आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहते हैं इस दिन कोजगरा व्रत भी मनाया जाता है । आज के दिन चाँद की चांदनी अमृत वर्षा करती हैं इसकी मान्यता हमारे शास्त्रों में बताया गया है । कहा जाता है कि आज स्वच्छता एवं पवित्रता का ध्यान रखकर विधिवत खीर बनाकर रातभर चांदनी में छोड़ दिया जाय और प्रातः स्नान पूजा के बाद मंगलकामना के साथ ग्रहण किया जाय तो फेफड़े से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं । यह विषय तो वैज्ञानिकों के लिए शोध का हो सकता है हमारी तो आस्था है और सनातन शास्त्रों के उपर हमारा विश्वास । कहा गया है कि मन को परमपिता परमेश्वर में समर्पित कर उनके ही नामों का स्मरण कीर्तन आदि करते हुए रात को जागरण कर प्रातः स्नान के उपरान्त प्रसाद स्वरूप प्राप्त करने से निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है ।
आज के परिवेश में तो व्यवसायी आध्यात्मिक बन्धुगण भी इसका लाभ उठाते हैं और प्रचार प्रसार के माध्यम से खीर वितरण कर या खीर की सामग्री वितरण कर धन कमाते हैं । उनको तो प्रत्यक्ष लाभ मिलता है और प्रचार-प्रसार से प्रेरित होकर उसे अपना धन देकर प्रसाद प्राप्त करते हैं ।
हम यहां सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि आप स्वयं अपने घर में इस पवित्र एवं प्रभावशाली प्रभाव को प्राप्त कर सकते हैं, सिर्फ स्वच्छता, पवित्रता एवं इश्वर के प्रति अपनी पुरी श्रद्धा को रखते हुए खीर को तैयार करें और रात्रि पर्यन्त इसे चांदनी में रखें एवं स्वयं सपरिवार इश्वर भक्ति कर जागरण करें । खीर बनाने की प्रक्रिया तो सभी को ज्ञात है ।
आज के दिन लक्ष्मी जी के भी व्रत करने का विधान है जिनके पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है ।