केरियर ( आजीविका) का चुनाव ज्योतिष शास्त्र के द्वारा केसे जाने
" /> जन्मपत्रिका से आजीविका निर्णय की बात आते ही सहसा ध्यान कुण्डली के कर्म भाव की ओर आकृष्ट हो जाता है..| मस्तिष्क दशम भाव तथा दशमेश की स्थिति को परखने लगता है"/>केरियर ( आजीविका) का चुनाव ज्योतिष शास्त्र के द्वारा केसे जाने
Share..कॅरियर चयन में विचारणीय जन्म लग्न कुंडली के भाव. जन्मपत्रिका से आजीविका निर्णय की बात आते ही सहसा ध्यान कुण्डली के कर्म भाव की ओर आकृष्ट हो जाता है..|
मस्तिष्क दशम भाव तथा दशमेश की स्थिति को परखने लगता है..| अन्तत: परिणाम यह निकलता है कि मस्तिष्क किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँच पाता है..‼ *क्योंकि दशम भाव तथा दशमेश जिस कार्यक्षेत्र को बता रहे हैं, उक्त व्यक्ति का कार्यक्षेत्र उससे भिन्न है..| ऐसा अनुभव जीवन में अनेक जन्मपत्रिकाओं का अध्ययन करने पर मिलता है
..|* वास्तव में कॅरियर का विचार सिर्फ कर्म भाव से नहीं किया जा सकता है..| *☑दशम भाव व्यक्ति के "परिश्रम तथा कर्म" को दर्शाता है..|* *☑उस कर्म से मिलने वाले फल को, तथा "धनागम को •द्वितीय तथा •लाभ भाव" दर्शाते हैं..|
* 🔅 *कर्म करने के लिए व्यक्ति में सामर्थ्य होना चाहिए..|* उसी सामर्थ्य से कोई भी जातक कर्म करता हुआ आजीविका प्राप्त करता है, अत: *व्यक्ति के सामर्थ्य को लग्न भाव दर्शाता है..|* उपर्युक्त तथ्यों को समझते हुए ही प्रसिद्ध _ज्योतिर्विद् कल्याण वर्मा_ ने अपनी प्रसिद्ध रचना सारावली के ३३वें अध्याय के अन्तर्गत अन्तिम श्लोक में धन- लाभ विचार की पद्धति बताते हुए लिखा है कि लग्न, द्वितीय तथा लाभ-भाव में स्थित ग्रहों से अथवा इन भावेशों से धनलाभ का विचार होता है..|
🔅 _आचार्य वराहमिहिर_ बृहज्जातक में लिखते हैं कि *इन भावों में शुभ ग्रह हों, तो सरलतापूर्वक धनलाभ होता है तथा पापग्रह हों, तो परिश्रमपूर्वक धनलाभ होता है..|*
🔅 _गार्गी.._ कहते हैं कि इन भावों में ग्रह न हों, तो *"राशि की शुभाशुभता"* एवं अन्य *"ग्रहों की दृष्टि"* से धनलाभ का विचार करना चाहिए..|
🔅 उपर्युक्त शास्त्रीय प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि *आजीविका विचार के लिए सिर्फ दशम भाव का ही विचार नहीं करना चाहिए..|* उपर्युक्त भावों के अतिरिक्त *"पञ्चम भाव का भी आजीविका विचार में विशेष महत्त्व है..|"* वर्तमान समय में किसी भी नौकरी को प्राप्त करने अथवा व्यवसाय में सफल होने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है..| यदि व्यक्ति उच्च शिक्षा ग्रहण कर लेता है, तो उसे आजीविका निर्वहण में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है..| इन सभी तथ्यों से यह बात सिद्ध होती है कि *आजीविका विचार के लिए •दशम भाव के साथ ही •लग्न, •द्वितीय, •पञ्चम तथा •एकादश भाव भी विशेष विचारणीय है..|* 🚩 *⁉प्रश्न यह उठता है कि इन सभी भावों से किस प्रकार कार्यक्षेत्र का विचार किया जाए..⁉* 1⃣
कार्यक्षेत्र का विचार करते समय *_सर्वप्रथम दशम भाव तथा दशमेश की स्थिति को ही देखना चाहिए..| यदि कर्मेश अथवा कर्म भाव निर्बल हो, तो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र के लिए परिश्रम नहीं कर पाएगा..|_*
🔅 2⃣दशम भाव के *_पश्चात् "लग्न भाव " कर्मक्षेत्र हेतु विचारणीय द्वितीय महत्वपूर्ण भाव है..| लग्न भाव से व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं रुचि को देखा जाता है..| इस भाव अथवा भावेश के निर्बल होने पर व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य न होने के कारण कार्यक्षेत्र में सफलता नहीं मिलती है अथवा कई बार अपनी रुचि के अनुसार कॅरियर की प्राप्ति नहीं होती है..|_
* 🔅 3⃣लग्न के पश्चात् द्वितीय भाव महत्त्वपूर्ण है ..| *_द्वितीय भाव से "स्थायी धन-सम्पत्ति का विचार " किया जाता है..| साथ ही कुटुम्बजनों के सहयोग को भी देखा जाता है..| यदि द्वितीय भाव अथवा द्वितीयेश निर्बल हुआ, तो व्यक्ति "अच्छे कार्यक्षेत्र के होते हुए भी स्थायी धन-सम्पत्ति नहीं बना पाता " है अथवा उसे अपने कौटुम्बिकजनों का सहयोग न मिलने के कारण कार्यक्षेत्र में उच्च लाभ-सफलता प्राप्त नहीं होती है..|_
* 🔅 4⃣द्वितीय भाव के पश्चात् पञ्चम भाव का भी विचार करें..| *_पञ्चम भाव से विद्या, बुद्धि तथा आत्मविश्वास का विचार किया जाता है और इन तीनों के बिना कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ आजीविका प्राप्त नहीं कर सकता है..|_ पञ्चम भाव अथवा पञ्चमेश निर्बल होने पर व्यक्ति अथाह परिश्रम करने के पश्चात् भी अपने कॅरियर में आत्मविश्वास की कमी अथवा विद्या अल्प रहने के कारण सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है..|
🔅 5⃣पञ्चम भाव के पश्चात् ११-वाँ लाभ भाव भी विचारणीय है..| *_लाभ भाव का कॅरियर विचार में विशेष रूप से महत्त्व है..| इसकी महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह "कर्म भाव की समग्र उपलब्धि को दर्शाता है..|"* लाभ भाव से आय के स्रोतों का ज्ञान होता है..| कोई भी व्यक्ति किसी कार्य से, कितना लाभ प्राप्त करेगा यह विचार इस भाव से किया जाता है..| *_"यदि किसी व्यक्ति के पास श्रेष्ठ बुद्धि है, वह आत्मविश्वासी है, उसे अपने कौटुम्बिकजनों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है, वह स्वस्थ है तथा अपने कार्य के लिए अत्यन्त परिश्रमी भी है, फिर भी लाभ अथवा लाभेश के निर्बल होने पर उसे अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं होगी..| उपर्युक्त पॉंचों भावों का उत्तम सम्बन्ध तथा भाव और भावेशों की बली स्थिति जिन व्यक्तियों की जन्मपत्रिका में स्थित हों, उन्हें निश्चित रूप से श्रेष्ठ कार्यक्षेत्र की प्राप्ति होती है..|_
* 🔅 6⃣यदि इनमें से कोई एक या दो भाव अथवा भावेश निर्बल हों, तो व्यक्ति के कॅरियर में उस भाव से सम्बन्धित फलों की कमी रह जाती है..| जैसे; *_लग्न अथवा लग्नेश बलहीन होने पर व्यक्ति अपनी शारीरिक समस्याओं से परेशान रहेगा अथवा उसे अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्षेत्र की प्राप्ति नहीं होगी..| वह अन्य कार्यक्षेत्र से चाहे कितना भी धनार्जन कर ले, परन्तु उसे सन्तुष्टि प्राप्त नहीं होती..|_* 🔅| इन भावों और भावेशों का अन्य भाव और भावेशों से सम्बन्ध को समझते हुए ही किसी भी व्यक्ति के कॅरियर का निर्धारण करना चाहिए, क्योंकि इन भावों के अतिरिक्त भी शेष भावों का कॅरियर चयन में महत्त्व है..| हालांकि वह महत्त्व इतना अधिक प्रभावशाली नहीं है, फिर भी कार्यक्षेत्र को ये भाव प्रभावित करते हैं..| इन्हें समझने के लिए प्रत्येक भाव से सम्बन्धित फलों को जानना होगा..| 🔅 *_कार्यक्षेत्र के उपर्युक्त ✔यदि प्रमुख भावेश, किसी एक ही भाव में आकर सम्बन्ध बना लें, अथवा इनमें से कोई तीन या चार भावेश, किसी एक निश्चित भाव से सम्बन्ध बना लें, तो "जातक का कार्यक्षेत्र "उसी से सम्बन्धित हो जाता है..|