भगवान शिव को महाकाल कहा गया है और वही देवों के देव महादेव हैं। उन्होंने गंगा को अपने शीष पर धारण किया है। कहते हैं कि अगर भोलेभंडारी भोलेनाथ की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए तो वो हमारी जिंदगी की सभी समस्याओं को समाप्त करते हैं।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त ------
चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 मार्च को दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च दोपहर 03 बजकर 03 मिनट
चार पहर पूजा मुहूर्त समय----प्रथम पहर पूजा 11 मार्च 06:41Pm से 09:41 Pm
द्वितीय पहर पूजा ---9:41Pm से 12:41Am मध्य रात्रि
तृतीय पहर पूजा----- 12:41Am से 03:41 Am
चतुर्थ पहर पूजा----- 03:41 Am से 06:54 Am
महाशिवरात्रि व्रत और शिव पूजा का महत्व-----
हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर जल चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।महाशिवरात्रि पर भक्त पूरे दिन और रात व्रत रखते हैं। अगले दिन सुबह वह व्रत का पारण करते हैं।
महाशिवरात्रि पर सूर्य उत्तरायण रहता है और चंद्रमा कमजोर स्थिति में। चंद्रमा मन का कारक है इसलिए चंद्रमा को मजबूत करने के लिए महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए। चंद्रमा की मजबूत स्थिति के साथ-साथ कुंडली में शनि राहु केतु के बुरे प्रभाव को शिव आराधना से दूर किया जा सकता है और उत्तम फलों की प्राप्ति की जा सकती है !
महा शिवरात्रि की पूजा विधि----
इस दिन सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं इसके बाद शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराएं। फिर बेलपत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करें।
धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। शिव महापुराण में कहा गया है कि इन छह द्रव्यों, दूध, दही, शहद, घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धि
गुड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी
दही से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि
*महाशिवरात्रि के दिन हो सके तो व्रत रखें और दिन में केवल फल और दूध ग्रहण करें।
*इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान शिव पुराण का पाठ करें, महा-मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें, शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का शांत मन से जाप करें। इसके अलावा इस रात में जागरण करना भी अत्यधिक फलदायी बताया गया है। तो अगर मुमकिन हो तो महाशिवरात्रि की रात जागरण अवश्य करें।
इसके अलावा रात के चारों पहरों में भगवान शिव का अभिषेक और आराधना करें। हालांकि निशीथ काल में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया जाता है।