शराब और चियर्स
Shareमौका कोई भी हो चाहे ख़ुशी का या गम का जब कभी भी लोग शराब /ड्रिंग किसी के साथ या महफ़िल में पीते है तो पीने से पहले हाथ में शराब का गिलास लेकर एक दूसरे के गिलास से टकराकर चियर्स बोलते है यहाँ तक की कुछ लोगो की कोशिश होती है कुछ बुँदे गिलास से छलक कर बाहर निकल जाए
एक फिल्मी गाना जाम छलकने पर भी बहुत मशहूर हुआ था
छलकाएं जाम आइये आपकी आँखों के नाम
• किसी के संग या महफ़िल में 'चीयर्स' किए बिना शराब को होठों से लगाना कुछ वैसा ही अधूरा है, जैसे फोन पर बातचीत शुरू करने से पहले ' हैलो ' न कहना. जाम टकराने की यह परंपरा बहुत पुरानी है
• कुछ लोगो की मान्यता है के जाम टकराने से शराब की कुछ बूंदे जब बाहर छलकती है तो इससे अतृप्त आत्माओं को सुकून मिलता है।
• कुछ लोग शराब गिलास में डालने से पहले कुछ बुँदे भगवान् (भैरो बाबा, काली माँ अपने गुरु आदि ) के नाम की ज़मीन पर भी छिड़कते/डालते है +
• कुछ लोगो की धारणा है कि शोर करते हुए जाम (शराब के गिलास) टकराने से वहाँ मौजूद बुरी आत्माएं दूर चली जाती हैं। • ग्रीस की मान्यताओं के अनुसार जाम को नीचे से ऊपर की ओर उठा कर और जाम को औरो के जाम से टकराना ईश्वर को समर्पित करने का माध्यम है
• फ्रांसीसी का एक शब्द है Chiere उसी से ही चीयर्स शब्द निकला है जिसका अर्थ है ‘चेहरा या सिर’
• पुराने समय से ही चियर्स बोलना उत्सुकता और प्रोत्साहन का प्रतीक है । चीयर्स अपनी खुशी को जाहिर करने और जश्न मनाने का एक शानदार तरीका है। इसका मतलब है कि अच्छा समय अब शुरू हो चुका है।
• मानव शरीर में पांच इंद्रिया /ज्ञानेंद्रियांहोती आंख, नाक, कान, जीभ और त्वचा होती है शराब पीते समय हमारी केवल चार इंद्रिया ही काम करती है। शराब को आंखो द्वारा देखना , हाथो(तवचा) से जाम को छूना /पकड़ना , नाक से खुशबु महसूस करना और जीभ से इसका स्वाद लेना ड्रिंक करने की इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ एक इंद्रि का इस्तेमाल नहीं होता और वह है कान। इसी कमी को पूरा करने के लिए चीयर्स कहा जाता है और कानों के आनंद के लिए जाम से जाम टकराए जाते हैं। माना जाता है कि इस तरह ड्रिंक करने से पांच इंद्रियों का प्रयोग होता है और जाम पीने का एहसास और भी ज्यादा खुशनुमा हो जाता है।
• उच्चवर्गीय समाज में भी बर्थडे, सालगिरह.आदि .बड़े जश्न के मौकों परअक्सर स्टेटस सिम्बल के तौर में बोतल से शैंपेन उड़ाई जाती है प्राचीन काल में व शैंपेन एक स्टेटस सिंबल हुआ करती थी जिसे खरीदना आम जान के बस के बाहेर था हालांकि, अब यह काफी सस्ती हो चुकी है और मध्यमवर्गीय लोग भी इसे आसानी से खरीद सकते हैं. जिनके लिए अब भी शैंपेन महंगी है, वे सेलिब्रेशन में सस्ते विकल्प के तौर ..पर 'स्पार्कलिंग वाइन' का इस्तेमाल कर लेते हैं. शैंपेन भी एक तरह की वाइन ही है. दरअसल, साधारण वाइन में किसी तरह के बुलबुले या झाग नहीं होता. हालांकि, जब इसमें इसमें चमक और बुलबुले हों तो ये वाइन शैंपेन की श्रेणी में आ जाती है.