संक्षेप में जान लेते हैं कि मुल के नक्षत्र कौन-कौन से हैं । केतु एवं बुध के नक्षत्र मुल के नक्षत्र कहे जाते हैं अर्थात यदि किसी जातक का जन्म इन नक्षत्रों में हुआ हो तो मुल में कहेंगे । आगे समझेंगे कि कैसे जानेंगे कि जन्म के समय नक्षत्र कौन सा था । यहां सिर्फ मुल के नक्षत्र को जानते हैं - केतु - अश्विनी, मघा और मुल बुध - अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक मुल के कहे जाते हैं - हम सभी जानते हैं कि नक्षत्र के चार चरण होते हैं इन सभी छः नक्षत्रों के सभी चरण मुल के अन्तर्गत नहीं आते । केतु के नक्षत्रों के पहले दो चरण एवं बुध के नक्षत्रों के अंतिम के दो चरण ही मुल के अन्तर्गत आते हैं । मुल शांति का विशेष विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है । बच्चे मुल में हों तो उसकी शांति विधिवत करवाना चाहिए ।