हमारे सौर मंडल में नौं ग्रह हैं जिसमें से दो ग्रह राहु और केतु हैं और इन दोनों को छाया ग्रह भी कहा जाता हैं...हमारे सौर मंडल में नौं ग्रह हैं जिसमें से दो ग्रह राहु और केतु हैं और इन दोनों को छाया ग्रह भी कहा जाता हैं...इनका जीवन में इतना प्रभाव होता हैं इंसान अच्छे और गलत में फ़रक करना भूल जता हैं... यहाँ हम यह भी कहें सकते हैं जब राहु की 18 वर्ष की महादशा चलती हैं तोह इंसान राजा से रंक और रंक से राजा बन जता हैं... इन दोनों को पापी ग्रह भी बोला जाता है। इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, इसीलिए ये जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसी के अनुसार अपना प्रभाव देने लगते हैं। जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो यह व्यक्ति को काफी परेशान करने करते हैं। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक को बहुत लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो 18 वर्ष जातक के मृत्यु तुल्य के सामान होते हैं..nराहु का सप्तम और सप्तमेश पे प्रभाव अनके संबध बनता हैं.. यदि राहु 2 भाव या 8वे भाव में हो तो जातक की intercaste marriage होती हैं.. राहु का 8वे में होना जातक को research की और ले जता हैं.. nराहु की वक्री दृष्टि इंसान को सोचने समझने की शक्ति खो देती है। ऐसी स्थिति में मनुष्य उल्टे-सीधे निर्णय करने लगता है। राहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है।