जन्म दोष-जब बालक पैदा होता है तब पंचांग से निम्न बातो का निर्णय अवश्य करना चाहिए।
1 तिथि -अमावस्यया कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ,नंदा तिथि की प्रारभ ,पूर्णा कीअंत ।
2नक्षत्र-जेेष्ठआ, अश्लेषा व रेवती के अंत की दो घड़ी, मूल की एक घड़ी,मघा,अश्वनी के आरंभ के दो घड़ी, गनान्त होता है।
3 लग्न-मीन,वृृश्चिक व कर्क लग्न के अंत की आधा घड़ी।मेष सिंंह व धनु के प्रारंभ की आधी घड़ी लग्न गनान्त होती हैै।
4 .1योग-शूल,परिध,व्याघात,गंड, व्यतिपात,वेघृति,4.2 वज्र, यमघंट,दग्ध योग,मृत्यु योग,भद्रा।
5 भाई,पिता व माता के जन्म नक्षत्र
6 जन्मकुुंडली में सूर्य से9वे पापग्रह हो तो पिता केे चंद्र से चौथे माता को मंगल सेे तीसरे भाई को बुुध सेे चौथे मामा कोगुरुसे पाचवे पुुत्र को, शुक्र से सातवे स्त्री कोऔर शनि से आठवे पााप ग्रह बैठा हो तो बालक स्वयम की आयु के लिऐ कसठकारी होगा।
7़़ त्रिखलदोष -अगर लगातार 3लडके पैदा होकर कनया हो या तीन लडकियो केबाद लड़का हो तो त्रिखल दोष कहा जाता है।
इन दोषो मे जन्म होने पर शांति करानी चाहिए।
प्रस्तुति एस्ट्रो प्रमोदकुमार त्रिपाठी