विरोधाभास या इन ग्रहीय ऊर्जाओं का मिला-जुला असर होता है, तो उपायों के ज़रिए संतुलन स्थापित करके उसकी मदद की जाती है।
लाल किताब के उपायों का मूल पश्चाताप और दान-पुण्य है। लाल किताब में एक पूरा अध्याय विभिन्न ग्रहों से जुड़े मनोभावों का विश्लेषण करता है। यह दुःखद है कि अक्सर इसे नज़रअन्दाज़ किया जाता है, लेकिन यह सबसे शक्तिशाली उपाय के तरीक़ों में से एक है। लाल किताब की दार्शनिक और आध्यात्मिक विवेचना की अभी और आवश्यकता है। इसके अलावा एक ऐसा अध्याय भी है जिसमें ग्रहों की कुछ अलग-अलग स्थितियों के लिए दान-पुण्य करने से मना किया गया है।
लाल किताब स्वतन्त्र इच्छा-शक्ति और भाग्य के सिद्धान्त में भी सामंजस्य स्थापित करती है। इसमें साफ़ तौर पर बताया गया है कि किन हालात में किस ग्रह का परिणाम जातक के हित में इस्तेमाल किया जा सकता है और कब ग्रहों के फल में किसी तरह का फेर-बदल मुमकिन नहीं है। सिर्फ़ कुछ दैवीय अनुकम्पा प्राप्त लोगों में ही हर हाल में ग्रहों के प्रभावों को बदलने की शक्ति होती है, लेकिन परिणाम तो फिर भी रहते ही हैं। क्योंकि वह दैवीय व्यक्ति उसके परिणामों को ख़ुद पर ले लेता है।
लाल किताब के उपाय आसान, सीधे-सादे और समझ में आने लायक हैं। हालाँकि इनकी ख़ास बात ये है कि इन उपायों को ख़ुद जातक को ही करना होता है। इसमें किसी मध्यस्थ की कोई ज़रूरत नहीं है। इन उपायों को करने में लाल किताब का लचीला रवैया अपनी अलग विशेषता रखता है, उदाहरण के लिए इन्हें हिन्दू मंदिर में, मुसलमान मस्जिद में, ईसाई चर्च में कर सकते हैं। वह व्यक्ति जिसका कोई मज़हब नहीं है, वह चौराहे पर इन उपायों को कर सकता है।
पहले से सावधानी बरतने में ही होशियारी है। उदाहरण के लिए अगर किसी के दसवें भाव में बृहस्पति बैठा हुआ हो, तो जातक को सिर्फ़ तभी सफलता हाथ लगेगी जब वह शनि की तरह चालाकी भरा व्यवहार करे। इसी तरह दूसरा उदारहण भी दिया जा सकता है – यदि जातक के दसवें भाव में मंगल और शुक्र हैं तो जातक जीवन में बहुत ज़्यादा तरक़्क़ी करेगा, लेकिन केवल तभी जब उसका जीवन-साथी गोरा हो और उसके ससुराल पक्ष के मर्द गहरे रंग के हों। इसके अलावा ग्रहों की स्थिति के मुताबिक़ वास्तु से जुड़े भी कई सुझाव लाल किताब में उपलब्ध हैं।
अगर भाग्य के प्रवाह में ज़िन्दगी में कई फ़ायदे होने हैं लेकिन कुछ अवरोध उसे रोक रहा हो, तो ऐसे में लाल किताब उन बाधाओं को दूर करने में बेहद कारगर साबित होती है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार जो आपकी क़िस्मत में है ही नहीं, वह आपको किसी भी उपाय के करने से नहीं प्राप्त हो सकता है। हालाँकि अगर जातक की ज़िन्दगी को कोई ख़तरा है, तो लाल किताब के ज़रिए उसकी रक्षा की जा सकती है। लाल किताब का इस्तेमाल किसी को नुक़सान पहुँचाने के लिए नहीं किया जा सकता है, क्योंकि लाल किताब वह विद्या है जो विरोधी व शत्रु प्रवृत्तियों में भी सामंजस्य और संतुलन पैदा करने का काम करती है


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