ज्योतिषशास्त्र में, क्या है ज्वालामुखी योग
Shareज्योतिषशास्त्र में, क्या है ज्वालामुखी योग, यह जानने के लिए मुख्य रूप से तिथि तथा नक्षत्र का विचार किया जाता है। ज्वालामुखी योग का फल शुभ कार्यो के लिए अशुभ माना गया है तथा शत्रु एवं युद्ध आदि के लिए शुभ। इस योग में उत्पन्न जातक जीवनपर्यन्त कठिनाइयों का सामना करता रहता है। यदि कोई जातक इस योग में कोई कार्य प्रारम्भ करता है तब उसका कार्य पूर्णरूपेण संपन्न नहीं हो पाता है या बार-बार विघ्नों का सामना करना पड़ता है इसी कारण से ज्वालामुखी योग में कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ कदापि नहीं करना चाहिए। ज्वालामुखी-योग-मुहूर्त का प्रयोग मुख्य रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए करना चाहिए। ज्वालामुखी योग का निर्माण कैसे होता है ज्वालामुखी योग का निर्माण मुख्य रूप से 5 तिथियों तथा 5 नक्षत्रो के संयोग से होता है यहाँ यह महत्वपूर्ण है की निश्चित तिथियों में निर्धारित नक्षत्र, पड़ने पर ही यह योग बनता है। यथा – प्रतिपदा तिथि को मूल नक्षत्र, पंचमी तिथि को भरणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि को कृतिका नक्षत्र, नवमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र, दशमी तिथि को आश्लेषा नक्षत्र, अर्थात यदि उपर्युक्त तिथि में वही नक्षत्र पड़ता है तो उस दिन ज्वालामुखी योग बनेगा। यदि तिथि है नक्षत्र नहीं पड़ा या नक्षत्र है परन्तु निर्धारित तिथि नहीं पड़ा तो ज्वालामुखी योग नहीं बनेगा। वस्तुतः इस योग के अशुभत्व का वर्णन शास्त्र सम्मत है क्योकि हमारे प्राचीन शात्रों में भी इसका वर्णन दिया गया है। इस योग के सम्बन्ध में एक प्रसिद्ध लोकोक्ति भी द्रष्टव्य है :- जन्मे तो जीवे नहीं, बसे तो उजड़े गाँव, नारी पहने चूड़ियाँ, पुरुष विहीनी होय। बोवाई करे तो काटे नहीं, कुएँ उपजे न नीर।। अर्थात यदि इस ज्वालामुखी योग में, संतान का जन्म होता है तो वह जीवित नहीं बचेगा और यदि जमीन जायदाद बनाते है या लेते है तो जातक के लिए यह अरिष्ट होगा। यदि इस योग में किसी जातक का विवाह होता है तो उसके जीवन में मांगल्य सुख का अभाव होगा। यदि इस योग में कोई किसान खेतों में बीज बोता है तो फसल अच्छी नहीं होगी है। इस योग में यदि कुआँ, अथवा तालाब खोदा जाता है तो वह बहुत जल्द सूख जाता है। यदि इस योग में कोई रोग हो जाता है तो उसे ठीक होने बहुत वक्त लगेगा या ठीक नहीं भी होगा। ज्वालामुखी योग में यदि कोई व्यावसायिक समझौता किया जाता है तो वह बहुत जल्द ही टूट जाता है।
👍👍👍
🙏🙏
very nice article by sir ji