जन्म कुंडली में नवम भाव

Share

Astro Rakesh Periwal 22nd Jan 2019

नवम भाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में नवम भाव व्यक्ति के भाग्य को दर्शाता है और इसलिए इसे भाग्य का भाव कहा जाता है। जिस व्यक्ति का नवम भाव अच्छा होता है वह व्यक्ति भाग्यवान होता है। इसके साथ ही नवम भाव से व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण का पता चलता है। अतः इसे धर्म का भाव भी कहते हैं। इस भाव से व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन का विचार किया जाता है। यह भाव जातकों के लिए बहुत ही शुभ होता है। इस भाव के अच्छा होने से जातक हर क्षेत्र में तरक्की करता है। आचार्य, पितृ, शुभम, पूर्व भाग्य, पूजा, तपस, धर्म, पौत्र, जप, दैव्य उपासना, आर्य वंश, भाग्य आदि को नवम भाव से दर्शाया जाता है।

 

नवम भाव के कारकत्व

 

कुंडली में नवम भाव दैवीय पूजा, भाग्य, क़ानूनी मामले, नाटकीय कार्य, गुण, दया-करुणा, तीर्थ, दवा, विज्ञान, मानसिक शुद्धता, शिक्षा ग्रहण, समृद्धि, योजना, नैतिक कहानी, घोड़े, हाथी, सभागार, धर्म, गुरु, पौत्र, आध्यात्मिक ज्ञान, कल्पना, अंतर्ज्ञान, धार्मिक भक्ति, सहानुभूति, दर्शन, विज्ञान और साहित्य, स्थायी प्रसिद्धि, नेतृत्व, दान, आत्मा, भूत, लंबी यात्राएँ, विदेशी यात्रा और पिता के साथ संचार आदि नवम भाव के कारकत्व हैं।

 

ज्योतिष में नवम भाव का महत्व

 

 

“प्रसन्नज्ञान” में “भट्टोत्पल” के अनुसार, नौवां भाव कुएं, झीलों, टैंकों, मंदिरों, तीर्थयात्रा और शुभ कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं कालिदास के अनुसार, दान, गुण, पवित्र स्थानों की यात्रा, अच्छे लोगों के साथ संबंध, वैदिक बलिदान, अच्छा आचरण, दिमाग की शुद्धता, बुजुर्गों, तपस्या, औषधि, दवा, किसी की नीति, भगवान की पूजा, उच्च शिक्षा का अधिग्रहण, गरिमा, पौराणिक कथाओं, नैतिक अध्ययन, लंबी यात्रा, पैतृक संपत्ति, घोड़े, हाथी और भैंस (धार्मिक उद्देश्यों से जुड़े), और धन का संचलन नवम भाव के द्वारा देखा जाता है।

 

कुंडली में स्थित नवम भाव “विश्वास का भाव” भी है। इस भाव के माध्यम से यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति के पिछले जन्मों के अच्छे कार्यों का फल वर्तमान जीवन में भाग्य के रूप में प्राप्त होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जीवन में किए गए कार्यों के आधार पर फल पाने का पात्र है। नवम भाव जातक को भाग्य के माध्यम से सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाता है।कुंडली में नवम भाव के प्रभाव से जातक का स्वभाव धार्मिक, समर्पित, रूढ़िवादी और दयालु होता है। “काल पुरुष कुंडली” में इस भाव की राशि “धनु” है और धनु राशि का प्राकृतिक स्वामी “बृहस्पति” ग्रह होता है।

 

पाश्चात्य ज्योतिष में, दसवें भाव को पिता का भाव कहा जाता है, जबकि हिंदू ज्योतिष में, नौवें भाव को पिता के भाव के रूप में माना जाता है। पिता के लिए नवम और दशम भाव की भविष्यवाणियों की जाँच करने के बाद, यह सिद्ध होता है नवम भाव ही पिता का वास्तविक भाव होता है। इसलिए वास्तविक रूप से नवम भाव पिता को इंगित करता है जबकि दशम भाव पिता की आयु को बताता है। ज्योतिष के अनुसार, नवम भाव से पवित्र स्थानों, कुओं, जलाशयों, बलिदान और दान आदि का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और सभी धार्मिक संस्थानों को कुंडली के नौवें भाव के माध्यम से देखा जाता है। यह अंतर्ज्ञान और मानसिक शुद्धि का भाव भी है।

 

नवम भाव उच्च शिक्षा, उच्च विचार और उच्च ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। नौवां भाव अनुसंधान, आविष्कार, खोज, अन्वेषण आदि का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू लोग इस भाव को धर्म का भाव कहते हैं। नवम भाव प्रकाशन, विशेष रूप से धर्म, विज्ञान, कानून, दर्शन, यात्रा, अंतर्राष्ट्रीय मामलों आदि से संबंधित है। यह अच्छे लोगों, सम्मान और ईश्वर और बुजुर्गों के प्रति समर्पण, पिछले जन्म और पुण्य और परिवार से प्राप्त आशीर्वाद को भी दर्शाता है।

 

सत्य संहिता के लेखक कहते हैं कि कुंडली के इस भाव से शेष भावों और दूसरों से अनुकूलता की जाँच की जाती है। मेदिनी ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में नवम भाव न्यायिक-व्यस्था, सुप्रीम कोर्ट, न्यायाधीश, क़ानून, अदालत, वैश्विक क़ानून, नैतिक, धर्म, राजनयिक, विदेशी मिशन, प्रगति और विकास को दर्शाता है। नवम भाव से हवाई यात्रा, नौवहन, समुद्री यातायात, विदेशी आयात और निर्यात, समुद्र और तटों के आसपास मौसम की स्थिति और लंबी दूरी की यात्रा का विचार किया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र, विश्व संगठन, विदेश मामलों के मंत्रालय, राजनयिक, विदेशी देशों के साथ संबंध, विदेशी देशों, नौवहन, नौसेना, नौसैनिक मामलों के साथ व्यवहार का प्रतिनिधित्व करता है। यह भाव प्रकाशन उद्योग – विज्ञापन और सार्वजनिक मामलों से भी संबंधित है।

 

नवम भाव धर्म, मस्जिद, मंदिर, चर्च, धार्मिक किताबें जैसे वेद, पुराण, बाइबिल, कुरान आदि पवित्र स्थानों तथा वस्तुओं से संबंध रखता है। यह वाणिज्यिक शक्ति, केबल, तार, रेडियो, टीवी आदि जैसे लंबी दूरी के संचार को भी दर्शाता है। यह क़ानून मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करता है।

 

कुंडली में नवम भाव से क्या देखा जाता है?

 

धार्मिक जीवन

भाग्य

राजयोग

संतान

गुरु

पिता

धार्मिक यात्रा

नवम भाव का अन्य भावों से संबंध

 

ज्योतिष में नवम भाव कुंडली के अन्य भाव से भी अंतर्संबंध रखता है। यह शिक्षकों, प्रचारकों, तीर्थयात्रा, आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आप किसी लाचार व्यक्ति की मदद करते हैं तो आपका नवम सक्रिय हो जाता है। यह भाव विदेश यात्रा और आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्मांड, दर्शन, गुरु, स्नातकोत्तर शिक्षा, पीएचडी, मालिकों, शक्तियों की छिपी शक्ति, विदेशी स्थानों से पैसे कमाने की क्षमता, पारिवारिक संपदा का विनाश, पारिवारिक संपदा का अंत आदि को भी दर्शाता है। कुंडली में नवम भाव से आपके भाई-बहनों के जीवनसाथी, स्वास्थ्य, बीमारी और माता का कर्ज एवं बाधाएं; बच्चों, संतान की रचनात्मक अभिव्यक्ति, दुश्मन आदि को देखा जाता है।

 

कुंडली के नवम भाव से निवास, मामा की धन जायदाद, जीवनसाथी के भाई-बहन, संचार-शैली, छुपी हुई क्षमता, बेरोज़गारी और नौकरी या करियर, करियर से संबंधित यात्रा, छोटे भाई-बहन आपके पिता और पिता के संचार कौशल, पिता और दादी माँ का अाध्यात्मिक दृष्टिकोण को देखा जाता है। यह भाव जातक के आध्यात्मिक जीवन के कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ आध्यात्मिक मार्ग, दान-पात्र के स्थान, पानी का भंडारण इत्यादि को दर्शाता है।


Like (0)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।