कुंडली के दसवे भाव से जातक के कैरियर, रोजगार, कार्य छेत्र नोकरी/ व्यवसाय आदि को देखा जाता है।यहाँ बात सरकारी नोकरी या प्राइवेट नोकरी की करते है।सरकारी नोकरी और प्राइवेट नोकरी(गैर सरकारी नोकरी) इन सबके कारक ग्रह अलग-अलग होते है लेकिन भाव दसवा ही रहता है।सूर्य मंगल गुरु यह सरकारी नोकरी के कारक है इसमें सूर्य प्रबल कारक है सरकारी नोकरी और सरकारी छेत्र का।चंद्र सरकारी नोकरी दिलाने में मददगार होता है।इसके अलावा बुध, शुक्र, शनि यह प्राइवेट नोकरी के कारक है।जब दसवे भाव या दशमेश(दशम भाव के स्वामी)से सूर्य मंगल या गुरु का संबंध होता है या इनमे से किसी एक का संबंध हो और ग्रह/दशम भाव बलवान हो तब सरकारी नोकरी मिलने के रास्ते होते है और जब दसवे भाव में केवल शुक्र बुध शनि राहु केतु का संबंध हो तब केवल प्राइवेट(गेर सरकारी)नोकरी ही मिलती है।लेकिन अब यदि दशवे भाव का स्वामी शुक्र बुध या शनि हो और यह दसवे भाव के ही बैठे हो और यह ग्रह सूर्य मंगल या गुरु से संबंध बना ले तब सरकारी नोकरी मिल जाती है नही तो प्राइवेट ही रहती है।#सूर्य_मंगल_गुरू भी कई बार प्राइवेट नोकरी भी दिला देते है ऐसी स्थिति में यह ग्रह या तो पीड़ित होते है या अशुभ होकर दसवे भाव या भावेश के साथ बैठे होते है।। इन ग्रहो में सूर्य, गुरु मंगल उच्च पद पर नोकरी दिलाते है शुक्र बुध कुछ सामान्य स्तर की लेकिन शुक्र बुध भी राजयोग बनाकर या उच्च होकर दसवे भाव मे बैठे हो तब उच्च पद पर नोकरी देते है इसके बाबजूद शनि राहु केतु यह निम्न पद की नोकरियो के कारक है।जब शनि राहु केतु का प्रभाव दसवे भाव या भावेश पर हो तब यह निम्न स्तर की नोकरी दिलाते है लेकिन जब बलवान होकर अकेले शनि इस राहु केतु दसवे भाव मे हो और दशमेश से संबंध न बनाये तब उच्च पद तक भी दे देते है लेकिन शनि राहु केतु से प्रभावित नोकरियो की स्थिति सम्मानित कम होती है।। एक खास बात शनि राहु केतु दसवे भाव पर या दशमेश(दशम भाव के स्वामी) पर दृष्टि डालते है तब यह नोकरी में संघर्ष कराते है।दशमेश बलवान हो और शुभ ग्रहों की दृष्टि दशम भाव पर हो तब संघर्ष से मुक्ति कुछ समय बाद मिल जाती है।। #उदाहरण:- कन्या लग्न में दसवे भाव का स्वामी बुध होता है यदि यह बलवान और शुभ सूर्य, मंगल या गुरु से संबंध करे तब सरकारी नोकरी और इन ग्रहो से संबंध न हो तब प्राइवेट नोकरी ही रहेगी, चन्द्रमा से संबंध हुआ तब भी सरकारी नोकरी मिल सकती है।।
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