विवाह को लेकर अकसर दो तरह के विचार सामने आते हैं, कुछ लोग तो प्रेम विवाह को सफल मानते हैं, वहीं कुछ लोग तयशुदा विवाह को अधिक सफल मानते हैं।
कुण्डली में कुछ ऐसे योग होने से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैI राहु के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है, राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता हैI राहु का स्वभाव संस्कृ्ति से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है I जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हो तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है I
#जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हो तो भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है I इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव या भावेश से संबन्ध बनाता है तो जातक के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करता हैI जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं अधिक बनती हैI
व्यक्ति की कुण्डली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब/अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हो तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैI जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द्रमा लग्न से पंचम भाव में स्थित हो तो भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैI
जब पंचम भाव में मंगल हो तथा पंचमेश व एकादेश का राशि परिवर्तन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हो उस स्थिति में भी प्रेम विवाह होने के पूर्ण योग बनते है I पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हो उस स्थिति में भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती हैI जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हो तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है I कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हो या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हो, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हो इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है I
व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक -दूसरे से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहे हो तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है I सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हो तब प्रेम विवाह का भाव बली होता है I पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हो तब भी प्रेम विवाह के योग बनते हैI यदि सप्तमेश की दृ्ष्टि, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हो तो, प्रेम विवाह होता हैI द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेष की युति हो व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैI
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर ये कहा जा सकता है, की प्रेम विवाह करने से पहले लड़के और लड़की को एक दुसरे को जानने का प्रयाप्त समय मिल जाता है, इसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते हैI इसलिए साथ ही समय रहते प्रेम विवाह करने से पहले लड़का और लड़की अपने - अपने ग्रह नक्षत्रों की दिशा का भी बोध कर लेना और यह जान लेना चाहिए की क्या प्रेम विवाह के उपरांत उन दोनों की वैवाहिक जिंदगी खुशनुमा रह पाएगी भी या नहींI