नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने की परंपरा है और श्रावण मास का प्रमुख त्योहार है। नागपंचमी सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी 25 जुलाई को मनाई जाएगी। नागपंचमी पर लोग नाग देवता को दूध पिलाते हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं। आइए आपको बताते हैं नागपंचमी का महत्व, पूजाविधि, मंत्र और सामग्री। पंचमी की पूजा का संबंध धन से पंचमी की पूजा का संबंध धन से जुड़ा हुआ है। दरअसल शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण ही नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करने की सलाह दी जाती है । कालसर्प दोष से मुक्ति नागपंचमी पर सांप की पूजा करने के धार्मिक कारणों के साथ-साथ ज्योतिषीय कारण भी हैं। कुंडली में योग के साथ-साथ दोष भी होते हैं और इनमें कालसर्प दोष सबसे प्रमुख और अशुभ होता है। जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो उसे कालसर्प दोष कहते हैं। माना जाता है कि इस योग के रहने पर जातक को फल नहीं मिल पाता है। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्पदोष से जातक को मुक्ति मिलती है। शिव जी का मिलता है आशीर्वाद: हिंदू धर्म में नाग(सांप) को शिव जी के गले का हार और विष्णु जी की शैय्या कहा गया है। ऐसे में माना जाता है कि नाग की पूजा करने से शिव जी और विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी पर सांप की पूजा करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ये कहता है ज्योतिष शास्त्र: दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाया जाता है। नाग(सांप) को शिव का सेवक भी कहा जाता है। सांप शिव जी के गले में विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि नाग(सांप) पृथ्वी को संतुलित करते हैं। ऐसे में उनकी उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है। नागपंचमी पर क्या करें और क्या नहीं मान्यता है नागों को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है, इसलिए इस दिन भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए। पूजा के लिए बाजार से नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा ला सकते हैं। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है। पूजा के लिए सामग्री नागपंचमी के दिन दूध, दही, कुशा, गंध, पंचामृत, धान, लावा, गाय का गोबर, पुष्प, घी, खीर और फल आदि से नाग देवता की पूजा करने का विधान है। इस दिन ब्राह्मणों को भी भोजन करवाया जाता है। पूजा में कई स्थानों पर सफेद कौड़ियां भी रखी जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की विधि-विधान से पूजा करने से आर्थिक लाभ होता है और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ऐसे करें पूजा -सबसे पहले प्रात: उठकर घर की साफ-सफाई करें और स्नान करें। -इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई की खीर और चावल बना लें। -लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर नागदेवता की प्रतिमा या फिर तस्वीर रख दें। -प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं। -नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, मधु और पंचामृत से स्नान कराएं और फिर आरती करें। -पूजा के बाद आप घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर गोबर से सांप की आकृति के चिह्न बनाएं और उस पर कौड़ियां चिपकाएं और खीर अर्पित करें। ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इन मंत्रों का करें जप ऊं भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।। ‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’
om namo shivay
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good article. Vishwajeet Bhutra
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