ज्योतिष शब्द - ज्योति(प्रकाश) +ष(दिखाने वाला) से बनता है जिसका अर्थ होता है मार्ग प्रशस्त करने वाला या अंधेरे से बाहर निकालने वाला ज्योतिष को हमारे शास्त्रों में आंख की उपाधि दी है ये वो दिव्य आंख है जिससे भूत भविष्य और वर्तमान तीनों देखे जा सकते हैं, जो ये तीनों देख सकता है उसे हम त्रिकाल दर्शी ज्योतिषी कहते हैं जो संसार में विलुप्तप्राय है, दो वेदों के अध्यन करने वाले को द्विवेदी और तीन का अध्यन करने वालों को त्रिवेदी और 4 का अध्यन करने वालों को चतुर्वेदी कहा जाता है ज्योतिष असल मे भविष्य जानने की विधा है जिसे हम अंक गणित हस्त रेखाओ के अध्यन, वास्तु, मस्तिष्क की रेखा, टैरो कार्ड से, शालाका विधि से, और वैदिक विधि या पाश्चात्य विधि के रूप में सीखते हैं इसके अलावा किसी भी तरह से भविष्य जानना ज्योतिष के क्षेत्र में आता है उसके उपाग़म the भिन्न भिन्न हो सकते हैं किन्तु लक्ष्य एक ही होता है भविष्य जानना ज्योतिष की शुरुआत विभिन्न गणना के द्वारा अलग अलग समय की बताई गई है वर्तमान में अगर आप माने तो ज्योतिष की रचना आज से 12 हजार वर्ष पहले हो चुकी थी किन्तु ये वैज्ञानिक आधार है, शास्त्र इसको नहीं मानता है शास्त्र के अनुसार सृष्टि निर्माण के दौरान ही ब्रह्मा जी ने जब ग्रह नक्षत्रों की रचना की उसी दिन से ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव सम्पूर्ण ब्रह्मांड पर पड़ना शुरू हो गया था जो कि बिल्कुल सत्य आज की बिग bang थ्योरी के हिसाब से 13 अरब 70 करोड़ वर्ष पहले ब्रह्मांड का निर्माण हुआ और पृथ्वी का निर्माण 450 करोड़ वर्ष पहले हुआ तथा पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति 10 लाख वर्ष मानव (homosepinous) हुई वर्तमान में दिखने वाले मानव जैसे शरीर की उत्पत्ति 10 हजार वर्ष पहले हुई, इसलिए मानव उसी चीज़ को count करता है जिसको वह तथ्य मानता है ये विषय काफी विवादित रहा है ग्रहों को ऊर्जा रश्मियों के रूप में आ कर मानव के मस्तिष्क ग्रन्थियों पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रभाव डालती है, सृष्टि का नियम है ऊर्जा ना नष्ट हो सकती है ना बनाई जा सकती है सिर्फ परिवर्तित की जा सकती है अतः मनुष्य के कर्मों का फल उसे उसी ऊर्जा के रूप में मिलता है जो कुंडली द्वारा पढ़ा जा सकता है दरअसल कुंडली एक नक्शा है जिसके द्वारा मनुष्य की पुरानी और नई ऊर्जा का अध्यन किया जाता है और उसे 12 खंडों में बांट के उसके स्वभाव से लेके उसके प्रभाव तक, उसके जीवन की ऊर्जा की expery date, उसकी उत्पादक क्षमताओं उसकी कार्य शैली सब जानी जा सकती है इन चीजों को मुझे वैज्ञानिक रूप में इसलिए समझाना पड़ रहा है क्युकी अधिकांश व्यक्ति इसे अंधविश्वास के रूप में इसलिए देखते हैं या तो वो नास्तिक है या वो समझ नहीं पाए या वो ठगी का शिकार हो चुके हैं अतः Astrology एक पवित्र ग्रंथ है जिसकी प्रशंसा स्वयं नारायण ने की है वो नारद मुनि को कहते हैं आप समस्त जगत की सूचना जिस विधा से प्राप्त कर देवताओ और मानव जाति के कल्याण हेतु करते हो उस ज्योतिष को मेरा नमस्कार और साथ में मेरा भी ✒️ Shubham Garg ज्योतिष