प्रश्न ज्योतिष

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Astro Manish Tripathi 10th Jan 2018

प्रश्न ज्योतिष का महत्त्व :-

ज्योतिष पत्रिका " के .पी. एस्ट्रो साइंस " को प्रथम बार पढ़ने पर ज्यादातर लोगो के दिमाग में यह प्रश्न पैदा होता होगा कि इसमे मुख्य कुंडली कि अपेक्षा प्रश्न कुंडली से फलादेश क्यों किया जाता है क्या मुख्य कुंडली की कोई आवश्यकता नहीं , ऐसा बिलकुल भी नहीं है . आपकी अपनी कुंडली से भी प्रश्नो का जवाब दिया जा सकता है . परन्तु होता ये है कि कई बार ज्योतिषियों के सामने ऐसी समस्या आ जाती है जब कोई अपने बारे में कुछ जानना चाहता है लेकिन उसके पास जन्म दिनाँक के अलावा  बताने को कुछ नहीं होता या जन्म दिनाँक के साथ जन्म समय पता नहीं होता , दोनों पता हो तो जन्म स्थान ऐसी जगह का होता है जिसके अक्षांश और देशांश ज्योतिष सॉफ्टवेयर में नहीं होते . आज तो हम इंटरनेट से किसी भी जगह के अक्षांश -देशांश पता कर सकते है परन्तु नेट से भी किसी दूर स्थित गाँव के अक्षांश -देशांश प्राप्त नहीं किये जा सकते , ऐसे में कुछ ज्योतिष आसपास के किसी नगर या शहर को जन्म स्थान मानकर कुंडली बना देते है जबकि  कुंडली में  15 किलोमीटर की दूरी से  कई कस्प या भावो के  उपनक्ष्त्रस्वामी बदल जाते है और फलादेश में अंतर आ जाता है .

ऐसे समय प्रश्न -ज्योतिष बहुत ही सहायक और उपयोगी  साबित हुआ है  .

प्रश्न -ज्योतिष का महत्त्व और कहाँ है ?

जब जातक कोई विशेष प्रश्न पूछना चाहता  हो जैसे :- 

1 . क्या कोई लोन मिलेगा ?

2 .क्या उधर दिया धन वापस मिलेगा ?

3 . क्या ऐसी लड़की से मेरी शादी होगी ?

4 . क्या मै जीवन मै कोई प्रॉपर्टी खरीद सकूँगा ?

5 .क्या विदेश जाने के योग है ?

6 . कौनसी  टीम मैच  जीतेगी ?

7 . क्या गम हुआ मोबाईल फोन वापस मिलेगा ?

8 . क्या मै चुनाव जीतूंगा ?

9 .  क्या इंटरव्यू मे  सिलेक्शन होगा ?

10 . क्या परीक्षा परिणाम अच्छा होगा ?

इस प्रकार के कई प्रश्नो का जवाब होरेरी नंबर लेकर के . भास्करन विधि से या के .पी . ज्योतिष से या नाडी ज्योतिष से दिया जा सकता है .जातक स्वयं के अलावा अपने दोस्तों , रिश्तेदारो आदि के बारे मे भी प्रश्न पूछ सकता है . यहाँ ज्योतिषियों को ध्यान रखना चाहिए की पार्टी मे , चलते -फिरते या ऐसे ही मजे के लिए पूछे गए प्रश्नो  का जवाब नहीं देना चाहिए . वास्तव मे कोई भी व्यक्ति अपने प्रश्न का उत्तर स्वयं लेकर आता है .कई बार व्यक्ति एक से अधिक प्रश्नो का जवाब चाहता है , जैसे उसका काम -काज ठीक नहीं चल रहा या उसकी संतान की शादी नहीं हो रही , इस प्रकार जातक के मन मे एक साथ कई प्रश्न हो सकते है . ऐसे समय ज्योतिषी को उस प्रश्न का जवाब पहले खोजना चाहिए जो ज्यादा जरुरी है , जब प्रश्न संतान से सम्बंधित हो तो चार्ट को प्रथम संतान के लिए पंचम भाव से , दूसरी संतान के लिए सप्तम भाव से घुमाना चाहिए .

प्रश्न कुंडली के लिए आवश्यक बातें :- 

1 . समय की शुद्धि :-  लगभग सभी घड़ियों मे मिनिट से लेकर सेकण्ड का अंतर होता है , सबसे पहले दूरदर्शन चेनल से अपनी घडी ( आपके कम्प्यूटर या लेपटोप ) को सही समय पर सेट कीजिए , क्योकि यह भारतीय मानक समय पर आधारित है , दुनिया मे सभी घड़ियाँ " सीजियम वॉच " पर आधारित है , Cs -133  तत्व का एक परमाणु एक सेकण्ड मे 9192631770 कम्पन्न करता है ये वाइब्रेशन सैकड़ों सालो मे भी नहीं बदलते है .भारत मे यह घड़ी " भारतीय नाप तोल कार्यालय " मे रखी है.

2 .  प्रश्न को समझना :-  ज्योतिषी को शांत भाव से प्रश्न को सुनना और समझना चाहिए .

3 . जातक से होरेरी नंबर लेना :- जिस प्रकार हर महादशा में अन्तर्दशा आती है , उसी प्रकार हर  नक्षत्र में उप -नक्षत्र स्वामी आते है , अर्थात अश्विनी , मघा , मूल इन केतु के अधिकार वाले नक्षत्रो में पहला उप नक्षत्र स्वामी केतु होगा और उसके बाद अन्य उप नक्षत्रस्वामी क्रम से आएंगे .सूक्ष्म फल निकलने के लिए होरेरी अंको की संख्या २४९ रखी गई है . इस 249 संख्या की गणना इस प्रकार से की गई है :- 

(अ)  27 नक्षत्रो में से प्रत्येक के 9 भाग 9 ग्रहो के अनुसार करने पर 27 x  9 = 243 .

(बी) मेष , सिंह , धनु राशियों में क्रमशः कृतिका , उत्तरफागुनी , उत्तराषाढ़ा नक्षत्रो के अंतर्गत राहु का भाग ( 29 -13 - 20 " से  30 -0 -0 " )

(स)  वृषभ , कन्या , मकर राशियों के इन्ही नक्षत्रो में राहू का भाग ( 0 -0 -0 " से 1 -13 -20 " तक ) = 3 .

(द)  मिथुन , तुला कुम्भ राशियों के पुनर्वसु विशाखा , पुरवाफागुनी में चन्द्र का भाग - ( 29 -26 - 40 " से 30 -0 - 0 " तक (अ) भाग में आ गया .

(इ ) कर्क , वृष्चिक , मीन राशियों में इन्ही नक्षत्रो का चन्द्रमा का भाग ( 0 -0 -0 " से 0 -33 -20 " ) =3 .  इस प्रकार 243 + 3 + 3 = 249 . 

हालाँकि कुछ शोधकर्ता 249 से भी अधिक उप -भाग करते है , लेकिन अभी इस पर अनुसन्धान बाकि है .

इस प्रकार 6 अतिरिक्त उप -विभाग इस प्रयोजन से जोड़े गए है कि प्रत्येक अंक एक अलग राशि के किसी नक्षत्र के विशेष भाग का प्रतीक हो . राहू का कुल मान दो राशियों में आ जाने से प्रत्येक राशि का राहू - मान अलग-अलग अंक माना गया है .

4 . प्रश्न का समय :- हो सकता है कि कोई व्यक्ति एस्ट्रोलोजर से फोन पर 1  से  249 के बीच का कोई नंबर बताये और एस्ट्रोलोजर का कंप्यूटर या लेपटोप चालू न हो ऐसे में एस्ट्रोलोजर चाहे तो वह प्रश्न नंबर और उस वक़्त का समय नोट कर सकता है , ऐसा प्रश्न नंबर केवल 2 दिन सक्रीय रहता है , इसके बाद प्रश्नकर्ता से दूसरा नंबर लेना चाहिए . प्रश्न पूछने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न नंबर को कंप्यूटर में डालने का समय महत्वपूर्ण होता है .

5 .  प्रश्न समय का स्थान :- जहाँ एस्ट्रोलोजर प्रश्न पर विचार करे वही स्थान महत्वपूर्ण होता है .उसी स्थान के अक्षांश - देशांश लेना चाहिए . इस प्रकार प्रश्न नंबर लेकर सॉफ्टवेयर में फीड करने पर एस्ट्रोलोजर के सामने जन्म लग्न कुंडली , निरयण भाव चलित कुंडली तथा ग्रहो , उनके नक्षत्रो और उप -नक्षत्रो की स्थिति आ जाती है .दशा , भुक्ति ,अंतर भी आ जाता है .

" जातक क्या प्रश्न पूछना चाहता है ? "

क्या ही अच्छा हो कि हम जातक को बताये कि वो क्या प्रश्न पूछने आया है ? , इसके 2  तरीके है -

(1 ) प्रश्न - समय चन्द्रमा जिस ग्रह  के नक्षत्र में हो उसे देखे कि वह स्वयं किस ग्रह के नक्षत्र में है और वह ग्रह किन भावो का सूचक है - बस उन्ही भावो से सा सबंधित जातक का प्रश्न है .

(2 ) डी .बी . ए. में देखे अन्तर्दशास्वामी ग्रह कौन है वो प्रश्न - समय किस ग्रह के नक्षत्र में है , जिस किसी भी ग्रह के नक्षत्र में हो वो किन भावो का सूचक है बस उन्ही भावो से सम्बंधित जातक प्रश्न है .

इन 2  नियमो को जातक की जन्म कुंडली पर भी आजमाया जा सकता है , और जन्म समय भी शुद्ध किया जा सकता है क्योकि गणित झूठा नहीं हो सकता , दिया गया जन्म समय गलत हो सकता है .


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आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

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