*भगवान परशुराम जयंती व अक्षयतृतीया, शनिवार, 22 अप्रैल को मनाई जाएगी*
वैशाख शुक्लपक्ष
तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। इसबार अक्षय तृतीया शनिवार (कृत्तिका/रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग में मनाई जाएगी।
आखातीज स्कंद पुराण के अनुसार बहुत ही पुण्यदायी मानी जाती है। इसदिन किया गया दान, कार्य अनन्त हो जाता हैं।
अक्षय तृतीया
"न क्षय: इति अक्षय:"
जिसका क्षय नही होता हैं । कई जन्मों तक अनंत शुभ फल देता हैं। शहर में धारूहेड़ा चुंगी स्थित "ज्योतिष संस्थान" के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार तिथियों का घटना,बढ़ना, क्षय होना क्रमशः चंद्रमास और सौरमास की गणना के अनुसार तय है, परंतु अक्षय तृतीया सर्वदा अक्षय रहती हैं, इस तिथि को किए जाने वाले कार्य अक्षय होते हैं।ज्योतिष शास्त्र भी कहता है कि ग्रह, लग्न, चंद्रबल, नक्षत्र, राशिबल, आदि का समावेश होने के कारण यह तिथि शुभ कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। विवाह,यज्ञोपवीत, ग्रह_प्रवेश पदभार,नया_कार्य प्रारंभ, यात्रा, खरीददारी आदि सभी मंगल कार्यों के लिए, "अक्षय तृतीया" स्वयं सिद्ध मुहूर्त है।
इसी तिथी को भगवान विष्णु के अवतार परशुराम भगवान का अवतरण हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, विष्णु सहस्त्रनाम,गजेंद्रमोक्ष स्त्रोत्र,
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, द्वादशाक्षर मंत्र आदि का जप करना चाहिए।
शास्त्री के अनुसार इसीदिन से महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवे वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता का 18वां अध्याय का पाठ करना चाहिए व अपने इष्ट देवता की, आराध्य देव का पूजन करें, अभीष्ट प्राप्ति के लिए श्रद्धानुसार दीपक जलाएं।
*ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री*