रोजगार एवं व्यवसाय का योग आपकी कुण्डली मे......
Shareप्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। 2, 6, 10 अर्थ भाव होने से व्यक्ति की धन संबंधी आवश्यकता को पूरा करते हैं। दूसरा भाव हमारे कुटुंब व संचित धन को दर्शाता है। छठा भाव हमारी नौकरी व ऋण को दर्शाता है। दसवां भाव हमारे व्यवसाय को दर्शाता है। किसी व्यक्ति का दूसरा भाव बलवान हो तो उसकी धन संबंधी आवश्यकताएं कुटुंब से मिली हुई संपत्ति व धन से पूरी होती रहती है । किसी व्यक्ति का छठा भाव बलवान हो तो व्यक्ति नौकरी द्वारा सारा जीवन गुजार देता है। कुछ लोग जीवन भर उधार ही मांगते रह जाते हैं और उनके कार्य चलते रहते हैं। दशम भाव बलवान होने से व्यक्ति अपने स्वयं के कर्म से धन कमाता है। व्यक्ति किस तरह के व्यवसाय या नौकरी में अधिक सफलता प्राप्त करेगा इसका निर्धारण करने के लिए 1 , 2 , 7 ,9,10 , 11 , भाव में विराजमान ग्रह या इन भावो पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों से किया जाता है । जिसकी कुंडली में प्रथम , द्वितीय , सप्तम , नवम , दशम एवं एकादश भाव के स्वामी एवं बुध प्रबल रहतें हैं , ऐसे लोग समान्यतः स्वयं के व्यवसाय में सफल होते है । अन्यथा नौकरी करने से आमदनी होती है ।