आज भारत में सभी लोग वास्तु का सदुपयोग करके अपना जीवन खुशहाल करने में लगे हैं और जिसके नियम सभी जानते हैं हम अपने घर में, दुकान में, फैक्ट्री में और किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य में वास्तु का प्रयोग करके पॉजिटिव एनर्जी को ज्यादा बढ़ावा देकर लाभ ले रहे हैं इसलिए आज यह भी जानना जरुरी है क्या भारत के नक्शे के हिसाब से हमारा भविष्य कैसे वास्तु से ठीक किया जा सकता है
आपको जानकर आनन्द आएगा कि अभी जो गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति लगी है,मुंबई में शिवाजी की मूर्ति लग रही है ।ये संयोग है
भारत के दक्षिण पश्चिम में इस प्रकार के बड़े निर्मण हो रहे हैं तो अब हम देखते हैं कि केरल में हमारा पदमनाभ स्वामी का मंदिर है और भगवान विष्णु के इस विशाल मंदिर में करोड़ों का खजाना है ,अगर सरकार या मन्दिर कमेटी उसके पास समुन्द्र में भगवान नारायण की एक विशाल मूर्ति और भगवान कृष्ण द्वारा गीता का उपदेश दिए जाने वाली एक पूरी कहानी कहने वाली पूरी योजना को दर्शकों के लिए बना देती है तो निश्चित तौर पर हिंदुत्व एवम भारत का विश्व मे डंका बजेगा। दुनिया को हमारी संस्कृति को दिखाने में और भगवान का विराट स्वरुप को दिखाने वाली विशाल मूर्ति लगाई जाती है तो निश्चित तौर पर यह वास्तु में करवाए जाने वाली एक बड़ी रेमेडी होगी और उसके कारण दक्षिण पश्चिम के भारी होने से सभी जानते हैं समृद्धि बढ़ती है ।
भारत के इतिहास में सभी को पता है कि हमारे धन को विदेशों में ले जाया गया और लगातार चोरी होती रही । यदि हम वास्तुकला के नियमों के अनुसार दक्षिण पश्चिम में ये निर्माण करते है तो ,किसी प्रकार की जो हमारे धन का जो नुकसान हो रहा था , उस सबसे बचा जा सकता है ।तो मैं कहूंगा कि सभी जो वास्तु के नियम जो जानते हैं दक्षिण पश्चिम भारी होना चाहिए उत्तर पूर्व हल्का चाहिए और भारत की तटीय सीमा को देखते हैं तो दक्षिण पश्चिम में समंदर है जो कि वास्तु के हिसाब से गलत है तो क्या इस प्रकार की रेमेडीज करने से वास्तव में कोई चमत्कार होगा मेरा मानना तो यह है कि सच में चमत्कार होगा और भूतकाल में जिस प्रकार से भारत को बार-बार विदेशी आक्रमणकारियों ने और बाद में भ्रष्टाचार के द्वारा लूटा जाता रहा उस पर अंकुश लग जायेगा। हमारे यहां का जो धन है वह विदेश में चला जाता था ,अगर हम भगवान विष्णु की विराट मूर्ति को वहां पे स्थापित करते हैं
देश के दक्षिण पश्चिम के इस मंदिर के पास के समुन्द्र एरिया में तो सच में यह एक बहुत अच्छी वास्तु रेमेडी होगी और इससे निशित तौर पर भारत की समृद्धि बढ़ेगी एवम भारत की तरक्की स्वस्थ होगी। ज्योतिष, वेद, वास्तु, योगा , अध्यात्म ,आयुर्वेद के लिए विश्वगुरु भारत मे यदि इनका उपयोग होगा , पूरे विश्व के पर्यटक जानेंगे देश की प्राचीन समृद्धि को ,ज्ञान को। जो पाठक वास्तु के मूल सिद्धांतों को जानता है , उनको पक्का यकीन होगा । इससे ना केवल सम्रद्धि बढ़ेगी , संसार गीता के सार को समझेगा, हमारी मानवता के प्रति विरासत का लाभ लेगा। डॉ राकेश पेड़ीवाल , वैदिक ज्योतिष विधापीठ www.futurestudyonline.com