जय हो बाबा बटुक नाथ की जय मां भवानी मंगलवार और शतभिषा नक्षत्र यह महायोग का विवरण श्री दुर्गा जी के शत नामों में फल श्रुति में किया गया है मैं लगभग 30 वर्षों से देखता रहा हूं यह महायोग महाशिवरात्रि के दूसरे दिन ही घटता है यह योग दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम जोकि गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित है उस पुस्तक में इस योग का पूर्ण विवरण इस प्रकार है मंगलवार के दिन अमावस्या और शतभिषा नक्षत्र मध्य रात्रि को तुरीय संध्या के समय होना चाहिए उस समय देवी जी के 108 नाम जो विश्वास आर तंत्र में शिव जी द्वारा मां भगवती को बताए गए हैं उन नामों को अष्टगंध की सयाजी से भोजपत्र पर लिखना चाहिए लिखने के लिए अनार की कलम का प्रयोग करना चाहिए यह साधना करने से पहले श्री बटुक नाथ जी का पूजन गणेश जी का पूजन हनुमान जी का पूजन और भगवान शिव जी का पूजन कर कर उन से आज्ञा लेकर उन्हें गुरु स्वरूपों मानकर तत्पश्चात मां भगवती का षोडशोपचार पूजन कर कर आपको इस अष्टोत्तर शतनाम जो आपको गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तक दुर्गा सप्तशती में प्राप्त होगा उन अष्टोत्तर शतनाम ओं को आप भोजपत्र पर लिखकर प्रतिदिन उन अष्टोत्तर शतनाम ओं का आप पाठ करें इससे अद्भुत फल की प्राप्ति होगी और मैंने जो अष्टगंध के बारे में बताया है वहां भी दुर्गा सप्तशती के अष्टोत्तर शतनाम में बताएं गए हैं इस प्रकार अष्टोत्तर सतनाम लिखने के उपरांत दूसरे दिन याने बुधवार के सवेरे आपको कन्या पूजन और बटुक पूजन करना होगा कन्याओं और बटु को आप अपनी श्रद्धा के अनुसार फल मिष्ठान भोजन दक्षिणा वस्त्र आदि का आप भेंट स्वरूप में देना चाहिए जय बाबा बटुक नाथ की जय मां भवानी