श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ला पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा जी का जन्मदिन माना जाता है। स्कन्दपुराण व वाल्मीकि रामायण के अनुसार आज ही के दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा जी आई थीं। गंगा पूजन उत्सव यानि गंगा दशहरा के दौरान स्नान, दान का रूपात्मक व्रत होता है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इसमें स्नान और दान तो विशेष रूप से करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करें। आज के दिन यदि गंगा जी अथवा अन्य किसी पवित्र नदी पर सपरिवार स्नान हेतु जाया जा सके तब तो सर्वश्रेष्ठ है, यदि संभव न हो तब घर पर ही गंगाजल जी को सम्मुख रखकर गंगा जी की पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन जप-तप, दान, व्रत, उपवास और गंगा जी की पूजा करने पर सभी पाप जड़ से कट जाते हैं, ऐसी मान्यता है। इसी प्रकार परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से सवा सेर चूरमा बनाकर साधुओं, फकीरों और ब्राह्मणों में बांटने का भी रिवाज है। ब्राह्मणों को बड़ी मात्रा में अनाज को दान के रूप में आज के दिन दिया जाता है। आज ही के दिन आम खाने और आम दान करने का भी विशिष्ट महत्व है। दशहरा के दिन काशी के दशाश्वमेध घाट से दस बार स्नान करके शिवलिंग का दस संख्या के गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्य और फल आदि से पूजन करके रात्रि को जागरण करने से अनंत फल प्राप्त होता है। गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है। मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में किए गए स्नान और दान से सात जन्मों का पुण्य मिलता है। गंगा दशहरा के दिन जो भी व्यक्ति पानी में गंगा जल मिलाकर गंगा मंत्र का दस बार जाप करते हुए स्नान करता है, चाहे वो दरिद्र हो, असमर्थ हो वह भी गंगा की पूजा कर पूर्ण फल को पाता है। गंगा मंत्र: ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा॥ नोट: गंगा मंत्र भविष्य पुराण से लिया गया है गंगा दशहरा बुधवार 12 जून 2019 को मनाया जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी तीर्थों में स्नान के समान पुण्य मिलता है। इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, जौ, गाय, जल, छाता, जूता आदि का दान देना शुभ माना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन अगर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाए तो शुभफल की प्राप्ति होती है। चलिए आपको बताते हैं निर्जला एकादशी के दिन कौनसे उपाय करने चाहिए... एक तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें, उस पात्र को सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। सुबह उठकर उस जल को तुलसी के पौधे पर चढ़ा दें। ऐसा करने से व्यापार-व्यवसाय में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। जिन लोगों को संतान प्राप्ति नहीं हो पा रही हो वो लोग इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति को आगे रखकर संतान गोपाल मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें निर्जला एकादशी के दिन किसी भी समय पीले रंग के कपड़े दान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध आदि पदार्थ अर्पित करें, यह निर्जल व्रत है भगवान विष्णु के नाम का जप और कीर्तन करते हुए व्रत पूरा करें। गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के दिन जो लोग विशेष उपाय करना चाहते हैं वह मुझसे संपर्क करें गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के दिन शिव भगवान के अभिषेक व लक्ष्मी जी के अभिषेक की सेवा हमारे मंदिर में मेरी तरफ से सुबह 5:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक