जबकि राहु भ्रम व नकारात्मक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। जब दोनों ग्रह एक ही भाव में एकत्र होते हैं तो उनकी शक्ति पहले से अधिक हो जाती है। लाल किताब में इस योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है। राहु से विस्तार की बात केवल इसलिये की जाती है क्योंकि राहु जिस भाव और ग्रह में अपना प्रवेश लेता है उसी के विस्तार की बात जीव के दिमाग में शुरु हो जाती है,कुंडली में जब यह व्यक्ति की लगन में होता है तो वह व्यक्ति को अपने बारे में अधिक से अधिक सोचने के लिये भावानुसार और राशि के अनुसार सोचने के लिये बाध्य कर देता है जो लोग लगातार अपने को आगे बढाने के लिये देखे जाते है उनके अन्दर राहु का प्रभाव कहीं न कहीं से अवश्य देखने को मिलता है। लेकिन भाव का प्रभाव तो केवल शरीर और नाम तथा व्यक्ति की बनावट से जोड कर देखा जाता है लेकिन राशि का प्रभाव जातक को उस राशि के प्रति जीवन भर अपनी योग्यता और स्वभाव को प्रदर्शित करने के लिये मजबूर हो जाता है। राहु विस्तार का कारक है,और विस्तार की सीमा कोई भी नही होती है,मंगल शक्ति का दाता है,और राहु असीमितिता का कारक है,मंगल की गिनती की जा सकती है लेकिन राहु की गिनती नही की जा सकती है।राहु अनन्त आकाश की ऊंचाई में ले जाने वाला है और मंगल केवल तकनीक के लिये माना जाता है,हिम्मत को देता है,कन्ट्रोल पावर के लिये जाना जाता है।अगर मंगल को राहु के साथ इन्सानी शरीर में माना जाये तो खून के अन्दर इन्फ़ेक्सन की बीमारी से जोडा जा सकता है,ब्लड प्रेसर से जोडा जा सकता है,परिवार में लेकर चला जाये तो पिता के परिवार से माना जा सकता है,और पैतृक परिवार में पूर्वजों के जमाने की किसी चली आ रही दुश्मनी से माना जा सकता है। समाज में लेकर चला जाये तो गुस्से में गाली गलौज के माना जा सकता है,लोगों के अन्दर भरे हुये फ़ितूर के लिये माना जा सकता है। अगर बुध साथ है तो अनन्त आकाश के अन्दर चढती हुयी तकनीक के लिये माना जा सकता है। गणना के लिये उत्तम माना जा सकता है। गुरु के द्वारा कार्य रूप में देखा जाने वाला मंगल राहु के साथ होने पर सैटेलाइट के क्षेत्र में कोई नया विकास भी सामने करता है,मंगल के द्वारा राहु के साथ होने पर और बुध के साथ देने पर कानून के क्षेत्र में भ्रष्टाचार फ़ैलाने वाले साफ़ हो जाते है,उनके ऊपर भी कानून का शिकंजा कसा जाने लगता है,बडी कार्यवाहियों के द्वारा उनकी सम्पत्ति और मान सम्मान का सफ़ाया किया जाना सामने आने लगता है,जो लोग डाक्टरी दवाइयों के क्षेत्र में है उनके लिये कोई नई दवाई ईजाद की जानी मानी जाती है,जो ब्लडप्रेसर के मामले में अपनी ही जान पहिचान रखती हो। धर्म स्थानों पर बुध के साथ आजाने से मंगल के द्वारा कोई रचनात्मक कार्यवाही की जाती है,इसके अन्दर आग लगना विस्फ़ोट होना और तमाशाइयों की जान की आफ़त आना भी माना जाता है। वैसे राहु के साथ मंगल का होना अनुसूचित जातियों के साथ होने वाले व्यवहार से मारकाट और बडी हडताल के रूप में भी माना जाता है। सिख सम्प्रदाय के साथ कोई कानूनी विकार पैदा होने के बाद अक्समात ही कोई बडी घटना जन्म ले लेती है। दक्षिण दिशा में कोई बडी विमान दुर्घटना मिलती है,जो आग लगने और बाहरी निवासियों को भी आहत करती है,आदि बाते मंगल के साथ राहु के जाने से मिलती है।मेरा यह मानना है कि इस योग का प्रभाव व्यक्ति के लग्न और ग्रहों की स्थिति के अनुसार अलग-अलग होगा और उपाय भी. मुझ से बहुत मित्र उपाय पूछते रहते हैं. मैंने ऐसे उपाय कई बार लिखे हैं, जो सभी कर सकते हैं. पर कुछ उपाय कुंडली के अनुसार ही होते हैं. यह उसी प्रकार है कि हर एक को हल्दी, लहसुन खाने को कहना, या उस व्यक्ति कि प्रकृति इत्यादि जानकर उसके लिए उसको एकदम फिट बैठने वाली दवा यह योग अच्छा और वुरा दोनो तरह का फल देने वाला है। अता मित्रों आप अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखा कर ही उपाय करें अपने आप देखादेखी कोई उपाय है ना करें वरना लाभ के स्थानपर हानी हो सकती है Acharyarajesh