ग्रहों की युति
Shareगोचर मे भ्रमण करते हुये जब कभी दो ग्रह एक ही राशि पर आ जाते हैं तब इसे ग्रह युति कहा जाता हैं कभी कभी यह दो ग्रह एक जैसे स्वभाव व प्रकृति के होते हैं तो कभी कभी विपरीत स्वभाव व विपरीत प्रकृति के होते हैं एक ही तरह के ग्रहो की युति जहां बहुत शुभफल प्रदान करती हैं वही विपरीत स्वभाव वाले ग्रहो की युति अशुभफल देती हैं | ऐसे ही ग्रहो की युतियों मे बनने वाली कुछ ग्रहो की युतियों को ज्योतिष मे अशुभ कहा गया हैं | ज्योतिष मे यह देखा व माना जाता रहा है की ग्रह युति का प्रभाव जातक विशेष के व्यक्तित्व पर बहुत ज़्यादा रहता हैं कुछ युतिया लगभग सभी कुंडलियों मे समान्यत: पायी जाती हैं जिनमे सूर्य-बुध,सूर्य-शुक्र,शुक्र-बुध आदि मुख्य हैं परंतु जब कभी दो विपरीत स्वभाव वाले ग्रहो की युति बनती हैं तो व्यक्ति विशेष पर क्या प्रभाव पड़ता हैं यह जानने के लिए प्रस्तुत लेख मे हम ऐसे ही दो ग्रह मंगल व शुक्र की युति के फल जानने का प्रयास किया हैं इसके लिए हमने लगभग 800 कुंडलियों को अपने अध्ययन का हिस्सा बनाया हैं और कुछ इस प्रकार के तथ्य पाये हैं | मंगल कालपुरुष की पत्रिका मे प्रथम,अष्टम तथा शुक्र द्वितीय,सप्तम भावो का प्रतिनिधित्व करते हैं मंगल जहां दैहिक शक्ति,ऊर्जा,उत्साह,जोश,युवा,पौरुष,रक्त,इच्छा,वासना,क्षत्रिय,अग्नितत्व,लाल रंग,उत्तेजना,हिंसा,उमंग,साहस इत्यादि का कारक होता हैं | वही शुक्र विवाह,वस्त्र,स्त्री,संभोग अथवा कामसुख,यौवन,जवानी का जोश,सौन्दर्य,प्रेमालाप,सुख,वैभव,सुंदरता,वीर्य,कामक्रीड़ा,जलतत्व,स्त्री व ब्राह्मण जाति,शयनग्रह,कामुकता आदि का कारक होता हैं | स्पष्ट हैं की इन दोनों (मंगल व शुक्र) की युति कहीं ना कहीं इन सभी कारको पर शुभाशुभ प्रभाव अवश्य प्रदान करेगी | शास्त्रो मे इन दोनों ग्रहो की युति का फल इस प्रकार से कहा गया हैं | स्त्रियो का शौकीन,विलासी,गर्विष्ट,जुगाड प्रिय,अपने गुणो द्वारा समाज मे प्रधान,ज्योतिष या गणित जानने वाला,जुआरी,मिथ्याभाषी,दुष्ट,परस्त्रीगामी किन्तु समाज मे मान्य,गायों का स्वामी,पहलवान,दूसरों की स्त्रियो मे रत,जुआ खेलने वाला और चतुर होता हैं |