कुंडली में मंगल है मजबूत तो मिलेंगे ये शुभ परिणाम!!

Share

Deepika Maheshwari 06th Jul 2021

ज्योतिष के आधार नवग्रहों में से प्रत्येक की हमारे जीवन संचालन में एक विशेष भूमिका होती है परंतु इसमें भी मंगल हमारी जन्मकुंडली में कुछ ऐसे विशेष घटकों को नियंत्रित करता है जिनसे हमें अपने जीवन के संघर्षों और बाधाओं का सामना करने की हिम्मत और प्रेरणा मिलती है। ज्योतिष में मंगल अग्नि तत्व ग्रह है जो लाल रंग और क्षत्रिय वर्ण के गुण रखने वाला है, मेष और वृश्चिक राशि पर मंगल का आधिपत्य है अर्थात मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, मकर राशि में मंगल उच्चस्थ तथा कर्क मंगल की नीच राशि है। सूर्य, बृहस्पति और चन्द्रमाँ मंगल के मित्र ग्रह हैं तथा शनि, शुक्र, बुध और राहु से मंगल की शत्रुता है। मंगल किसी भी राशि में लगभग 45 दिन अर्थात डेढ़ महीना गोचर करता है और फिर अगली राशि में प्रवेश करता है।

ज्योतिष में वैसे तो मंगल को बहुत सी चीजों का करक माना गया है जैसे तकनीकी कार्यो का कारक मंगल होता है इंजीनियरिंग और शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में मंगल की अहम भूमिका होती है धातु, हथियार, बड़े भाई, विधुत, अग्नि, भूमि, सेना, पुलिस, सुरक्षा कर्मी, लड़ाई झगड़ा, रक्त, मांसपेशियां, पित्त, दुर्घटना और स्त्रियों का मांगल्य आदि बहुतसे घटकों का कारक मंगल होता है, परंतु यहाँ हम मंगल के उन कुछ विशेष कारकतत्वों का वर्णन करना चाहते हैं जो हमारे प्रवाह में हमारे विशेष सहायक होते हैं वे हैं - "हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, साहस और प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति"

अच्छा और बलि मंगल व्यक्ति को हिम्मत शक्ति और पराक्रम से परिपूर्ण एक उत्साही और निडर  व्यक्ति बनाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में हो या अन्य प्रकार बली हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत साहसी और किसी से ना दबने वाला अटल प्रवर्ति का व्यक्ति होता है, बलवान मंगल व्यक्ति को किलिंग स्प्रिट देता है जिससे व्यक्ति जिस काम को करने की ठान ले उसे पूरा करके ही दम लेता है। कुंडली में मंगल बलवान होने पर व्यक्ति अपने कार्य के प्रति बहुत पैशन रखने वाला होता है और ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी मेहनत करना नहीं छोड़ता। कुंडली में बलवान मंगल व्यक्ति को परिस्पर्धा की कुशलता भी देता है जिससे वह अपने विरोधियों पर सदैव हावी रहता है।

ज्योतिष में मंगल को किशोरावस्था का कारक माना गया है जो कभी वृद्ध नहीं होता, फलित ज्योतिष में कोई भी ग्रह किसी राशि में 1 से 30 डिग्री के बीच कितनी डिग्री पर है इसका फलित पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है कोई भी ग्रह जब अधिक डिग्री का विशेषकर 30 डिग्री के आसपास का हो तो वह वृद्धावस्था का होकर कमजोर माना जाता है परंतु एक ऐसा ग्रह है जो अधिक डिग्री का होने पर भी बलि ही रहता है क्योंकि यह किशोरावस्था का कारक है, अतः जिन लोगों की कुंडली में मंगल बहुत बलवान होता है वे 50 की उम्र में भी 25 - 30 के सामान प्रतीत होते हैं। मंगल के इन्ही विशेष गुणधर्मों के कारण सेना, नेवी, एयर फ़ोर्स, पुलिस, सुरक्षा गार्ड, एथलीट, स्पोर्ट्समैन, आदि लोगो के जीवन में उनकी कुंडली में स्थित बलवान मंगल की अहम भूमिका होती है
हमारे स्वास्थ पक्ष में भी मंगल अपनी विशेष भूमिका निभाता है मुख्य रूप से रक्त, मांसपेशियां, और पित्त को मंगल नियंत्रित करता है यदि कुंडली में मंगल छटे, आठवे भाव में हो, नीच राशि में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को रक्त से जुडी समस्याएं, मसल्सपेन, एसिडिटी, गॉलब्लेडर की समस्याएं, फुंसी फोड़े और मुहासे आदि की समस्याएं अधिक होती हैं इसके आलावा पीड़ित या कमजोर मंगल व्यक्ति को कुछ भयभीत स्वाभाव का भी बनाता है और व्यक्ति प्रतिस्पर्धा से घबराता है।

कुंडली में मंगल कमजोर होने पर " हनुमान चालीस और सुन्दरकाण्ड का पाठ तथा ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप बहुत लाभकारी होता है।


Like (2)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।