वसन्त पंचमी, 2 फरवरी रविवार को मां सरस्वती का प्रकटोत्सव दिवस*

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Astro Ajay Shastri 01st Feb 2025

*वसन्त पंचमी, 2 फरवरी रविवार को मां सरस्वती का प्रकटोत्सव दिवस* माघ शुक्लपक्ष पंचमी 2 फरवरी को प्रातः 9:15 से 3 फरवरी प्रातः 6:52 तक रहेगी माघ शुक्लपक्ष पंचमी को विद्या_बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। इस उपासना के महापर्व को वसंत पंचमी कहते हैं! इस पर्व पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है! सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के मन से हुआ है इसलिए मां शारदा रचनात्मक ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतीक है। सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्मा जी ने देखा कि लोग मुख और नीरज इसलिए ब्रह्मा जी ने मानवता को श्रेष्ठ और ज्ञान से समृद्ध करने के लिए मां सरस्वती का आवाहन किया। जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए ज्ञान कर्म और भक्ति प्रमुख है सरस्वती जी जीवन में यह गुण लाते हैं।
शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का प्रकटोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सरस्वती की पूजा अर्चना कर ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। लोकाचार के अनुसार इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है, विवाह,गृह प्रवेश, शिक्षण संस्थान, नए कोर्स आदि की शुरुआत करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया हैं क्योंकि देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं और विद्या को सभी प्रकार के धनों में सर्वश्रेष्ठ माना है। विद्या से ही सभी प्रकार के सुख_सुविधा, धन संपत्ति, मान सम्मान प्राप्त किया जा सकता है।जिस व्यक्ति पर मां शारदा प्रसन्न होती हैं, उसे महालक्ष्मी की भी कृपा मिल जाती है। मां शारदा को संगीत_कला अध्यात्म, वीणा वादिनी, विद्या_बुद्धि ज्ञान देने वाली देवी हैं। विद्या से स्वभाव में विनम्रता आती है व सम्मान की प्राप्ति होती हैं। यदि कुंडली में विद्या_बुद्धि का योग नहीं है, तो इसदिन विशेष पूजा_पाठ करने से मां सरस्वती वाग्देवी का आशीर्वाद मिलता है। ब्रह्म विद्या एवं नृत्य संगीत क्षेत्र की अधिष्ठाता मां भगवती का वर्णन दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य ने भी एक प्रकृति माना हैं । यह शुक्लवर्ण,शुक्लाम्बरा, वीणा पुस्तक, श्वेत पद्मासना कही गई है, इनकी उपासना करने से अज्ञानी भी ज्ञानी बन जाता है। देवी सरस्वती का वर्णन वेदों में "मेधा सूक्त" में, उपनिषदों, देवी भागवत आदि में मिलता है।
*कैसे करें मां सरस्वती की आराधना* पीले या सफेद वस्त्र धारण कर पूर्व या उत्तर को मुख करके पूजा करनी चाहिए। मां सरस्वती का विशेष रूप से पंचोपचार से पूजन करें_
श्वेत चंदन,पुष्प,धूप,दीप आदि अर्पित कर मिश्री,दही,खीर आदि का भोग लगावें फिर मंत्र_स्त्रोत्र आदि का पाठ करें! ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
वेदों में कहां गया है_ पावका न: सरस्वती वाज़े भिर्वजिनिवति यज्ञं वस्तु धियावसु: !!
हे सरस्वती, आप हमारी बुद्धि को शुद्ध करने वाली हैं। आप हमारी आंतरिक और बाहरी शक्तियां जागृत कीजिए। इसलिए सरस्वतीजी हमें उत्तम विचारों के प्रति प्रेरित करती हैं।उनकी कृपा से मस्तिष्क में कभी बुरे विचार नहीं उपजते वे वाणी को नियंत्रित और निर्विकार बनाती हैं। वे कानों को अच्छे विचार सुनने के लिए प्रेरित करती हैं। हाथों को अच्छे कर्म करने और पैरों को सही दिशा में बढ़ाने का विवेक देती है। इस तरह में हमारी बुद्धि का पोषण करती हैं इस बुद्धि से ही हम अपनी दैनिक आजीविका चलाते हैं।


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