वर्तमान और भविष्य की ग्रह दशाएं अनुकूल तो समय अच्छा होता है!

Share

Deepika Maheshwari 24th Oct 2019

हमारा सम्पूर्ण जीवन ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के ऊपर निर्भर है।जन्मकुंडली कुछ ग्रह शुभ स्थिति में होते है तो कुछ अशुभ स्थिति में बैठे हुये भी होते है शुभ स्थिति वाले ग्रह शुभ फल देंगे,अशुभ स्थिति वाले ग्रह अपनी दशाओ आदि में अशुभ फल देँगे।क्योंकि जातक का सम्पूर्ण जीवन ग्रह नक्षत्रों ओर निर्भर है और ग्रह नक्षत्र, ग्रहो की दशाओ पर निर्भर है।तो जातक के जीवन मे भूत, वर्तमान और भविष्य में ग्रह दशाएं चलेगी उन पर ही सब निर्भर करता है।अगर वर्तमान और भविष्य में चलने वाली या आने वाली ग्रह दशाएं शुभ नही है, जैसे कि अस्त,नीच अशुभ,पीड़ित आदि की ग्रह दशाएं है या भविष्य में आएगी तो निश्चित ही जातक का जीवन कठिनाई और परेशानी से बीतेगा, ऐसी ग्रह दशाओ के पहले से ही उपाय करके इनको शुभ बना लेना ही एक मात्र रास्ता होता है इसके विपरीत वर्तमान और भविष्य में आने वाली ग्रह दशाएं अच्छी चल रही है त अच्छी ग्रह दशाएं भविष्य में आएगी तो यह निश्चित ही सुखद, सफलता देने वाला, अच्छा जीवन देंगी।अशुभ ग्रह दशाओ में कुंडली के शुभ योग भी साथ छोड़ देते है और शुभ ग्रह दशा होने पर या भविष्य में आये तो अशुभ योग भी कुछ नही बिगड़ सकते।इसे ही समय बोलते है आपकी महादशाएं-अन्तरदशाये इसमे भी महादशाएं भविष्य में आने वाली अच्छी है या अच्छी चल रही है तब लगभग सब बढ़िया रहेगा।अब कुछ उदाहरण अनुसार समझाता हूँ:- #उदाहरण1:- मेष लग्न में लग्नेश मंगल होता जो कि लग्नेश होने से शुभ भी है अब ऐसी में मंगल माना 10वे भाव मे हो को कि यहाँ मंगल उच्च और दिग्बली होकर परम् शुभ होगा तो ऐसी मंगल की दशा शुभ फल देगी मतलब मंगल की दशा का समय काल अच्छा रहेगा अब मंगल के बाद राहु की महादशा आती है अब माना राहु 6वे भाव मे हो कन्या राशि का या 11वे भाव मे हो कुम्भ राशि का और कोई अशुभ योग बनाता हो तब मंगल के बाद भविष्य में आने वाली राहु महादशा भी अच्छी जाएगी समय अच्छा रहेगा।अब राहु के बाद गुरु की महादशा आती है जो कि इस कुंडली मे भाग्य का स्वामी होता है माना गुरु अब 5वे भाव मे सिंह राशि का हो लेकिन पूरी तरह अस्त हो गया हो या बहुत ही ज्यादा पाप ग्रहों से पीड़ित हो तब राहु के बाद गुरु की महादशा का समय आते ही जातक की स्थिति खराब होने लगेगी जीवन मे दिक्कते, तनाव, धन आदि कुंडली के अनुसार दिक्कते आने लगेगी मतलब समय खराब होने लगेगा इससे पहले बढ़िया था क्यों? क्योंकि इससे पहले मंगल राहु की महादशा थी और मंगल राहु कुंडली मे बढ़िया थे तो इस तरह से ग्रह दशाओ पर वर्तमान और भविष्य में क्या स्थिति रहने वाली है पर निर्भर करता है ऐसी स्थिति में उपाय ही रास्ता होता है। #उदाहरण2:- अब किसी जातक की वृष लग्न की कुंडली हो तो माना यहाँ लगभग ग्रहो की स्थिति कुंडली मे ठीक है लेकिन केतु की महादशा हो और केतु अशुभ हो माना केतु चन्द्र और सूर्य के साथ 11वे भाव मे बैठा है तो ऐसा केतु सूर्य चन्द्र के साथ ग्रहण योग में होने से केतु की दशा हानिकारक रहेगी जब तक केतु दशा चलेगी लेकिन केतु के बाद शुक्र की महादशा आती है तो माना शुक्र दसवे भाव मे शनि के साथ कुम्भ राशि मे बैठा हो(वृष लग्न में शुक्र लग्नेश और शनि नवे-दसवे भाव का स्वामी योगकारक होकर शुभ होता है तो ऐसी स्थिति में शुक्र शनि का कुम्भ राशि दसवे भाव मे होना परम् राजयोग देने वाला होगा तो ऐसी स्थिति में केतु के बाद जैसे ही शुक्र की महादशा शुरू होगी जातक के दिन बदल जयेंगे और हर तरह से कामयाबी मिलेगी क्योंकि शुक्र दसवे भाव मे शनि के साथ राजयोग और अच्छी स्थिति में है तो यहाँ निर्भर करा सब कुछ ग्रह दशाओ ओर।। #उदाहरण3:- कुम्भ लग्न की कुंडली के 5वे भाव मे दशमेश मंगल और चतुर्थ-नवम का स्वामी शुक्र बैठा है साथ ही ग्यारहवे भाव का स्वामी गुरु ग्यारहवे भाव मे ही है तो यह स्थिति बहुत शुभ है क्योंकि 5वे भाव मे शुक्र(योगकारक भाग्य का स्वामी) मंगल(रोजगार का स्वामी)राजयोग कारक है साथ ही दूसरे ₹₹-ग्यारहवे भाव के स्वामी धनकारक गुरु से दृष्टि संबंध है तो ऐसी स्थिति में यदि गुरु मंगल या शुक्र की महादशा चलती है तो बहुत अच्छी स्थिति रहेगी आर्थिक रूप से, रोजगार के रूप से,भाग्य का साथ सब कुछ अच्छा समय रहेगा लेकिन अब माना किसी कुम्भ लग्न में सूर्य शनि की युति चौथे भाव मे बनती और शनि अस्त हो जाए तो यह स्थिति में शनि की दशा भविष्य में आ जाये तो ऐसा अस्त शनि सब खत्म कर देगा अच्छा समय और हर तरह से स्थिति जातक की पहले से खराब होगी लेकिन शनि अस्त न होता और सूर्य के साथ भी न होता अकेला चौथे भाव मे होता वृष राशि का और पीड़ित या अशुभ योग में न हो तब ऐसे शनि की महादशा भविष्य में भी आएगी तो समय अच्छा रहेगा क्योंकि शनि लग्नेश होकर चौथे भाव मे शुभ और बली होकर बैठा है।। तो जातक का जीवन वर्तमान, भूत, भविष्य ग्रहो की दशाओ(समय)पर,ग्रह दशाएं बढ़िया आती जाए तो समय अच्छा और जहाँ ग्रह दशा खराब वही समय बुरे दिन भी दिखायेगा तो ऐसी ग्रह दशाओ को तो उपायों से अनुकूल किया जा सकता है।वर्तमान और भविष्य अच्छा रहे, समय का साथ अच्छा मिले तो यहाँ ग्रहो की दशाओ को जो चल रही है, और आने वाली है उनको अनुकूल करना, अगर ग्रह दशाएं अच्छी चल रही है और भविष्य में भी अच्छा समय देने वाली ग्रह दशाएं आ रही है तो फिर जातक सब बढ़िया ही लगभग रहता है।


Like (67)

Comments

Post

anshmaheshwari

nice article


Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

Top