दान के नियम वास्तुअनुसार
Share:-दुनिया बहुत बड़ी है कोई नाम के लिए दान देता है तो कोई आत्म संतुस्टी के लिए :दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मोंसे मुक्ति मिलती है । शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस पुण्य कर्म में समाज में समानता का भाव बना रहता है और जरुरतमंद व्यक्ति को भी जीवन के लिए उपयोगी चीजें प्राप्त हो पाती है। दान का महत्व हिन्दूधर्मं में बहुत ज्यादा है वास्तुअनुसार घर में रहकर दान देने के कुछ नियम है
1. परिवार में किसी को दुखी करके दान नहीं देना चाहिए
2. स्वार्थ हेतु दिया दान निष्फल जाता है
3. जरुरतमंद के घर जाकर किया हुआ दान उत्तम होता है। जरुरतमंद को घर बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम होता है।
4. दान देने से किसी को रोकनेवाला पाप का भागी बनता है
5. दान देने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और दान लेने वाले का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से दान देने वाले की आयु बढ़ती है और दान लेने वाले की भी आयु कम नहीं होती है।
6. मनुष्य को अपने द्वारा अर्जित धन का दसवां भाग किसी शुभ कर्म में लगाना चाहिए
7. गोदान श्रेष्ठ माना गया है
8. यदि किसी भिक्षुक को भिक्षा देनी हो तो घर से बाहर आकर ही दें,दहलीज़ पर खड़े होकर कदापि न दे अन्यथा अनहोनी होने की संभावना बनी रहती है
9. यदि घर में कोई दान-दक्षिणा देनी हो तो घर के मध्य भाग को चुनें
10. दान दक्षिण या पश्चिम की ओर मुँह करके या सिर नीचा करके नहीं देना चाहिए।
11. दान हमेशा सीधे हाथ से करना चाहिए सीधे हाथ को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है।
12. दान जोड़े से किया जाए तो अति उत्तम