रूद्राक्ष की महिमा
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Shareज्योतिष के आधार पर किसी भी ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिवपुराण, रूद्रपुराण, लिंगपुराणश्रीमद्भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है
जो आदमी अध्यात्मिक विश्वास में रुद्राक्ष खरीदता है अगर उसे ऐसा रुद्राक्ष मिल जाये तो उसे कोई लाभ नही बल्कि उसके अध्यात्मिक मन के साथ धोखा होताहै। आप ने कभी भी कोई रुद्राक्ष लेना तो विश्वसनीय स्थान से ही खरीदे
परन्तु आप भी अपने ढंग से जान सकते है असली और नकली रुद्राक्ष कैसे होते है
कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान🚩
1.रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वहअसली होगा
इसके अलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली
2. रुद्राक्ष सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है
3. प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं,असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है,
4.बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है,
5.रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता ह,ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है
7. रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा
8.नकलीरूद्राक्षकेउपरउभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भीएकरूपनहींहोगी, जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं
9. यदि रुद्राक्ष को 2 ताम्बे के सिक्को के बीच रखा जाये