अमूमन ग्रहो को बलवान बनाकर उनसे फायदा लेने के लिए ग्रहो के रत्न पहन लिए जाते है, सही भी है कि जो ग्रह कुंडली मे लाभकारी है क्यों न उसकी शक्ति को रत्न के माध्यम से बढ़ाकर उस ग्रह के लाभकारी शुभ फलों में वृद्धि कर दी जाए।ज्यादातर रत्न कुंडली 1, 5,9वे भाव के स्वामियों के पहनने से लाभ मिलता है साथ ही जो ग्रह बलहीन हो लेकिन शुभ भाव का स्वामी हो तब उसका रत्न भी पहनने से ग्रह के शुभ फल में वृद्धि की जाती है।लेकिन महत्वपूर्ण रत्न के बारे में यह बात होती है एक तो 6, 8, 12वे भाव के स्वामी के रत्न कभी भी नही पहनने चाहिए क्योंकि यह भाव अशुभ है और इन भाव पतियों के रत्न पहनने से नुकसान और परेशानियां बढ़ती है दूसरा चाहे कोई भी ग्रह कितना भी योग कारक,कारक होकर शुभ हो लेकिन यदि वह ग्रह अशुभ योग बना रहा है तब उस ग्रह का रत्न पहनना तब ही लाभ देगा जब इस ग्रह से संबंधित दोष निवारण के उपाय, पूजा पाठ, मन्त्र जप, दान आदि के द्वारा जो भी उपाय कुंडली के अनुसार बनते हो उन्हें भी किया जाए इसके विपरीत यदि ग्रह अच्छे भावों का स्वामी है, राजयोग आदि बना रहा है तब ऐसे ग्रह का रत्न पहनना बहुत फायदा देगा क्योंकि ऐसे ग्रह को कुंडली मे ऐसी शक्ति और अधिकार मिले हुए है कि वह शुभ फल, राजयोग आदि दे सके क्योंकि जब ग्रह कुछ अपने आप मे भी काबिल होगा तब ही तो उन्नति देगा।। जैसे:- मेष लग्न की कुंडली का उदारहण ले, तो मेष लग्न में गुरु नवे भाव का स्वामी होकर कारक और भाग्य का साथ दिलाने वाला है, अब यदि गुरु थोड़ा कमजोर है या कोई राजयोग बनाकर कमजोर है जिस करण सफलता, धन ,तरक्की आदि में कमी रहती है तब यहाँ गुरु के लिए पुखराज पहनना बहुत लाभ देगा(रत्न ग्रह की स्थिति अनुसार उसके वजन(रत्ती)" के हिसाब से पहना जाता है) लेकिम यदि गुरु अब राहु के साथ हो या अन्य ग्रह से अशुभ भावों के स्वामी से युक्त होकर अशुभ हो गया हो तो ऐसे कारक गुरु का रत्न भी पहनना उचित है साथ ही गुरु को जो ग्रह पीड़ित कर रहा है इस गुरु के साथ अशुभ योग बना रहा जैसे गुरु के साथ राहु हो या अन्य कोई अशुभ ग्रह भी हो तब उस अशुभ ग्रह या राहु की शांति दोष निवारण के लिए पूजा पाठ, दान, जप से करने पर ही गुरु का रत्न या ऐसी स्थिति में आये किसी भी ग्रह का रत्न उपाय करने पर ही लाभ देगा क्योंकि उपाय से अशुभ स्थिति या दोष का निवारण करना है।इस तरह से रत्न फायदा जरूर देते है लेकिन ग्रह की सही तरह से जाँच परक करने के बाद कि उसकी स्थिति कैसी है आदि।
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