तर्क वितर्क के चक्कर में बहुत से लोग भाग्यवादी हो गए हैं यानि सिर्फ भाग्य पर भरोसा करने वाले एवं बहुत से लोग मेहनतकश हो गए हैं यानि जो कर्म करने में विश्वाश करते हैं और अपने भाग्य को कोसते रहते हैं !इंसान की कुंडली का नवां घर भग्य का है एवं दसवां कर्म का या व्यापर का है ! जो व्यापार जातक का कर्म है जब तक जातक वो नहीं करता तब तक भग्य उसका साथ नहीं देता ! जातक को अथक मेहनत करके भी वांछित फल की प्राप्ति नहीं होती ! जब जातक अपने कर्मानुसार वयापार या नौकरी करता है तो उसे वांछित लाभ की प्राप्ति होती है !यानि तब उसके करम एवं भाग्य एकसाथ कार्य करते हैं ! सफलता हर कदम पे उसका साथ देती है