आज हम मंगल ग्रह पर चर्चा करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को धरती का पुत्र माना जाता है। मंगल ग्रह का रंग लाल है तथा इसके अनुरूप ही इसका स्वभाव है। कुंडली में मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। मंगल ग्रह यदि शुभ हो तो शुभ फल और यदि अशुभ हो तो अनिष्ट फल देता है। कुंडली में मंगल ग्रह के प्रभाव का दो पहलुओं पर विचार किया जाता है। १.ग्रह दोष २.मांगलिक दोष ग्रह दोष:- कुंडली में यदि मंगल तीसरे छठे और ग्यारहवें स्थान पर स्थित हो तो शुभ फल देते हैं। वंशवृद्धि, रोग निवारण, धन संपदा वृद्धि, जमीन जायदाद में लाभ, यह इसके अच्छे परिणामों के उदाहरण हैं। इसके विपरीत यदि मंगल कुंडली में चौथे आठवें बारहवें स्थान में स्थित हो तो अत्यंत अशुभ परिणाम देने वाला हो जाता है। यद्यपि उपरोक्त घरों में इसका परिणाम निश्चित है परंतु केवल इन्हीं परिमापों के आधार पर ग्रह के शुभ और अशुभ विचारों का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। कुंडली में पाप एवं पुण्य ग्रहों के स्थान एवं दृष्टि का भी इस पर विशेष प्रभाव होता है। कुंडली मंगल दोष से ग्रसित हो तो उसके निवारण हेतु त्रिकोण प्रवाल विधि पूर्वक अनुष्ठान के साथ धारण करना श्रेयस्कर होता है। मांगलिक दोष पर विचार हम अगले पोस्ट में करेंगे । धन्यवाद ॥